तेजपत्ता की उन्नत खेती कैसे करें – Bay Leaf Farming In India
तेजपत्ता की फायदेमंद खेती करने के लिए आपको नए साइंटिफिक तरीके अपनाने चाहिए। यही नहीं, आपको इनके नए किस्मों के बारे में भी जानकारी हासिल करनी चाहिए।
क्या आप तेजपत्ता की उन्नत खेती करना चाहते हैं? इसे दालचीनी भी बोला जाता है। आइए जानते हैं कि आप बे लीफ की खेती को भारत में कैसे कर सकते हैं और यह एक लाभदायक व्यवसाय भी है।
तेजपत्ता एक प्रकार का शुष्क और सुगंधित पत्ता है, जिसका उपयोग आजकल सभी घर के रसोई में खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए मसाले के रूप में किया जाता है।
तेजपत्ता लॉरेल नमक वृक्ष से प्राप्त होता है। इसका उत्पादन कई वर्षों से चल रहा है। प्रारंभिक दौर पर तेजपत्ता एशिया माइनर (एनाटोलिया) के साथ-साथ यह भूमध्य और उपयुक्त देशों में उगाया जाता था।
परन्तु आज इसका उत्पादन कई देशों में होता है। तेजपत्ता उत्पादन करने वाले प्रमुख देश भारत, इटली, रूस, बेल्जियम, मध्य अमेरिका, फ्रांस और उत्तर अमेरिका है।
कई देशों में लॉरेल को प्रतिक के रूप में मानते हैं। पूरे भारत में तेज पत्ता का इस्तेमाल शुभ कार्य में जड़ीबूटी के तौर पर किया जाता है।
यदि आपके पास 1 एकड़ के आसपास खाली जमीन होती है, तो आप बे लीफ की खेती करके भारत में लाखों में कमा सकते हैं। यह बहुत मेहनत और सही जानकारी का काम है। अगर आप वैज्ञानिक तरीके से तेजपत्ता की खेती करते हैं, तो आप बहुत कम मेहनत में अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं।
तेजपत्ता के उपयोग और फायदे:
तेजपत्ते में स्वाद और सुगंध की मौजूदगी के कारण लोग इसका इस्तेमाल ज्यादातर भोजन में स्वाद को बढ़ाने के लिए करते हैं। सुगंध के साथ-साथ, इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो मानव शरीर में पाए जाने वाले कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।
तेजपत्ते में लॉरिक एसिड पाया जाता है, जिसके इस्तेमाल से कीट पतंगे दूर रहते हैं।
तेजपत्ता का नियमित इस्तेमाल से माइग्रेन जैसी बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
अगर आप कहीं कट गए हैं और घाव का भराव नहीं हो रहा है, तो आप घाव पर तेजपत्ता लगाने से घाव जल्द भर जाता है।
तेजपत्ता के इस्तेमाल से डायबिटीज़ मरीज़ के शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखता है।
तेजपत्ता और इसके फल हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और शरीर स्वस्थ रखते हैं।
तेजपत्ता की खेती कैसे करें:
अगर आपके पास 1 से 2 एकड़ की जमीन है और 50,000 से 70,000 रुपये का पूंजी है, तो आप तेजपत्ता की खेती शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आपको शुरुआती समय में ही मेहनत करनी होगी और अपना समय देना होगा।
एक बार बे लीफ का पौधा बड़ा हो जाए (आम तौर पर एक साल में), तो आपको पेड़ का ध्यान रखना होगा, जो आप अपने फ्री टाइम में भी कर सकते हैं। और यह आपको हर साल एकमुस्त अच्छी खासी रिटर्न देता रहेगा।
भारत में तेज पत्ते का उत्पादन भूमिकारिय राज्यों में होता है। भारत में तेज पत्ते की खेती बिहार, उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक के साथ-साथ उत्तरी पूर्वी भारत के पहाड़ी क्षेत्र में ज्यादा पाई जाती है। तो यदि आप बिहार, उत्तर प्रदेश, या कर्नाटक से हैं, तो आप तेजपत्ता की अच्छी खेती कर सकते हैं।
तेजपत्ता खेती में खर्च:
भारत में बे लीफ का उत्पादन सबसे सस्ता होता है। एक एकड़ जमीन पर इसका उत्पादन के लिए कुल खर्च लगभग 40,000 से 50,000 रुपये होता है और इसमें 70% खर्च सुरुवाती दौर में ही होते हैं।
एक बार तेजपत्ता का पौधा बड़ा हो जाने पर 2 साल से लगभग 12,000 से 15,000 रुपये सालाना खर्च आता है। एक बार अच्छे तरीके से पौधा बड़े होने पर आप आसानी से 80,000 से 2,00,000 रुपये कमा सकते हैं।
