मक्का की खेती के बारे में जानकारी जैसे मक्का में कीड़ा लगा है कौन सी दवा डालें?
मक्का की खेती के बारे में जानकारी जैसे मक्का में कीड़ा लगा है कौन सी दवा डालें? आइए इस आर्टिकल के माध्यम से पूरे विस्तार से एटूजेड जानकारी लेते हैं. हवा में धीरे-धीरे लहराते सुनहरे मक्के के डंठलों के हरे-भरे खेतों से गुज़रने की कल्पना करें।
यह दृश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला है और प्रचुरता और समृद्धि की भावना पैदा करता है। हालाँकि, इन प्रतीत होने वाले सुखद दृश्यों के भीतर एक मूक खतरा छिपा है – कीड़े जो हमारी कीमती मक्के की फसलों पर कहर बरपा सकते हैं। इन खतरनाक आक्रमणकारियों से हमारी फसल को बचाने के लिए, एक प्रभावी कीटनाशक का प्रयोग अनिवार्य हो जाता है।
लेकिन बाजार में मक्के के लिए सबसे अच्छा कीटनाशक होने का दावा करने वाले अनगिनत विकल्प उपलब्ध हैं, हम कैसे जानते हैं कि वास्तव में कौन सा कीटनाशक काम करेगा? इस लेख में, हम मकई के खेतों के लिए उपयुक्त विभिन्न कीटनाशकों को गहराई से समझते हैं और आपके निवेश की सुरक्षा के लिए बुद्धिमानी से चयन करने में आपकी मदद करते हैं।
क्या आप जानते है मक्का की वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर के आप अपना profit बढ़ा सकते हैं? जानिए इससे जुडी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे –
- मक्का की खेती का समय
- मक्का के खेत
- मक्का की बुवाई
- मक्का में खाद की मात्रा
- मक्का के लिए कीटनाशक दवा
- और भी बहुत कुछ.
मक्का की खेती की सबसे 3 अहम बातें हैं
- सही बीज का चुनाव
- फूल निकलने से पहले सिंचाई
- कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक की जानकारी.
अगर आप यह तीन बातों का ध्यान रखेंगे तो 99% चांस है कि आपका मक्का का खेती कभी भी फेल नहीं होगा बाकी ऊपर वाले की भी मर्जी होती है.
मक्का को फसल की रानी कहा जाता है. मक्का एक मोटा अनाज है जो की खरीफ, रबी तथा जायद ऋतु का फसल है. मक्का एक अधिक उपज वाली फसल है, मक्का को Carbohydrates का एक अच्छा श्रोत माना जाता है. मक्का ना केवल इंसान के खाने के काम में आता है बल्कि यह पशुओं के आहार के काम में आता है.
मक्का आज Industrial field में अपना एक महत्वापूर्ण जगह बना चूका है. मक्का को खाने के साथ साथ इसका इस्तेमाल oil बनाने के लिए भी किया जाता है. मक्का का maximum use मुर्गियों तथा पशुओं के चारे के रूप में होता है.
Industrial area में मक्का से Lotion starch, Chocolate, Protein, Paints, Ink जैसे products को बनाने के लिए किया जाता है. एक तरह से देखा जाये तो मक्का की खेती करने से बहुत से फायदे किये जा सकते है.
