नए साइंटिफिक ढंग से कपास की खेती कैसे की जाएं. साथ जानते हैं कि भारत में नए-नए कौन से किस्म हैं जिससे ज्यादा फायदा हो सकता है.

क्या आप कपास की खेती करने की सोच रहे है? आइये जानते है की Cotton farming kaise India mein ek profitable business hai. इससे जुडी जानकारी, कीटो से बचाव के उपाय.
उत्पादन-संबंधी रूप में कपास यानि की “रूई” को स्वेत स्वर्ण (white gold) के नाम से भी जाना जाता है। पूरे देश भर में Large scale पर कपास उत्पादन की जरुरत है।
विदेशो में भी कपास यानि की रूई की अव्यश्कता पड़ती है। इसलिए इसकी खेती में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन की अव्यश्कता भी जरुरी है।
Modern technology को अपनाकर अगर कपास की खेती की जाए तो किसानो को रूई यानि की कपास की ज्यादा उपज मिल सकती है। आइये जानते है कैसे “कपास की खेती” करने से अच्छे फसल की प्राप्ति हो सकती है।
Kapas ki kheti ki jankari
कपास की खेती करने की जानकारी / Cotton Farming in India – Agar hamare kisan bhai ke pass badi jamin ho to us par kapas yani cotton ki kheti kar ke lakhon kamaya jaa sakta hai, basarte ki aap scientific tarike se kare.
Apako jamin se le kar, khad prabandhan aur kido se kapas ko bachana hoga. To chaliye jante hai aakhir kaise ki jati hai kapas ki farming step by step:
भूमि का चयन व तैयारी / Selection of Land
कपास की खेती के लिए सबसे उचित मिट्टी कौन सी है? कपास की खेती को सभी तरह की ज़मीन पर की जा सकती है फिर भी दोमट भूमि को कपास की खेती के लिए सबसे सर्वोत्तम माना गया है। बलुई ज़मीन, क्षारीय भूमि और कंकड़ से भरी हुई ज़मीन पर कपास की खेती नहीं की जा सकती है।
भूमि की तैयारी करने समय सबसे पहले खेत की जुताई लगभग 25 cm गहरी करनी चाहिए। जरुरत के अनुसार दुबारा 2 से 3 बार देशी हल चला कर खेत की जुताई कर दें और फिर उसे भुरभुरा कर के फिर से भूमि को समभूमि(flat) बना देना चाहिए।
जलवायु / Climate Condition
कपास की खेती में अच्छे जमाव के लिए minimum 16°C तक का temperature होना चाहिए। फसल के विकास के time लगभग 21 से 27°C तक का temperature और फसल के तैयार होने के time में 27 से 32 °C तक की temperature की अव्यश्कता पड़ती है।
कपास की प्रजातियाँ / Types of Cotton
कपास की खेती में दो तरह की प्रजातियाँ होती है :-
- देशी प्रजातियाँ – लोहित, आर. जी. 8, सी. ए. डी. 4।
- अमेरिकन प्रजातियाँ – एच. एस. 6, एच 777, एफ 846, आर. एस. 2013 आदि।
कपास का उत्पादन उसके प्रजातियों पर हीं depend करता है। देशी प्रजातियों वाली कपास जैसे की लोहित, आर. जी. 8, आदि की लगभग 15 क्विंटल per hectare उपज होती है. वहीँ अमेरिकन प्रजातियों वाली कपास जैसे की एच 777, एफ 846 आदि की उपज लगभग 12 से 14 क्विंटल per hectare होती है।
बीज बुआई का समय व विधि
कपास की बीज की बुआई उसके प्रजातियों पर निर्भर होता है। कपास की देशी प्रजातियों की बुआई starting april में और अमेरिकन प्रजातियों की बुआई mid of April से starting may तक की जाती है।
बुआई के समय line से line का distance कम से कम 70 cm होनी चाहिए और पौधों से पौधों की distance कम से कम 30 cm होनी चाहिए। एक जगह पर केवल 3 से 4 बीजो को हीं बोना चाहिए। कपास की खेती में बीज बुआई की मात्रा इसके प्रजातियों के अनुसार डाली जाती है।
देशी प्रजातियों में 15 kg per hectare और अमेरिकन प्रजातियों में लगभग 20 kg per hectare की मात्रा पड़ती है।
खाद प्रबंधन / Manure Management
कपास की खेती में खाद व उर्वरको का उपयोग मिट्टी की जाँच के आधार पर हीं की जाती है। अगर मिट्टी में कर्वानिक पदार्थो की कमी पाई जाती है तो खेत की last जुताई के time में हीं मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद को मिला देना चाहिए।
गोबर की खाद के साथ खेत की last जुताई करने time लगभग 30 kg nitrogen, और 30 kg phosphorus का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उसके बाद दोबारा लगभग 30 kg nitrogen की मात्रा का इस्तेमाल पौधे में फूल आने के बाद 2 बार कर के करना चाहिए।
क्यूंकि मौसम कभी भी change हो सकता है, इसलिए कपास के बिज को सोधे जमीन में ना बोये, इसके उलट इसके बिज को मेड़ो पर करे ताकि कपास के पौधे को नुकसान ना हो.