पूरे पेड़ों का प्लांटिंग का अपना एक समय होता है। अगर इनके निर्धारित समय पर प्लांटिंग नहीं की जाए तो पौधे का विस्तार नियमित रूप में नहीं हो पाएगा, इसलिए पौधों को हमेशा उनके निर्धारित समय पर ही लगाएं।
तेजपत्ता लगाने का समय मार्च-अप्रैल के महीने में होता है। तेजपत्ता के विकास के लिए गर्म और सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है।
मिट्टी की आवश्यकता और भूमि की तैयारी:
क्लाइमेट के साथ पोधों के लिए मिट्टी में उपयुक्त प्रदार्थ और मिट्टी का प्रकार बे लीफ के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। बे लीफ के विकास हेतु कार्बनिक प्रदार्थ युक्त सुखी मिट्टी की आवश्यकता होती है और साथ ही मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए।
अब पोधों को लगाने से पहले पौधे को जरूरत के अनुसार जमीन को बनाना अति आवश्यक है। पौधा लगाने से पहले मिट्टी या जमीन को अच्छे से जोत कर सुखा लें और मिट्टी से खर पतवार को साफ कर दें।
अब खेत में जैविक खाद का छिड़काव करके इसे मिला लें। खाद के मिलने के उपरांत पौधों को लगाएं। परन्तु पौधा लगाते समय यह ध्यान रखें कि दो पौधों के बीच की दूरी लगभग 4-6 मीटर होनी चाहिए।
बे लीफ खेती में खाद का उपयोग:
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए खाद की आवश्यकता होती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप बे लीफ प्लांट में पड़ने वाली खाद को प्लांटिंग से पहले ही डालें।
पौधे का सही से विकास के लिए हमें इसे समय-समय पर छाँटनी अति आवश्यक है, जिससे पेड़ का ग्रोथ अच्छे से होता है।
तेजपत्ता खेती में रोपण का समय और तरीका:
तेजपत्ता के उत्पादन में रोपण सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें बे लीफ के फल की विकासता का निर्धारण होता है। इसलिए आपको इसे ध्यान से करना है।
रोपण का समय मार्च-अप्रैल के महीने में होता है। तेजपत्ता को खेत में रोपने से पहले उसके पौधों को 1 मीटर की दूरी पर रखकर उसके लिए गहरा खाई खोद लें। उस खाई में 4-5 किलो जैविक खाद को डालकर अच्छे से मिला लें। इसके बाद उस खाई में पानी भरकर उसमें थोड़ी देर रख दें।
इसके बाद तेजपत्ता के पौधे को उस खाई में ध्यान से रखकर उसमें पानी डालें। इसमें पौधों को अच्छे से रखकर खाई को धकेल दें और बाकी जमीन से अच्छे से मिला दें। यदि आप खेत में रोपने के लिए बिछे हुए पुराने जुटें का इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपके खेत में रोपने की सारी चीजें नियमित रूप से काम करेंगी और आपको इसका बहुत फायदा होगा।
तेजपत्ता पौधों को रोपने के लिए आपको इस पौधे के लिए सही मात्रा में जैविक खाद और पानी उपलब्ध कराना होगा। यह आपके पौधों के अच्छे से विकास के लिए अति जरूरी है।
तेजपत्ता की खेती के बाद का काम:
तेजपत्ता की खेती में उत्पादन होने के बाद आपको इसे अच्छे से समझकर अपनी मार्केटिंग करनी होगी। इसे आप बाजार में सीधे बेच सकते हैं या फिर इसे डिहाइड्रेशन या पाउडर बना कर खुद इसे बेच सकते हैं।
तेजपत्ता का डिहाइड्रेशन करके उसे खुद इस्तेमाल करने के लिए या फिर बेचने के लिए इसे अच्छे से पैक कर दें। इससे आपको इसे बेचने में भी आसानी होगी और आपको इससे अच्छा मुनाफा भी होगा।
Conclusion Points
Bay Leaf Farming In India: तेजपत्ता की खेती को शुरू करने से पहले और इसके बाद आपको समय-समय पर इस पौधे का ध्यान रखना होगा। इससे आपके पौधों का विकास अच्छे से होगा और इससे आपको इसके सही रेट में अच्छा मुनाफा मिलेगा।
पूरी खेती में जबरदस्त मुनाफा इसलिए होगा क्योंकि यहां खर्च कम होगा और मुनाफा ज्यादा। तेजपत्ता की खेती करें और इससे होने वाले फायदे को उठाएं।
FAQs
1. भारत में तेजपत्ते की खेती के लिए आदर्श जलवायु कौन सी है?