Makka Ki Kheti Kaise Kare
अगर आपके पास 50 से 100 डेसिमल (वर्ग गज) की जमीन है, तो आप उस पर मक्के की खेती करके आसानी से 25,000 से 40,000 रुपये तक कमा सकते हैं, और वो भी 3 से 4 महीनों के अंदर। सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें काम की मेहनत भी कम लगती है। तो चलिए जानते हैं कैसे करें मक्के की खेती, विस्तार से।
मक्के की खेती के लिए जलवायु: मक्का एक गर्म और आपुष्प जलवायु (hot and humid climate) की फसल है, इसलिए इसकी खेती के लिए गर्म और आपुष्प जलवायु वाले क्षेत्रों को चुनें। इसके खेती करने के लिए ऐसे भूमि को चुनें जहां पानी जमा नहीं होता और जमीन को आसानी से बिना समस्या के हलका समतल किया जा सकता है।
मक्के के खेत की तैयारी: मक्के की खेती के लिए खेत को तैयार करने के लिए पहली बारिश के बाद, जो जून के महीनों में होती है, अपने खेत को ध्यानपूर्वक जोत कर समतल करें।
मिट्टी की जाँच: मक्के की खेती के लिए मिट्टी की जाँच करें। आपको यह देखना चाहिए कि मिट्टी की pH वैल्यू क्या है। मक्के के लिए उचित pH स्तर 7.5 से कम होना चाहिए। आप इसे घर पर pH पेपर की मदद से जांच सकते हैं।
बुआई की विधि: मक्के की बुआई करते समय ध्यान दें कि बीज को 5 से 7 सेंटीमीटर गहराई में बोएं, और पंक्ति के बीच की दूरी 50 से 60 सेंटीमीटर हो और पौधों के बीच की दूरी 20 सेंटीमीटर हो।
खाद का उपयोग: मक्के की फसल के लिए गोबर की खाद का उपयोग करना फायदेमंद होता है। गोबर की खाद को जुलाई महीने के अंत में अपने खेत में फैला दें। इसके अलावा, जब बुआई की तैयारी करते समय, बुआई के समय खाद को भी मिलाएं।
पीएच की जांच: आपको अपने खेतों की मिट्टी की pH जांचनी चाहिए। अगर पीएच 7.5 से कम है, तो आपको अपने खेत में बेसिक पदार्थों का मिश्रण करना चाहिए।
मक्का में कौन सा खाद डालना चाहिए
मक्का (corn) एक महत्वपूर्ण फसल है और इसके उत्पादन के लिए सही प्रकार की खाद का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां मक्के की खेती में खाद का सही उपयोग करने के लिए विस्तार से जानकारी दी गई है:
- गोबर खाद (वर्षा खाद): मक्के की खेती में गोबर खाद का प्रयोग करना बहुत फायदेमंद होता है। यह खाद पौधों को पोषण प्रदान करती है और खेत को फुलवारी खाद के रूप में स्वस्थ रखती है। आप छह टन सड़ी हुई गोबर खाद प्रति एकड़ तक का प्रयोग कर सकते हैं।
- NPK खाद: मक्के के पौधों के विकास के लिए नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटाश (K) खाद की आवश्यकता होती है। आप 50 किलो डायमोनियम फॉस्फेट (DAP), 40 किलो मुरियेट ऑफ पोटाश (MOP) और 50 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से खाद दे सकते हैं।
- खाद की मात्रा और समय: खाद की मात्रा और समय को खेत की ज़मीन की गुणवत्ता के हिसाब से चुनना चाहिए। आपको खेत के परिपरिप्रेक्ष्य में जमीन की प्रकृति को देखकर खाद की विवेकपूर्ण रूप से प्रबंधन करना चाहिए।
- Sulfur (गंधक) की खाद: मक्के की खेती में सल्फर की खाद का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह पौधों के साथिक आवश्यक होता है और उन्हें अधिक सामर्थ्यपूर्ण बनाता है।
- बीज सुधारने की खाद: जब मक्का के पौधे घुटनों की ऊंचाई पर होते हैं, तो 50 किलो यूरिया प्रति एकड़ की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए। यह पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
- स्फुर खाद: स्फुर खाद का उपयोग जमीन की गुणवत्ता के आधार पर करना चाहिए। इसका उपयोग रबी फसलों में ज्यादा किया जाता है।
- मूलें खोदना: खेत में खाद को लागू करने से पहले, मूलों को खोदकर जमीन की गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए।
- फसल की आयु के हिसाब से खाद देना: मक्के के पौधों की आयु के हिसाब से खाद की मात्रा और प्रकार का चयन करना चाहिए।
- उर्वरकों की विवेकपूर्ण खरीद: उर्वरकों को खरीदने के समय कुशलता से काम करना चाहिए ताकि आप उच्च गुणवत्ता वाले उर्वरक प्राप्त कर सकें।
- खेत की सुरक्षा: खाद को सुरक्षित तरीके से स्टोर करना और उसका सही तरीके से प्रयोग करना चाहिए ताकि किसान और परिवार के सदस्य सुरक्षित रहें।
मक्का की खेती का समय को याद रखिए
भारत में प्रायः मक्के की खेती तीनो ऋतुओ में की जा सकती है.
