Agar aapke pass apni jamin ho to Patta Gobhi ki Vaigyanik kheti kar ke aap apna khud ka kheti se related business start kar sakte hain. Ismein do tarah ki kheti ki jaa sakti hai.
फूल गोभी और पत्ता गोभी दोनों की खेती को अगर वैज्ञानिक technique से की जाये तो किसानो को फसल की उत्पादन बड़े पैमाने में मिल सकती है। निचे हम आपको फूल गोभी और पत्ता गोभी की खेती वैज्ञानिक तरीके से कैसे करना चाहिए इसके बारे में बताने जा रहे है।
Patta aur Phool gobhi ka vaigyanik naam kya hai?
सबसे पहले आपको बता दें कि पत्ता गोभी को अंग्रेजी भाषा में Cabbage कहा जाता है. जबकि फूल गोभी को Cauliflower बोलते हैं. ब्रोकोली, फूलगोभी, केल, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, कोलार्ड ग्रीन्स, सेवॉय गोभी और कोहलबी जैसे सब्जियां पहले हुआ नहीं करता था.
इन सभी प्रकार के गोपी को सेंटिफिक तरीकों से मानव द्वारा तैयार किया गया है. आपको बता दें कि यह सभी प्रकार के गोभी का उत्पत्ति ब्रैसिका ओलेरासिया नाम के पौधे से हुआ है.
यही कारण है कि सभी प्रकार के गोभी का वैज्ञानिक नाम ब्रैसिका ओलेरासिया (Brassica oleracea) है. फूल या पत्तागोभी हो दोनों का ही सेंटिफिक नाम ब्रैसिका ओलेरासिया ही है.
Patta Gobhi Ki Kheti Kaise Kare
Agar aap bade scale par Patta ya. Gobi ki kheti karna chahte hai to aapko kuch chijon ka dhyan denga hoga taki aap kam lagat laga kar accha munafa kama sake.
Aap chahe to ek he jagah par or patta gobhi ke kheti kar ke lakhon mein kama skate hain. To chaliye jante hai kaise scientific tarike se gobi ki kheti ki jaa sakti hai.
जलवायु / Climate
फूल गोभी और पत्ता गोभी दोनों हीं के लिए ठंडी आद्र तथा नम जलवायु की अव्यश्कता पड़ती है। पत्ता गोभी के बीज का अंकुरण के लिए लगभग 27 से 29 डिग्री सेल्सियस का temperature चाहिए होता है।
गोभी के लिए 50 से 75º सेल्सियस तक का temperature अच्छा होता है। atmospheric आद्रर्ता फूलगोभी की फसल के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
भूमि का चयन / Selection of Land
फूलगोभी की खेती के लिए बलुई दुमट मिट्टी, जो कि अच्छी जल निकास वाली हो उसे अच्छा माना जाता है। भूमि का पीएच मान 5.5 से 6.8 होना उपयुक्त होता है। पत्ता गोभी की खेती कई तरह की भूमियों पर की जा सकती है लेकिन अच्छे फसल की उपज हेतु रेतीली दोमट भूमि सबसे best मानी जाती है। जिस भूमि का P.H मान 5.5 से 6.5 हो वह भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है।
पत्ता गोभी के बीज बुआई का सही समय
पत्ता गोभी को बोने का शीघ्र समय May – June होता है। उसके बाद June के बीच से जुलाई के बीच तक भी इसे बोया जाता है। और देर से इसकी बुआई का समय last July से August तक होता है।
पौधे जब क्यारियों में लगभग 5 सप्ताह के हो जायें तब जाके पौधों को खेत में बोना चाहिए। पौधों को बोने से पूर्व खेत की जुताई कर के उस पर पाटा चलाकर उसे समतल बना देना चाहिए।पत्ता गोभी को मैदानी क्षेत्रों में अगेती फसल के लिए बोने का सही समय होता है august से September और पछेती फसल के लिए बुआई का सही समय है September से October तक का। पहाड़ी क्षेत्र में पत्तागोभी की बुआई march से June तक की जाति है। और अगर बीज उत्पादन के लिए बुआई करना है तो उसका सही समय होता है July से August।
सिंचाई प्रबंधन / Irrigation Management
पत्तागोभी की खेती में 10 से 15 days के interval में सिंचाई की जरुरत पड़ती है। अगेती किस्मों के फसल की मुताबिक पिछेती किस्मों को अधिक जल की जरुरत पड़ती है।