भारत में तेज पत्ते की खेती के लिए आदर्श जलवायु गर्म और आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु है।
2. तेज़ पत्ते के पेड़ में पत्तियाँ आना शुरू होने में कितना समय लगता है?
तेज पत्ते के पेड़ आमतौर पर रोपण के लगभग 2-3 साल बाद पत्तियां देना शुरू कर देते हैं।
3. क्या तेजपत्ते के पेड़ गमलों या कंटेनरों में उगाये जा सकते हैं?
हां, तेज पत्ते के पेड़ों को गमलों या कंटेनरों में तब तक उगाया जा सकता है, जब तक उनमें जड़ों के विकास के लिए पर्याप्त जगह हो और उन्हें पर्याप्त धूप मिलती रहे।
4. तेजपत्ते के पेड़ उगाने के लिए किस प्रकार की मिट्टी सर्वोत्तम है?
6.0 और 7.5 के बीच पीएच स्तर वाली अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी तेज पत्ते के पेड़ उगाने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
5. तेज पत्ते के पेड़ों को कितनी बार पानी देना चाहिए?
तेज पत्ते के पेड़ों को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, खासकर सूखे के दौरान। आमतौर पर हर 2-3 दिन में एक बार पानी देना पर्याप्त होता है, लेकिन यह मौसम की स्थिति के आधार पर भिन्न हो सकता है।
6. तेज पत्ते की कटाई का सबसे अच्छा समय कब है?
तेज़ पत्तों की कटाई का सबसे अच्छा समय तब होता है जब पेड़ परिपक्वता तक पहुँच जाता है, जो आमतौर पर रोपण के लगभग 4-5 साल बाद होता है। सूखे मौसम के दौरान कटाई की सिफारिश की जाती है जब पत्तियां अपनी पूर्ण स्वाद क्षमता पर होती हैं।
7. क्या तेजपत्ते को ताजा इस्तेमाल किया जा सकता है या क्या इस्तेमाल से पहले इन्हें सुखाना जरूरी है?
तेज़ पत्ते को पारंपरिक रूप से सूखे रूप में उपयोग किया जाता है क्योंकि यह उनके स्वाद और सुगंध को बढ़ाता है। हालाँकि, अगर चाहें तो ताज़ी तेजपत्ता का भी उपयोग किया जा सकता है।
8. क्या ऐसे कोई कीट या रोग हैं जो आमतौर पर भारत में तेज पत्ते के पेड़ों को प्रभावित करते हैं?
कुछ सामान्य कीट जो भारत में तेजपत्ता के पेड़ों को प्रभावित कर सकते हैं उनमें स्केल कीड़े और कैटरपिलर शामिल हैं, जबकि ख़स्ता फफूंदी और जड़ सड़न जैसी बीमारियाँ भी हो सकती हैं। उचित देखभाल, नियमित निगरानी और समय पर उपचार इन समस्याओं को रोकने में मदद कर सकता है।
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