- खरीफ – 25 मई से 15 जून तक की जाती है.
- रबी – 15 अक्टूबर से 20 नवम्बर तक की जाती है.
- जायद / बासंती एवं गरमा – जो की 15 फरवरी से 20 अप्रैल तक की जाती है.
जायद मक्का की खेती किसान भाई अपनी आमदनी बढ़ाने सकते हैं. सबसे अच्छी बात है कि यह कम समय में तैयार होता है और भुट्टो व चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसे भुट्टा की खेती भी कहते हैं.
मक्का की खेती के लिए ऊपर जो तिथि लिखा गया है वह तापमान पर आधारित होता है. आप जैसा कि जानते ही होंगे जलवायु परिवर्तन हो रहा है ऐसे में प्रत्येक वर्ष प्रत्येक तिथि को एक प्रकार का तापमान नहीं होता है.
यही कारण है कि मक्का का खेती कभी कभार पूरी तरह विफल हो जाता है. अगर आप इस कंफ्यूजन से बचना चाहते हैं तो इसके लिए भारत सरकार के वेबसाइट पर अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड कर दीजिए.
इससे आपको यह फायदा होगा की बुवाई की सही तारीख आपको एसएमएस के द्वारा प्राप्त हो जाएगा. यह सेवा भारत सरकार के तरफ से किसान भाइयों के लिए पूरी तरह मुक्त है. एक बार रजिस्ट्रेशन होने के बाद आपको कई सालों तक हिंदी में एसएमएस आते रहेगा.
मक्के के बीच का चुनाव मौसम हिसाब से होता है. सबसे पहले यह जान लीजिए कि किस मौसम और ऋतु में कौन सा बीज का उपयोग करना उचित होता है.
खरीफ बीज
- शक्तिमान-1
- शक्तिमान-2
- पूसा अगात संकर मक्का-3
- गंगा-11
- संकुल
- सुआन
- देवकी.
रबी बीज
- शक्तिमान-1
- शक्तिमान-2
- शक्तिमान-3
- शक्तिमान-4
- राजेन्द्र संकर मक्का -1
- राजेन्द्र संकर मक्का -2
- गंगा-11
- संकुल
- सुआन
- देवकी
- लक्ष्मी.
जायद / बासंती एवं गरमा बीज
- शक्तिमान-1
- शक्तिमान-2
- गंगा-11
- संकुल
- सुआन
- देवकी.
मक्का की बीज दर सही हिसाब रखें
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि मक्के की खेती के लिए 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर बोना चाहिए. सरलतम भाषा में कहा जाए तो 1 एकड़ में 8 से 9 किलो तक बीज की बुवाई करना चाहिए. क्योंकि लगभग 2.47 एकड़ (ढाई एकड़) भूमि एक हेक्टेयर कहा जाता है.
बीज की बुआई से पहले इस दवा का प्रयोग अवश्य करें
मक्का में कीड़ा मारने की दवा – मक्के की अच्छी production की लिए बीज को बोने से पहले आपने बीजो को अच्छे से जांच कर लें. मक्की के बीजों को बोने से पहले उन्हें फंफूदनाशक दवा का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.
बुआई से पहले बीज को फफूंदनाशक दवा जैसे कैप्टान, थीरम या वैेविस्टीन 2 से 2.5 ग्राम दवा, प्रति कि0 ग्रा0 बीज की दर से अवश्य उपयोग करना चाहिए. ज्यादा जानकरी के लिए आप आपने नजदीकी agricultural department से मिल कर उन से सलाह लें सकते है.
मक्का का यह बीज बिहार में बहुत ही पॉपुलर है
बिहार में बीते वर्ष DKC 9188 नाम का बीज बीज एक नया कीर्तिमान स्थापित कर चुका है. बिहार के कई जिलों में 50 क्विंटल प्रति एकड़ से भी ज्यादा का रिकॉर्ड बना चुका है.
