हाइब्रिड व देसी खीरा की खेती: जाड़ा, गर्मी और बरसाती की आधुनिक जानकारी
क्या आप अपनी खीरे की खेती को अगले स्तर पर ले जाने में रुचि रखते हैं? यदि हां, तो खेती की प्रक्रिया को वैज्ञानिक तरीके से अपनाना महत्वपूर्ण है।
चाहे आप संकर खीरे या देशी खीरे की खेती करना चाह रहे हों, यह लेख आपको आवश्यक सभी जानकारी प्रदान करेगा। खीरे की खेती की मूल बातें समझने से लेकर उन्नत कृषि तकनीकों की खोज तक, हम यह सब कवर करेंगे।
- बरसाती खीरा की खेती
- देसी खीरा की खेती
- हाइब्रिड खीरा की खेती
इसलिए यदि आप खीरे की खेती में विशेषज्ञ बनना चाहते हैं और इसके आकर्षक अवसरों का लाभ उठाना चाहते हैं तो अंत तक पढ़ते रहें।
भारत में खीरा एक महत्वपूर्ण और फायदेमंद कृषि फसल है, जो पूरे देश में उगाया जाता है। हालाँकि पहले लोगों ने सोचा था कि खीरे की खेती केवल गर्मियों में ही संभव है, आज की तकनीक और जलवायु बदलते मौसम ने दिखाया है कि वर्षा, शीतकाल और बसंत-ग्रीष्म जैसे समय पर भी खीरे की खेती की जा सकती है।
खेत में खीरे को उगाने का सही समय चुनना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। खीरे की वैज्ञानिक खेती में इसे 60 से 80 दिनों में जीवनकाल पूरा होता है, इसलिए इसे “छोटी फसल” कहा जाता है। यह खासकर उन किसानों के लिए अच्छा है जो जल्दी उत्पादन करके अपना निवेश वापस करना चाहते हैं।
खीरा खाने में स्वादिष्ट होता है और बहुत पौष्टिक है। इसमें प्रोटीन, विटामिन C, आयरन और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं। खेत में इस समय पर्याप्त पानी होता है, इसलिए खीरे की फसल अधिक प्राप्त होती है, विशेष रूप से वर्षा ऋतु में। इसलिए, खीरे की खेती के लिए यह समय सबसे अच्छा रहता है और किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है।
खीरे की खेती में सफलता पाने के लिए समयबद्ध रूप से खेती की तैयारी करनी चाहिए. इसमें सही बीज का चयन, उचित बीज बोने की प्रक्रिया, खेत में उर्वरकों का सही उपयोग और उचित जलवायु का ध्यान देना चाहिए। एक विशेषज्ञ किसान के रूप में, यही जानकारी किसानों को उनके खेतों में खीरे की सफल खेती करने में मदद करती है।
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बरसाती खीरा की खेती: सरल और लाभकारी उपाय |
भारतीय कृषि सारी दुनिया में मशहूर है, और इसका हिस्सा बनने के लिए एक उत्कृष्ट खेती तकनीक के लिए उपयुक्त भूमि और जलवायु की आवश्यकता होती है। बरसाती खीरा की खेती इसी तरह की खेती है, जो भारत के अधिकांश क्षेत्रों में उपयुक्त है। बरसाती खीरा एक लाभकारी और सरल खेती विचार है, और यह खेतीकारों को अच्छा मुनाफा कमाने का मौका देता है।
1. उपयुक्त भूमि का चयन: बरसाती खीरा की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन करना महत्वपूर्ण है। बरसाती खीरा के पौधे आच्छादित जगह पर उगाए जाते हैं जिसमें पूरे दिन सूरज की रोशनी मिले। खीरा की खेती के लिए मिट्टी को अच्छे से खोदना चाहिए ताकि पानी सुच सके और बरसाती खीरा के पौधों को सही ढंग से पानी मिल सके। 2. बीज चुनाव: बीज का चयन एक महत्वपूर्ण निर्णय है। बरसाती खीरा के लिए सुखे और साँचे हुए बीजों का चयन करें, जो उच्च उत्पादकता और बीमारियों से प्रतिरक्षण करने में मदद करें। 3. बोना गया खाद्य: बरसाती खीरा की खेती के लिए खाद्य सामग्री का उचित उपयोग करें। खीरा के पौधों को खुराक प्रदान करने के लिए जैविक खाद्य सामग्री का उपयोग करें, जैसे कि गोबर की खाद, कम्पोस्ट, और जैव उर्वरक। 