अनार की सेंटिफिक खेती कैसे किया जाए? Anar Ki kheti करके लाखों रुपए प्रति वर्ष कैसे बचत की जाए? क्या आप इस तरह के प्रश्नों के उत्तर को सर्च कर रहे हैं? मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यह आपके लिए सर्वोत्तम आर्टिकल है.
आप अनार की खेती करके रुपए तो कमा सकते हैं लेकिन उनके लिए आपको सेंटिफिक ज्ञान की आवश्यकता होगी. गूगल पर बहुत ही कम वेबसाइट है. जहां पर आप को सटीक एवं विश्वसनीय जानकारी मिलेगा.
Anar ki adhunik kheti ki jankari
देश हो या फिर विदेश दोनों हीं जगह अनार की अच्छी demand होती है। हमारे देश में 38 राज्य में से केवल से 10 जिलों में अनार के खेती का काम किया जा रहा है।
अक्सर लोग पूछते हैं कि अनार का वैज्ञानिक नाम क्या है? आपको बता दें कि अनार का वैज्ञानिक नाम पुनिका ग्रैनटम (Punica granatum) है. अतः इस खेती में किसानो को कम लागत में अधिक से अधिक profit हो सकता है। तो आइये जानते है की किस तरह से अनार की खेती करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है।
Anar Kheti ki suruwat kaise kare / How to start Pomegranate farming
अगर आपमें अनार की खेती करने की इच्छा है और इसे एक नयी मुकाम पर ले जाना चाहते हैं तो निचे दी गयी जानकारी को ध्यान से पढ़े और इसे आगे ले जाये :
भूमि का चयन (soil selection)
अनार की खेती करने से पहले आपको सावधानी पूर्वक भूमी का चयन करना होगा जिससे आपको अच्छे फल की प्राप्ति हो सके। वैसे तो सभी प्रकार के भूमि पर अनार की खेती की जा सकती है लेकिन अच्छे परिणाम और अच्छे फल की प्राप्ति के लिए आप दोमट मिट्टी वाली भूमि का उपयोग करें। यह अनार की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
जलवायु (Climate)
जब आप किसी भी चीज़ की खेती करने का सोच रहे हो तो सबसे पहले उसके उपजाव के सही मौसम का पता लगा ले। अनार के फल उगने हेतु सामान्य ठंड का मौसम अच्छा होता है।
कम तापमान वाले गर्मी के मौसम में भी अनार की खेती की जा सकती है। अच्छे फल की प्राप्ति हेतु कम से कम 4.0 से.ग्रैड. तक का तापमान उपयुक्त होता है।
अनार की प्रजातियाँ (types of Pomegranate)
अनार की कई प्रजातियाँ होती है :-
गणेश:- इस प्रजाति के फलो का उत्पादन अधिक मात्रा में होती है। गणेश किस्म के फलो का आकार सामान्य (normal) होता है। इस किस्म के फल ज्यादा तर महाराष्ट्र प्रांत में उगाया जाता है।
मसकित :- इस किस्म में पाए जाने वाले फलो का आकार छोटा होता है और इसके उपरी छिलके मोटे होते है।इसके बिज कोमल और रस बहुत हीं मीठे होते है।
ढोलका:- ढोलका प्रजाति के फल एक साथ बहुत हीं अधिक मात्रा में फलते है। इसके छिलके का रंग ज्यादातर सफ़ेद / हरा होता है। इसके दाने का रंग गुलाबी और सफ़ेद जैसे दीखते है।
जालोर / बेदाना :-इस प्रजाति में पाए जाने वाले फलो के आकार बड़े होते है। इसके छिलके dark red color के और बिज बहुत हीं soft होते है।
इन सब के अलावा भी अनार के प्रजातियाँ होती है जैसे – बेसिन बेदाना जो ज्यादातर कर्णाटक में उगाये जाते है, रूबी, मृदुला आदि हैं।
पौधे का रोपण
पौधा रोपने से पहले लगभग 50 से 60 cm गहरा गड्ढा खोद़ लें। फिर उस गड्ढे में पौधा लगाने की प्रक्रिया को शुरू कर दें।
पौधे को रोपने समय दो पौधों के बिच कम से कम 5 मीटर की दुरी छोड़ना चाहिए।
अनार की खेती के लिए खाद तैयार करें
अनार की खेती करते समय एक साल के भीतर कम से कम दो बार जैविक खाद के साथ गाय की सड़ी हुई गोबर को मिला कर पौधे को देनी चाहिए। जैविक खाद को तैयार करने का तरीका है –
- माइक्रो फर्टी सिटी कम्पोस्ट- 40 kg
- माइक्रो सुपर पावर -50 kg
- सुपर गोल्ड कैल्सी फर्ट- 10 kg
- माइक्रो नीम-20kg
- अरंडी कि खली- 50kg.