एमएम 2100 नाम से मक्के की बीज बाजार में आने वाली है. एमएम-2100 में होनेवाली मक्के के पौधे ऊचाई ज्यादा बढ़ता है. पौधे की पत्तियां फैलती कम हैं और उपर की ओर बढ़ती है. इसी कारण प्रति पौध कम जगह लगती है.
मात्र 9 इंच (पौधों से पौधों के बीच) और 18 इंच (पंक्ति से पंक्ति) के अंतर पर बुआई करके हाइब्रिड एक एकड़ में 40,000 पौधों की स्वस्थ ग्रोथ ली जा सकती है. जबकि अन्य हाइब्रिड में 30,000 से 32,000 पौधे ही लग पाते हैं.
बिहार सरकार ने किसानों के लिए मक्के की बीज की होम डिलीवरी की शुरुआत की है. जिसके तहत संकर मक्का बीज 120 रुपये प्रति किलो हिसाब से घर पर मिलेगा.
बीज बोने के तरीकों जान लिजिए
मक्के की बुनाई वर्षा ऋतू के प्रारम्भ में या फिर वर्षा होने से 10 से 15 दिन पहले करनी चाहिए. मक्के के बीज को मेड के ऊपर 4 -6 cm की गहराई में बोना चाहिए. एक महीने के बाद जैसे की मक्के के पौधे निकलने लगेंगे उस पर मिटटी चढाने का काम शरू कर दें.
मक्के की बीज को लेकर यह कभी भी गलती ना करें
- घर के बीज का उपयोग ना करें.
- बीज खरीद समय, एक्सपायरी डेट को जरूर चेक कर लीजिए और तब भी बोवाई कीजिए.
- हाई प्रोटीन यील्ड मक्के के बीच का चुनाव करें.
- सरकारी संस्था जैसे एनएससी से बीज खरीदना चाहिए.
- बीज शोधन अवश्य करें ताकि सभी बीज अंकुरित हो सके इसके लिए दो ग्राम कार्बनडाजिम प्रति किग्राम बीज की दर से करें.
मक्के की खेती में सिंचाई की अहम भूमिका है
मक्के के खेती के लिए अधिक सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती है, लेकिन आवश्यक है. मक्के की खेती करने में लगभग 400-600 mm पानी की ज़रूरत होती है.
मक्के में जब पुष्पन और दाने भरने का समय होता है. तब उने सिंचाई की आवश्यकता होती है. जब दानों में दूध बनता है उस समय भी सिचाई अवश्य करें.
मक्के की बुवाई से यह सुनिश्चित कर लें कि मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी है या नहीं, अगर पर्याप्त मात्रा में नमी नहीं है तो ऐसे में सिंचाई करना आवश्यक है. तभी जाकर सभी बीच में अंकुरण समान रूप से हो पाएगा.
पहली सिंचाई पूरी तरह हल्की होना चाहिए, ताकि मेड के ऊपर दो तिहाई ऊंचाई से ज्यादा पानी ने चढ़े.
- दूसरी सिंचाई 2 से 25 दिन की फसल होने पर (तीन से चार पत्ती का पौधा)
- तीसरी सिंचाई फूल आने पर (सबसे आवश्यक)
- चौथी सिंचाई दाना भरने पर (सबसे आवश्यक).
बारिश होने सिंचाई को टाल सकते हैं. आवश्यकता पड़ने पर इससे ज्यादा भी सिंचाई कर सकते हैं.