4. प्रकृतिक जल संचालन: बरसाती खीरा की खेती के दौरान प्रकृतिक जल संचालन का उपयोग करें। वर्षा के पानी को सुझाने और संचित करने के लिए तालाब और खूबसुरत नाले का उपयोग करें। 5. पौधों की देखभाल: बरसाती खीरा के पौधों की देखभाल महत्वपूर्ण है। पौधों को नियमित रूप से पानी दें और उन्हें खाद्य सामग्री के साथ प्रदान करें। पौधों की जड़ें गहरी और मजबूत होनी चाहिए ताकि वे उच्च उत्पादकता प्राप्त कर सकें। 6. बीमारियों और कीटों से बचाव: बीमारियों और कीटों से खीरा के पौधों को सुरक्षित रखने के लिए उचित प्रबंधन करें। कीटों को नियमित अंतराल पर नियंत्रित करें और उचित बीमारी प्रबंधन के उपायों का उपयोग करें। 7. प्रूनिंग और अल्पालन: खीरा के पौधों को प्रून करने का उपयोग करके उच्च उत्पादकता प्राप्त करें। अल्पालन का उपयोग करके पौधों को खेत में उच्च ताक पर उगाएं ताकि वे सड़ने और बीमारियों से बच सकें। 8. पानी की बचत: बरसाती खीरा की खेती के दौरान पानी की बचत करना महत्वपूर्ण है। खीरा के पौधों को प्राथमिक रूप से पानी दें और उन्हें जल संचालन की सहायता से पानी प्रदान करें। 9. बाजार में बेचाव: अच्छी गुणवत्ता वाले बरसाती खीरा को बाजार में बेचने के लिए एक स्थिर बाजार का चयन करें। उच्च मूल्य प्राप्त करने के लिए खीरा को स्वयं बाजार में पहुंचाने का प्रयास करें। 10. उत्पादन और मूल्य वृद्धि: बरसाती खीरा की खेती के साथ-साथ उत्पादन को बढ़ाने और मूल्य वृद्धि के उपायों का उपयोग करके अधिक लाभ कमाने का प्रयास करें। उत्पादों को सुधारने के लिए उच्च गुणवत्ता के पैकेजिंग और ब्रांडिंग का उपयोग करें। संक्षेप: बरसाती खीरा की खेती एक सरल और लाभकारी खेती विचार है, जो भारतीय कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। इस खेती को अच्छी तरह से प्रबंधित करने के उपायों का पालन करके किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और खीरा की खेती में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। |
खीरे की आधुनिक खेती कैसी करें?
खीरे की आधुनिक खेती करने के लिए विज्ञानिक तरीके का प्रयोग करना महत्वपूर्ण है जिससे खीरे की उत्पादनता और गुणवत्ता में सुधार हो सके।
आजकल खीरे की खेती के लिए ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस के सहायता से खेती का अधिकतम उत्पादन संभव हो रहा है। इससे खीरे की खेती को कम जगह पर भी उत्तर्त्तीत प्रदर्शन करने में सक्षम है और खीरा फसल को 2 से 4 दिनों तक भंडारण कर सकते हैं। पंजाब, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र में खीरे की खेती की बहुत अच्छी मांग है।
खीरे की आधुनिक खेती को शुरू करने के लिए निम्नलिखित जानकारी ध्यान में रखें:
1. भूमि चयन: खीरे की खेती के लिए मिट्टी के चयन में ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खीरी की उन्नत खेती के लिए लोम (लोम) और सैंडी लोम (बालूई लोम) भूमि अधिक उपयुक्त होती है। भूमि का उपयुक्त और सही उच्चता पर्वतीय क्षेत्रों में भी खीरे की खेती का उत्तर्त्तीत उत्पादन कर सकते हैं।
2. बीज चुनाव: आधुनिक खेती के लिए उच्च उत्पादकता और उत्तम गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। वैज्ञानिक अध्ययन और खेती के विशेषज्ञों से परामर्श करके उच्च उपजाऊ वार्षिक या हाइब्रिड बीजों को चुनें।
3. जलवायु विवेचना: खीरे की खेती के लिए उच्च तापमान और नियमित बरसाती वर्षा आवश्यक होती है। खीरे की फसल बढ़ने के लिए 13-18 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है और पौधों को विकसित होने के लिए 18-24 डिग्री सेल्सियस तापमान अधिक उपयुक्त होता है।