इन सब अच्छे से मिला कर इनका खाद तैयार कर ले।
जब आपको लगे की पौधों में फुल आने वाले है तो उससे 10-15 दिन पहले 500 ml माइक्रो झाइम और 2 kg सुपर गोल्ड के साथ मैग्नीशियम को पानी में घोल ले फिर पम्प से उसका छिड़काव खेत में लगे सभी पौधों पर करे ऐसा करने से भरपूर मात्रा में फुल की प्राप्ति होगी।
फिर जब लगे की फल लगने वाला है तो फिर से उस घोल का छिड़काव करे। उसके बाद हर 20 दिन में छिड़काव करते रहना चाहिए. ऐसा करने से अच्छे और सुन्दर फल की प्राप्ति होगी।
सिंचाई
अनार की खेती में नियमित रूप से सिंचाई करना आवश्यक होता है. इससे अच्छे और बड़े फल की प्राप्ति होती है। गर्मी के मौसम में हर 10 से 20 दिन के अन्दर सिंचाई करना चाहिए।
अनार के खेती के लिए जिस भूमि का चयन किया गया हो उस भूमि में गीलापन का सामान्य दरजा बनाये रखना चाहिए। मिट्टी के गीलेपन के स्तर में, अगर बहुत तेज़ी से उतार चढ़ाव होता है तो फल के फटने कि संभावना बन जाता है।
कीट पतंग से बचाव
नुकसान पहुचने वाले किट :-
- फल भेदक
ऐसा ही कुछ तितली के प्रजाति होते है जो फले हुए फलों को नष्ट कर देते हैं। इस तितली के अंडो से निकली हुई तित्त्लियाँ फलो के अन्दर प्रवेश करने के बाद, पल के बीजो को खा जाती है। जिसके कारण से फल अन्दर से सड़ जाते हैं।
इससे बचने का उपाय ये है की आप नीम का पानी या उसका काढ़ा तैयार कर ले और पीर उसका छिड़काव पौधों पर करें।
माहू
माहू नमक किट नए उगने वाले पत्तियों और फूलों के सरे रस चूस जाते है। जिसकी वजह से पत्तियां टेढ़ी मेढ़ी होकर झड़ जाती है। अतः इससे बचने के लिए नीम का पानी या काढ़ा का छिड़काव है करें।
इंडर / बिला
इंडर नमक कीड़े अनार के पेड़ कि छाल में छेद करके अन्दर घुस जाते है और अन्दर से पेड़ को खोकला कर देते है। अगर पेड़ अन्दर से खोखला हो जाये तो उसमे फल नहीं लगते है।
इससे बचने के लिए खोखले जगह की अच्छे से साफ़-सफाई करके इंजेक्सन द्वारा मिट्टी का तेल या फिर गीली मिटटी से छेद को बंद कर देना चाहिए। इससे सड़े कीड़े छेद के अन्दर ही मर जाते हैं।
निमेटोड
निमेटोड किट अक्सर अनार के पौधों कि जड़ो में लगते है। इसकी वजह से फल छोटे और इसके उपजाव कम हो जाते है। इससे बचने के लिए नीम कि खली या माइक्रो नीम कि खाद और अरंडी कि खली का खाद का प्रयोग करना चाहिए
उपज और तुड़ाई
अलग अलग अनार के पौधों कि उपज अलग अलग तरह की होती है, जो कि मिट्टी के प्रकार, जलवायु और किसानो की मेहनत पर निर्भर करता है। अगर अनार का पौधा 10 साल पुराना है तो उस पौधे से कम से कम 90 से 120 फलों के उत्पादन होते है।
अनार के पौधे से लगभग 25 से 30 वर्ष तक फलो का उत्पादन होता है। अनार के फल 5 से 6 महीने में पक के तैयार हो जाते है। पके हुए अनार के फल हलके पीले रंग के और कभी कभी लाल रंग के होते है। अनार के फलो को सेक्रोटियर कि सहायता से ही तोड़ना चाहिए।
अनार के पौधों को सही आकार देने के लिए starting year में इसकी कटाई छटाई कि जाती है।
Conclusion Points