खरपतवार / जंगल कम करने की दवा
बीज बुआई के तुरंत बाद (दो से 3 दिन) 400 से 600 ग्राम एल्ट्राजीन प्रति एकड़ 200 से 250 लीटर पानी में गोल कर छिड़काव करने से भी खरपतवार नियंत्रण हो
अगर किसान भाई 2 से 3 दिन के बाद अल्ट्रा जीन का छिड़काव नहीं कर पाते हैं, तो उनके पास कुछ विकल्प हो सकते हैं। एक विशेषज्ञ के सुझाव के अनुसार, मक्के के पौधों में जब दो से तीन पत्तियाँ हो जाती हैं, तब तक आप अल्ट्राजीन का उपयोग कर सकते हैं।
हालांकि, ध्यान दें कि आपको अधिक मात्रा में उपयोग करना चाहिए और इसका सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए। यह उपयोगी हो सकता है विकास के स्थायी चरण में।
अल्ट्राजीन का छिड़काव करते समय, आपको फ्लैट नोजल या फ्लैट जेट नोजल का उपयोग करना चाहिए, ताकि कोई भी मिट्टी का हिस्सा बचा न रहे।
यदि फिर भी खराबी दिखाई देती है, तो बुआई के तीन और छह हफ्तों के बाद फिर से छिड़काव करना चाहिए।
बुवाई के समय दीमक की संभावनाएं होने पर क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव अवश्य करें.
मक्का में कीड़ा लगा है कौन सी दवा डालें?
मक्का के लिए कीटनाशक दवा
- कजरा कीट – क्लोरपायरीफॉस
- धड़ छेदक – कार्बाफ्यूरान 3 जी, फोरेट 10 जी, इमीडाक्लोरप्रिड
- भुट्टा छिद्रक – नुभान (डाइक्लोरोभॉस)
- पत्रलांछन (झूलसा) – कार्वेन्डाजीम थीरम और मैन्कोजेब
- जीवाणु जनित तना सड़न – ब्लीचिंग पाउडर
- हरदा (त्नेज) – मैन्कोजेब
- तुलासिता रोग – मैन्कोजेब 75
- पत्तियों का झुलसा रोग – जिनेब
- डाउनी मिल्डयू – डायथेन एम-45
- तना सड़न – केप्टान .
अगर मक्के में कीड़ा लगा है, तो आपको उपयुक्त कीटनाशक दवा का उपयोग करना चाहिए। यहां कुछ कीटनाशक दवाओं के नाम और उनके उपयोग के बारे में जानकारी दी गई है:
कजरा कीट (Corn Borer) – क्लोरपायरीफॉस
- उपयोग: कजरा कीट के खिलाफ क्लोरपायरीफॉस दवा का प्रयोग किया जा सकता है।
धड़ छेदक (Stem Borer) – कार्बाफ्यूरान 3 जी, फोरेट 10 जी, इमीडाक्लोरप्रिड
- उपयोग: धड़ छेदक के खिलाफ कार्बाफ्यूरान 3 जी, फोरेट 10 जी, या इमीडाक्लोरप्रिड का उपयोग किया जा सकता है।
भुट्टा छिद्रक (Maize Aphid) – नुभान (डाइक्लोरोभॉस)
- उपयोग: भुट्टा छिद्रक के खिलाफ नुभान (डाइक्लोरोभॉस) का उपयोग किया जा सकता है।
पत्रलांछन (Leaf Blight) – कार्वेन्डाजीम थीरम और मैन्कोजेब
- उपयोग: पत्रलांछन (लीफ ब्लाइट) के खिलाफ कार्वेन्डाजीम और मैन्कोजेब का उपयोग किया जा सकता है।
जीवाणु जनित तना सड़न (Bacterial Stalk Rot) – ब्लीचिंग पाउडर
- उपयोग: जीवाणु जनित तना सड़न के खिलाफ ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग किया जा सकता है।
हरदा (त्नेज) (Fall Armyworm) – मैन्कोजेब
- उपयोग: हरदा (त्नेज) जैसे कीटनाशक को मैन्कोजेब के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
तुलासिता रोग (Rust Disease) – मैन्कोजेब 75
- उपयोग: तुलासिता रोग के खिलाफ मैन्कोजेब 75 का उपयोग किया जा सकता है।
पत्तियों का झुलसा रोग (Leaf Blight) – जिनेब
- उपयोग: पत्तियों का झुलसा रोग के खिलाफ जिनेब का उपयोग किया जा सकता है।
डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew) – डायथेन एम-45
- उपयोग: डाउनी मिल्ड्यू (डाउनी ब्लाइट) के खिलाफ डायथेन एम-45 का उपयोग किया जा सकता है।
तना सड़न (Yellowing of Leaves) – केप्टान
- उपयोग: तना सड़न (पत्तियों के पीलापन) के खिलाफ केप्टान का उपयोग किया जा सकता है।
यह सभी कीटनाशक दवाएँ विभिन्न कीटों और रोगों के खिलाफ हैं, और उनका उपयोग केवल विशेष प्रकार के कीटों और रोगों के आक्रमण पर निर्भर करता है। आपको अपने खेत की स्थिति के आधार पर उपयुक्त दवा का चयन करना चाहिए, और आपको किसानी विशेषज्ञ से सलाह लेना भी फायदेमंद हो सकता है।
मक्के के पौधे के प्रमुख रोगों के बारे में जानिए
पत्तियों का झुलसा रोग
इस रोग में पत्तियों को ज्यदा effect होता है. इस रोग में पत्तियों के बिज में लम्बे नाव जैसे आकार बनाकर पत्तियों में भुरे रंज का धब्बा बन जाता है. ये रोग शुरुवात में निचले पत्तियों में होता है और धीरे धीरे यह ऊपर की पत्तियों को भी effect करने लगता है.