4. प्रकृतिक खाद: खीरे की उन्नत खेती में कार्बनिक खाद का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। खेत की तैयारी के समय खेत में सड़े हुए गोबर को मिश्रण में डालने के साथ ही खेत में 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 70 किलोग्राम पोटाश, और 60 किलोग्राम फॉस्फोरस जैसे महत्वपूर्ण तत्वों को डालकर उपजाऊ खेती को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
5. समयबद्ध बीज बोना: बीज बोने का सही समय चयन खेती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। खेत में बीजों को एक सेंटीमीटर गहराई में बोना जाता है। पौधे फैलने के बीच में 50-100 सेंटीमीटर की दूरी रखना भी उत्तर्त्तीत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण होता है।
6. प्रबंधन और देखभाल: खीरे की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से प्रबंधन और देखभाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खेत में अशुद्धि, कीटाणु, और रोगों का नियंत्रण करने के लिए उचित कीटनाशकों का उपयोग करें। नियमित जल सिंचाई, कीटनाशकों के उपयोग का प्रबंधन, और अच्छे फसली देखभाल के माध्यम से उच्च उत्पादन को सुनिश्चित करें।
खीरे की आधुनिक खेती के इन विज्ञानिक तरीकों का प्रयोग करके, आप अपने खेत में उत्तर्त्तीत खीरे की उच्च उत्पादनता का लाभ उठा सकते हैं और इससे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। विशेषज्ञों द्वारा सलाह लेना और नवीनतम खेती तकनीकों का अनुसरण करना खीरे की आधुनिक खेती को सफल बनाने में मदद कर सकता है।
खीरे की खेती के लिए जलवायु कैसा होना चाहिए?
खीरे की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु का महत्वपूर्ण रूप से ध्यान रखना आवश्यक होता है। खीरे की फसल शीतोषण (गर्मियों) और समशीतोषण (बरसाती) दोनों प्रकार के जलवायु में उगाई जा सकती है।
खीरे के पौधों को फूलने के लिए उचित तापमान की आवश्यकता होती है। खीरे के फूलने के लिए 13 से 18 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान अनुकूल होता है।
इस प्रकार के तापमान में पौधों के विकास को संतुलित रूप से समर्थित किया जा सकता है। पौधों के बढ़ने के लिए आवश्यक तापमान 18 से 24 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इसलिए, उच्च उत्पादन के लिए यह तापमान उचित होता है।
खीरे की खेती के लिए भूमि का चयन भी महत्वपूर्ण है। खेती के लिए सभी तरह की मिट्टी में खीरे की खेती की जा सकती है, लेकिन लोम (दोमट) और सैंडी लोम (बालूई दोमट) भूमि खीरे की उन्नत खेती के लिए उत्तम होती हैं।
इन मिट्टी के लिए पानी के संचयन की क्षमता अधिक होती है जिससे पौधों को उचित पोषण मिलता है। खीरे की खेती के लिए नदियों के फूटहिल्स (पहाड़ी क्षेत्र) भी अच्छे से उपयुक्त होते हैं।
आधुनिक खेती में खीरे की खेत के लिए जमीन में पानी निकलने का रास्ता होना भी आवश्यक है। खेत में पानी की भराई न होना चाहिए, वरना पौधों का विकास प्रभावित हो सकता है और उत्पादकता कम हो सकती है। समय-समय पर सुरक्षित और पर्याप्त सिंचाई का प्रबंधन करके उच्च उत्पादकता के लिए सही जलवायु विशेषज्ञों से सलाह लेना आवश्यक होता है।
इस रूप में, खीरे की खेती के लिए उचित जलवायु का चयन करना महत्वपूर्ण है जिससे पौधों को उत्तर्त्तीत विकास के लिए उचित माहौल मिले और खीरे की उच्च उत्पादकता संभव हो।
- जापानी लौंग ग्रीन
- स्ट्रेट एट
- हिमांगी
- पोइनसट
- जोवईंट सेट.