पत्तागोभी की खेती में लगातार नमी की आवश्यकता पड़ती है इसलिए इसकी सिचाई बीज बुआई के तुरंत बाद हीं शुरु कर दी जाती है और फिर हर 7 से 8 दिन के interval में इसकी सिचाई करनी होती है। फसल ready होने के बाद सिंचाई कम कर देनी चाहिए।
खाद प्रबंधन / Compost Management
पत्ता गोभी की अधिक उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर भूमि में लगभग 40 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद और organic खाद 2 बैग भू-पावर – 50 kg , 2 बैग माइक्रो फर्टीसिटी कम्पोस्ट – 40 kg, 2 बैग माइक्रो नीम – 20 kg, 2 बैग सुपर गोल्ड कैल्सी फर्ट – 10 kg , 2 बैग माइक्रो भू-पावर – 10 kg और 50 kg अरंडी की खली को एक साथ अच्छी तरह mix कर के खेत में बुआई से पहले बिखेर कर खेत की जुताई कर दें उसके बाद हीं बुआई करे।
कीट प्रबंधन / Prevention from Insect
Jaydatar mamlon mein paya gaya hai ki gobhi mein mainly 4 tarah ke disease lagte hain. Agar aap sahi tarike se patta gobhi ke kehti karna chahte hai to aapko yah bhi sikhna hoga ki kaise ise tarah tarah ke rogon se bachaya jaa sake.
To chaliye jante hai ya patta gobhi mein hone wali common disease kaun si hai aur iska ilaj:
कैबेज मैगट – यह पत्ता गोभी में लगने वाला एक रोग होता है जो की पौधों के जड़ों पर आक्रमण करता है जिसकी वजह से पौधे सुखने लगते है। इस रोग से बचने के लिए नीम की खाद का उसे किया जाता है।
चैंपा – ये कीट भी पत्ता गोभी में लगने वाली है और पौधों के कोमल part का रस चूस जाती है। इसके वजह से पौधों के सभी पत्तियां पिली हो जाती है। इससे बचने के लिए नीम का काढ़ा को माइक्रो झाइम में mix कर के उसका 250 ml मिश्रण को पम्प से छिडकाव कर दें।
डायमंड बैकमोथ – यह की लगभग 1 cm लम्बे होते है जो की पत्तो के किनारे को खा जाते है। इससे बचने के लिए भी नीम से बना हुआ काढ़ा को micro झाइम में mix कर के पम्प द्वारा इसकाछिडकाव करे।
ब्लैक लैग – फोमा लिगमा नाम के फफूंदी के वजह से यह रोग लगता है। इस रोग के वजह से पूरा जड़ सड़ जाता है। इससे बचाव के लिए बीज बुआई के पहले हीं कैरोसिन या नीम के तेल से उपचारित कर लें।
लेखक का संदेश – Conclusion Points
आप सज्जन कृषि ऑनलाइन वेबसाइट पर आए, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं बहुत ईमानदारी से कह सकता हूं कि यह इंटरनेट पर अंतिम या पहला आर्टिकल नहीं है.
मैंने, आप किसान भाइयों को सही जानकारी देने का एक प्रयास किया हूं. मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता हूं कि आप किसान भाइयों को थोड़ा सा भी नुकसान हो.
हमें उम्मीद है कि आपको गोभी की खेती करने के तरीके पर इस लेख का आनंद लिया जाएगा। गोभी को उगाना बहुत आसान है, जिसमें विभिन्न प्रकार की किस्में हैं।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि गोभी की खेती कैसे की जाती है, या आप गोभी के बीज खरीद सकते हैं, जो होल फूड्स जैसे स्टोर पर भी उपलब्ध हैं। हम यह भी आशा करते हैं कि आप गोभी को कैसे उगाएं, इस पर हमारे लेख का आनंद लेंगे!
Krishi Online वेबसाइट पर आप खेती-बाड़ी व पशुपालन और सरकारी वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं से संबंधित अन्य आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. इसके अलावा मैंने दूसरे वेबसाइटों का भी लिंक (Reference) नीचे दिया है. उम्मीद करता हूं कि मैं आपका एक विश्वासी लेखक बन सकूंगा.
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