इस रोग से बचने की लये जिनेब का 0.12% के घोल को फसलो पर छिडकाव करने से यह रोग दूर हो जाता है.
डाउनी मिल्डयू (Downey mildew)
यह रोग बीज बोने के 2 से 3 सप्ताह के बाद होता है. इस रोग में छोटी हरी पत्तियों में धारिपन आने लगता है तथा effect area में सफेद रुई की तरह दिखाई देने लगता है. यह बीमारी पत्तियों के growth को रोकता है.
मक्का में कीड़ा मारने की दवा
मक्के के पौधे को इस रोग से बचाने के लिए डायथेन एम-45 नामक दवा का घोल बना के 3 से 4 बार अपने फसलो पर छिडकाव करें.
तना सड़न
इस रोग में पौधे से निचले हिस्से यानि के जड़ो में संक्रमण प्रारंभ हो जाता है. जिससे की जल्दी सड़ने लगती है, पौधों के पत्तियां पिली पड़ने लगती है और पौधा धीरे धीरे सूखने लगता है.
इस रोग के नजर आते ही 150 ग्रा. केप्टान को 100 ली. पानी में मिला कर पौधों के जड़ो में डाले.
मक्का के लिए कीटनाशक दवा के बारे में जानिए
कजरा कीट के लिए दवा उपयोग कैसे करें
क्लोरपायरीफॉस 20% तरल का 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर फसल के जड़ पर छिड़काव कर सकते हैं.
धड़ छेदक (स्टेम बोरर) के लि एदवा उपयोग कैसे करें
कार्बाफ्यूरान 3 जी या फोरेट 10 जी दानेदार कीटनाशी का 4-5 दाने प्रति गभ्भा की दर से व्यवहार कर सकते हैं. इसके अलावा इमीडाक्लोरप्रिड 17.8 एस0एल0 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें.
भुट्टा छिद्रक (हेलिकोवेर्पा अर्मिगेरा) के लिए दवा उपयोग कैसे करें
पांच मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में नीम आधरित दवा का घोल बनाकर छिड़काव करें. नुभान (डाइक्लोरोभॉस) 0.5 से 1 मिलीलीटर का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें.
पत्रलांछन (झूलसा) लीफ ब्लाइट के लिए दवा उपयोग कैसे करें
कार्वेन्डाजीम दो ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से अथवा थीरम 2 ग्राम प्रति किग्रा0 बीज की दर से बीजोपचार कर ही बुआई करें. मैन्कोजेब 75% घुलनशील चूर्ण का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।ट.
जीवाणु जनित तना सड़न(बैक्टीरियल स्टेम रोट) के लिए दवा उपयोग कैसे करें
ब्लीचिंग पाउडर 12 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से आक्रांत भाग पर छिड़काव करें.
हरदा (त्नेज) के लिए दवा उपयोग कैसे करें
मैन्कोजेब 75% घुलनशील चूर्ण का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें.