देसी खीरे की खेती के लिए उचित बीज का चुनाव और खेत की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यहां, आपको इन दोनों विषयों पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी:
देसी खीरा की खेती के लिए बीज का चुनाव:
1. देसी खीरा: देसी खीरा बीज का चयन करने के लिए आपको स्थानीय किसानों और प्राकृतिक बीजों के बीज विक्रेताओं के साथ संपर्क करना चाहिए। देसी खीरा विविधता में होता है और स्थानीय क्षेत्रों में अच्छे रूप से उगता है। इससे न केवल खेती के लिए उचित प्रकृतिक संकेत मिलते हैं, बल्कि आप एक स्थानीय जीवन पद्धति को समर्थन करने में भी मदद करते हैं।
2. हाइब्रिड खीरा: हाइब्रिड खीरे के बीजों का चयन करते समय आपको उन्नत जीवनशैली और उच्च उत्पादकता की दृष्टि से चयन करना चाहिए। हाइब्रिड बीज उच्च उत्पादकता और विषमता के लिए विख्यात होते हैं। इन बीजों का चयन करते समय बीजों के विशेषज्ञों से सलाह लेना उचित होता है। इसके लिए कृषि विज्ञान के संशोधन संस्थानों या कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेना भी आवश्यक होता है।
खेत की तैयारी / Prepration of Land:
1. जमीन का चयन: खेती के लिए समृद्ध और उपयुक्त जमीन का चयन करना महत्वपूर्ण है। खीरे की खेती के लिए लोम और सैंडी लोम भूमि उच्च उत्पादकता के लिए उत्तम मानी जाती हैं। इन भूमियों में पानी के संचयन की क्षमता अधिक होती है जिससे पौधों को उचित पोषण मिलता है। इसके लिए जलवायु विशेषज्ञों से सलाह लेना आवश्यक होता है।
2. जुताई का काम: खेत की तैयारी में जुताई का काम महत्वपूर्ण होता है। जुताई के लिए सबसे पहले भूमि को पलटने वाले हल से अच्छे से जुताई करें। जुताई के लिए 2 से 3 बार समान्य हल या कल्टीवेटर का उपयोग करें ताकि भूमि उचित रूप से तैयार हो सके। आखरी जुताई के बाद, खेत में 200 से 300 क्विंटल जैविक खाद (सड़े हुए गोबर) डालने से पौधों को उचित पोषण मिलता है। इसके अलावा, 40 से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 70 किलोग्राम पोटाश, 60 किलोग्राम फास्फोरस जैसे तत्वों को खेत तैयार करते समय डालें।
3. नालियों का बनाना: खेत में पानी निकलने के लिए नालियाँ बनाना भी महत्वपूर्ण होता है। खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए, वरना पौधों का विकास प्रभावित हो सकता है और उत्पादकता कम हो सकती है। समय-समय पर सुरक्षित और पर्याप्त सिंचाई का प्रबंधन करने से उच्च उत्पादकता होती है।
इस रूप में, देसी खीरा की खेती के लिए उचित बीज का चयन और खेत की तैयारी करना खेती में उच्च उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण है। उपरोक्त सलाहों का पालन करके आप एक सफल खीरे की खेती शुरू कर सकते हैं।
खीरा लगाने का सही समय क्या है?
खेती करने की लिए हमें यह जानना बहुत ही ज़रूरी होता है, कि हमें अपने खेतो में कितने quantity में बीजो को लाए तथा किस वक्त लगाये ता की हम अच्छे फसल की production कर सकें.
खीरा लगाने का सही समय
खीरा एक महत्वपूर्ण सब्जी है और इसकी खेती का सही समय चुनना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। खीरे को दो विभिन्न मौसमों में बोए जा सकता है:
- गर्मी फसल (Summer Crop): खीरा की गर्मी में फसल को जनवरी से मार्च के बीच बोया जा सकता है।
- बरसाती फसल (Monsoon Crop): खीरा की बरसाती मौसम में फसल को जून से जुलाई के दौरान बोया जा सकता है।
बीज की बोवाई और दूरी
- बीज दर: हर हेक्टेयर भूमि के लिए कम से कम 2 से 3 किलोग्राम खीरे के बीजों की आवश्यकता होती है।
- पौधों की दूरी: खीरे के पौधे फैलते हैं, इसलिए अच्छी फसल के लिए बोते जाने वाले बीजों की आपसी दूरी कम से कम 50 से 100 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- पंक्ति की दूरी: खीरे की खेती करते समय खेत में पंक्तियां बनाने के लिए पंक्तियों के बीच की दूरी कम से कम 150 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- बीज की गहराई: खीरे के बीजों को भूमि में 1 सेंटीमीटर की गहराई में बोना जाना चाहिए।
खाद / उर्वरक