रोग व कीट नियंत्रण / How to protect from Insects and Diseases
कपास में लगने वाले रोग का नाम कुछ इस प्रकार से है :-
शाकाणु झुलसा रोग
इस रोग से बचने हेतु खड़ी फसल में बारिस शुरु होते हीं लगभग 1.25 g कॉपरऑक्सीक्लोराइड, 50 प्रतिशत Soluble powder और 50g Agri Maisin को per hectare की दर से लगभग 800 ltr पानी में mix कर के इसका दो बार छिड़काव हर 25 दिन के interval पर करना चाहिए।
कपास में लगने वाले कीटो का नाम कुछ इस प्रकार से है :-
- हरा फुदका कीट
- सफ़ेद मक्खी माहू कीट
- तेला कीट
- थ्रिप्स कीट
- गूलर भेदक.
ऊपर दिए गए सभी कीटो पर नियंत्रण पाने के लिए किसी भी कीटनाशक का use किया जा सकता है। इसके अलावा कृषि वेज्ञानिको द्वारा दी गई सलाह के अनुसार भी आप इन कीटो पर नियंत्रण पा सकते है।
फसल की चुनाई व उसका भंडारण
कपास के पौधे को लगभग 150 से 160 दिन लगते है पुरे बड़े होने में और कपास की फसल तैयार होने में. कपास की चुनाई प्रातः काल में ओस के हट जाने के बाद पूरी तरह से खीले हुए गुलारो से की जानी चाहिए।
देशी प्रजातियों के कपास की चुनाई लगभग 10 days के interval में की जाती है और अमेरिकन प्रजातियों के कपास की चुनाई लगभग 20 days के interval में की जाती है। रोगों व कीटो से affected कपास की चुनाई अलग से की जानी चाहिए। कपास की चुनाई करते समय ध्यान रहे की कपास के साथ उसकी पत्तियां ना रहे।
चुनी गई कपास का भंडारण करने से पूर्व उसे अच्छे से dry यानि की सुखा लेना चाहिए और फिर जिस कमरे में कपास का भंडारण करना है वो कमरा चूहों से मुक्त व पूरी तरह से dry होनी चाहिए।
Conclusion Points
कपास की खेती एक प्राचीन प्रथा है जो सदियों से चली आ रही है। सबसे पहले ज्ञात कपास के पौधे मैक्सिको और दक्षिण अमेरिका में पाए गए थे और लगभग 5,000 ईसा पूर्व के हैं। कपास को पहली बार 16वीं शताब्दी में स्पेनियों द्वारा पुरानी दुनिया में पेश किया गया था।
कपास एक बहुमुखी पौधा है जिसे विभिन्न जलवायु और मिट्टी में उगाया जा सकता है। यह एक कठोर पौधा है जिसकी देखभाल करना अपेक्षाकृत आसान है, जो इसे किसानों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है।
कपास की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है और इसे न्यूनतम इनपुट के साथ किया जा सकता है, जिससे यह एक स्थायी फसल विकल्प बन जाता है।
कपास का उपयोग कपड़ों, घरेलू साज-सज्जा और औद्योगिक अनुप्रयोगों सहित विभिन्न उत्पादों में किया जाता है। कपास की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे यह दुनिया भर के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल बन गई है।
आप सज्जन कृषि ऑनलाइन वेबसाइट पर आए, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं बहुत ईमानदारी से कह सकता हूं कि यह इंटरनेट पर अंतिम या पहला आर्टिकल नहीं है.
मैंने, आप किसान भाइयों को सही जानकारी देने का एक प्रयास किया हूं. मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता हूं कि आप किसान भाइयों को थोड़ा सा भी नुकसान हो.
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Reference
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