तुलासिता रोग (डोव्नी मिल्ड्यू) के लिए दवा उपयोग कैसे करें
मैन्कोजेब 75% घुलनशील चूर्ण का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें.
फॉल आर्मी वर्म नामक कीड़े से मक्के के पौधों को बचाव कैसे करें
फॉल आर्मी वर्म नामक कीड़े से मक्के के पौधों का पत्तियों को सीधे चट कर जाता है या उसे काट कर गिरा देता है. जिससे लाखों हेक्टेयर में लगे मक्के की खेती बेकार हो जाती है. यदि आप इस तरह के कीड़े से परेशान हो तो आप यह तरीका अपना सकते हैं.
स्पिनेटोरम, क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोएल, थियामेथोक्साम और लैम्बडा साइहैलोथ्रीन को पानी में मिलाकर छिड़काव करने से आपको निजात मिल जाएगा. यह सारे केमिकल को मिश्रण बनाकर मार्केट में अलग-अलग ब्रांड बेच रहे हैं जिसे आप खरीद सकते हैं.
मक्का के लिए सबसे अच्छा कीटनाशक कौन है?
मक्के के लिए सबसे अच्छा कीटनाशक उसके प्राकृतिक आक्रमण और आपके क्षेत्र की स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए आपको अपने क्षेत्र की स्थिति और मक्के पर प्राकृतिक आक्रमण की जांच करनी चाहिए और उसके आधार पर स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या किसानी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
सामान्यत:
- कजरा कीट के खिलाफ क्लोरपायरीफॉस (Chlorpyrifos) अच्छा हो सकता है।
- धड़ छेदक के खिलाफ कार्बाफ्यूरान (Carbofuran) या फोरेट (Phorate) उपयुक्त हो सकते हैं।
- भुट्टा छिद्रक के खिलाफ नुभान (Dichlorvos) का उपयोग किया जा सकता है।
- पत्रलांछन (Leaf Blight) के खिलाफ कार्वेन्डाजीम (Carbendazim) और मैन्कोजेब (Mancozeb) उपयुक्त हो सकते हैं।
- जीवाणु जनित तना सड़न के खिलाफ ब्लीचिंग पाउडर (Bleaching Powder) उपयुक्त हो सकता है।
- हरदा (त्नेज) (Fall Armyworm) के खिलाफ मैन्कोजेब (Mancozeb) उपयुक्त हो सकता है।
- तुलासिता रोग (Rust Disease) के खिलाफ मैन्कोजेब 75 (Mancozeb 75) उपयुक्त हो सकता है।
- पत्तियों का झुलसा रोग के खिलाफ जिनेब (Zineb) उपयुक्त हो सकता है।
- डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew) के खिलाफ डायथेन एम-45 (Dithane M-45) उपयुक्त हो सकता है।
- तना सड़न (Yellowing of Leaves) के खिलाफ केप्टान (Captan) उपयुक्त हो सकता है।
कृपया ध्यान दें कि कीटनाशकों का उपयोग ज्यादातर स्थानीय कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित होना चाहिए, और विशिष्ट सिट्यूएशन और कीट प्रबंधन की आवश्यकताओं के आधार पर किया जाना चाहिए।
कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक दवाइयों के उपयोग में यह सावधानी जरूर अपनाएं
- सबसे पहले इसे बच्चों से दूर रखें.
- छिड़काव करते समय नाक पर कपड़ा बांध लें या मास्क जरूर पहनें.
- हाथों में प्लास्टिक के हैंड ग्लव्स को जरूर पहनें.
- छिड़काव करने के बाद अपने शरीर की अच्छे से सफाई कर लें.
- फिर काम करने के बाद, सर में चक्कर आता हो या उल्टी होता हो तो आप डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
कैसे पहचानेंगे कि अब मक्के की कटाई करना चाहिए
मक्की के पौधे से भुट्टो को तभी तोड़ना चाहिए. जब भुट्टे का छिलका सूख जाए या उसका रंग हल्का पीला रंग का हो जाए. अगर भुट्टे का रंग पीला नहीं पड़ा है और आप उसे तोड़ लेते हैं तो याद रखिए कि मक्के का आकार चिपका हो सकता है.