अनार एक प्राचीन फल है जिसकी खेती सदियों से की जाती रही है। अनार मध्य पूर्व का मूल निवासी है और भारत, चीन और भूमध्यसागरीय सहित दुनिया के कई हिस्सों में उगाया जाता है। अनार उर्वरता और बहुतायत का प्रतीक है और अक्सर क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के दौरान सजावटी प्रदर्शनों में इसका उपयोग किया जाता है।
अनार को उगाना अपेक्षाकृत आसान है और अधिकांश जलवायु में इसकी सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है। वे पूर्ण सूर्य और अच्छी तरह से सूखा मिट्टी पसंद करते हैं लेकिन कुछ छाया सहन करेंगे।
अनार एक बार स्थापित होने के बाद सूखा सहिष्णु होते हैं लेकिन फलने के मौसम में नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है। अनार को फूल आने से पहले और फिर फल लगने के बाद संतुलित उर्वरक से खाद दें। नई वृद्धि को प्रोत्साहित करने और फलने को बढ़ावा देने के लिए हर साल अनार की छंटाई करें।
आप सज्जन कृषि ऑनलाइन वेबसाइट पर आए इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं बहुत ईमानदारी से कह सकता हूं कि यह इंटरनेट पर अंतिम या पहला आर्टिकल नहीं है. अनार की खेती कैसे करें से संबंधित आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें.
मैंने, आप किसान भाइयों को सही जानकारी देने का एक प्रयास किया हूं. मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता हूं कि आप किसान भाइयों को थोड़ा सा भी नुकसान हो.
Krishi Online वेबसाइट पर आप खेती-बाड़ी व पशुपालन और सरकारी वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं से संबंधित अन्य आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. इसके अलावा मैंने दूसरे वेबसाइटों का भी लिंक (Reference) नीचे दिया है. उम्मीद करता हूं कि मैं आपका एक विश्वासी लेखक बन सकूंगा.
FAQs
प्रश्न – गमले में अनार की खेती कैसे करते हैं?
उत्तर – छत पर अनार की खेती करने के लिए, आपको मिट्टी को रखने के लिए पहले बर्तन को मापना चाहिए। बर्तन को मापने के बाद, आपको बर्तन को मिट्टी और अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद के मिश्रण से भरना चाहिए। मिट्टी को अच्छी तरह से पानी दें, फिर अनार के बीज लगाएं।
प्रश्न – अनार की सेंटिफिक खेती कैसे किया जाता है?
उत्तर – अच्छे बीजों का चयन करने के लिए, अनार के पेड़ों की तलाश करें जो अभी तक फल नहीं रहे हैं – उनके पास बहुत सारे पत्ते होने चाहिए और बहुत सारे फल नहीं होने चाहिए। आप उन पेड़ों की तलाश करना चाहते हैं जो 2-3 साल पुराने हैं क्योंकि उनके पास पेड़ों की तुलना में अधिक पत्ते होने चाहिए जो फलने के करीब हैं।
एक बार जब आप सही पेड़ पा लेते हैं, तो आपको मिट्टी तैयार करने की आवश्यकता होती है। यह खाद, अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद और रेत की न्यूनतम मात्रा के साथ किया जाता है।
अब जब आपके पास मिट्टी तैयार हो गई है, तो बीज बोने का समय आ गया है। अंकुरण होने तक उन्हें नम रखें और फिर उन्हें लगभग दो सप्ताह तक दिन में दो बार पानी दें जब तक कि वे लगभग दो इंच ऊंचे न हों। मिट्टी को नम और छाया में रखें जब तक कि पेड़ प्रत्यारोपित होने के लिए तैयार न हों।
Reference