मक्के का दाना ना टूटे इसके लिए आपके पास क्या विकल्प हैं?
बुड्ढे को तोड़ने के बाद उसे सुखाना तब तक चाहिए. जब तक कि नमी की मात्रा 15% से कम ना हो जाए. 15 परसेंट से कम नमी की मात्रा वाला मक्के के भुट्टे की थ्रेसिंग करने में मक्का का कोई हिसाब टूटता नहीं है.
याद रखें कि अगर मक्का का भुट्टा जरूरत से ज्यादा सूख गया है तो ऐसे में भी दाना टूट जाता है. मक्के की नमी चेक करने के लिए एक मशीन आता है जिससे आप बहुत ही आसानी से मक्के की नमी को जान सकते हैं. उस मशीन का नाम Moisture Meter है जो 1500 से 2000 ₹ में मिल जाता है.
मक्के के खेत में अन्य खेती से आप अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं
मक्के के खेतों में जब मक्का छोटा होता है तो काफी जगह बन जाता है. जैसे जाने के समय मक्का के खेतों में आप धनिया उगा सकते हैं.
यही नहीं आप मिर्ची की भी खेती मक्का के खेतों में कर सकते हैं. मक्का के पौधे बड़ा होने से पहले मिर्ची पक जाता है. इस तरह के अंतर वरती खेती करने से खरपतवार की समस्या से भी निजात मिल जाता है. इससे आपकी आय भी बढ़ सकती है.
अगर मक्के की सीजन में सही कीमत ना मिले तो क्या करें
मक्के की अगर आपको सीजन में सही कीमत नहीं मिल रहा है तो आपके पास एकमात्र विकल्प है कि उसे आप भंडारित करके घर में रखे हैं. लेकिन मक्का का भंडारण इतना आसान नहीं होता है.
दूसरी सबसे बड़ी समस्या की जो पूंजी मक्का की खेती में बसाया था. अगर वह समय पर वापस नहीं मिला तो दूसरी खेती का काम रुक जाता है.
एक कहावत है कि मरता तो क्या नहीं करता, ऐसी स्थिति में आप इसे भंडारित करके कुछ दिनों का इंतजार कर सकते हैं. बिहार के कुछ जिलों में ड्रायर हाउस खुला है, यहां के किसान बहुत ही मामूली कीमत देकर के मक्का को मशीन में सुखा सकते हैं. इसमें लगभग गारंटी होती है कि आपका मक्का 1 साल के लिए खराब नहीं होगा.
Makke ki kheti ki jankari आपके लिए बहुत उपयोगी रहा होगा. इससे संबंधित आपके पास कोई प्रश्न हो तो comment जरूर करें.
Conclusion Points
मक्की में कौन सा उर्वरक और कीटनाशक लगाना चाहिए, इस पर विचार करते समय फसल की विशिष्ट आवश्यकताओं और चुनौतियों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। मक्के की पोषक तत्व आवश्यकताओं को समझने और मृदा परीक्षण करने से उपयोग के लिए सर्वोत्तम उर्वरक का पता लगाने में मदद मिल सकती है।
मक्के को संक्रमित करने वाले आम कीटों का पता लगाना और प्रभावी कीटनाशकों पर शोध करना भी सबसे अच्छा कीटनाशक चुनने में मदद कर सकता है। विस्तार सेवाओं या कृषि विशेषज्ञों से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपके भौगोलिक स्थान और बदलते परिस्थितियों के लिए अनुशंसित विशिष्ट कीटनाशकों और उर्वरकों का पता लगाना महत्वपूर्ण है।
किसान पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए उर्वरक और कीटनाशकों का सही चयन कर सकते हैं। याद रखें, लेबल पर दिखाई देने वाले निर्देशों का हमेशा सावधानीपूर्वक पालन करें।
Reference
आपके द्वारा लिखे गए संवाद मुझे बहुत ज्यादा पसंद आया मैं अपने गांव के किसान भाइयों को इसके बारे में जरूर बताऊंगा.