जैविक उर्वरक (Organic Manure): खीरे की खेती में जैविक उर्वरक का उपयोग करने से आप बेहतर उत्पादन की उम्मीद कर सकते हैं। खेत की आखिरी जोताई के समय 200 से 300 क्विंटल शुद्ध गोबर को खेत में अच्छे से मिलाएं, साथ ही 40 से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 70 किलोग्राम पोटैशियम, और 60 किलोग्राम फॉस्फोरस जैसे तत्वों को खेत को तैयार करते समय मिलाएं।
Micro Jaim और Super Gold Magnesium: फसल होने के बाद 20-25 दिन के बाद, Micro Jaim (500 मीटर प्रति लीटर) और Super Gold Magnesium (2 किलोग्राम) को 400 से 500 लीटर पानी में मिलाकर क्यारियों में छिड़काव करें।
सिंचाई
खरीफ के फसलों को सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन यदि बारिश नहीं हो रही है, तो फसलों को आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें। गर्मियों के मौसम में होने वाली फसलों को 2 से 3 दिनों के अंतराल में सिंचाई करना उपयुक्त होता है।
खरपतवार
बीज बोये जाने के ठीक 20-25 दिन बाद, जब पौधे बढ़ने लगते हैं, तब निराई-गुडाई करने से पौधों की अच्छी वृद्धि होती है। इससे फलों की भी अच्छी और अधिक उत्पादन होता है। खेतों में विशेष पौधे, जो खीरे के पौधों की वृद्धि को रोकते हैं, को खेत से निकाल देना चाहिए।
रोग नियंत्रण / Common Diseases
खीरे की खेती में पाए जाने वाले कुछ आम रोग निम्नलिखित हैं:
1. विषाणु रोग (Bacterial Wilt):
विषाणु रोग खीरे में आमतौर पर पाया जाने वाला रोग है, जो पौधों की पत्तियों पर प्रारंभ होता है और इसका प्रभाव फलों पर पड़ता है।
इस रोग में पत्तियों पर पीले दाग होते हैं और धीरे-धीरे पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं। इस बीमारी का प्रभाव फलों पर भी पड़ता है, और वे छोटे और टेडी मेडी बन जाते हैं।
इस रोग को दूर करने के लिए नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 मिलीलीटर प्रति पम्प फसल पर छिड़काव करना उपयुक्त हो सकता है।
2. एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose):
यह रोग मोल्ड के कारण होता है और मौसम के परिवर्तन के कारण हो सकता है। इस रोग में फलों और पत्तियों पर दाग होते हैं।
इस रोग को दूर करने के लिए नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 मिलीलीटर प्रति पम्प फसल पर छिड़काव करना उपयुक्त हो सकता है।
3. चूर्णिल असिता (Powdery Mildew):
इस रोग की वजह से फफूंदों का एक प्रकार (AeriSiphearum) होता है। यह रोग मुख्यत: पत्तियों पर होता है और यह धीरे-धीरे फूल और फलों को प्रभावित करता है।
इस बीमारी में पत्तियों के नीचे सफेद दाग होते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते हैं और फूल और फलों को प्रभावित करते हैं।
नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 मिलीलीटर प्रति पम्प फसल पर छिड़काव करने से इस रोग को दूर किया जा सकता है।
कीट नियंत्रण (Pest Control)
1. एफिड (Aphids):
एफिड खीरे की पौधों पर हमला करते हैं, और ये पौधों के छोटे हिस्सों पर बसे रहते हैं। ये कीट पौधों से रस चूसते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पत्तियां पीली पड़ जाती हैं।
इस कीट से बचाव के लिए नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 मिलीलीटर प्रति पम्प फसल पर छिड़काव करें।
2. रेड पम्पकिन बीटिल (Red Pumpkin Beetle):
ये कीटा लाल रंग का होता है और इसका आकार 5-8 सेंटीमीटर तक का होता है। ये कीटा पौधों की पत्तियों के बीच रहकर उन्हें खाता है।
इस कीट से बचाव के लिए नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 मिलीलीटर प्रति पम्प फसल पर छिड़काव करें।
3. एपिलैकना बीटिल (Epilachna Beetle):
ये कीट सभी वाइन पौधों पर हमला करते हैं। ये कीट पत्तियों पर हमला करती हैं और उन्हें नष्ट कर देती हैं।
इन कीटों से पौधों को बचाने के लिए नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे 250 मिलीलीटर प्रति पम्प फसल पर छिड़काव करें।
तुड़ाई
बीज बुवाई के ठिक 2 महीने बाद फसल तैयार हो जाता है, और फसल के तैयर हो जाने पर 2 महिने तक हर 3 से 4 दिन के अन्तराल में फलो की तुड़ाई करें.
हाइब्रिड खीरे और देसी खीरे में ज्यादा उपज किसका होता है?
भारत के विभिन्न राज्यों को मिलाकर के भारत देश का देशी खीरे की औसत उपज 50 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. किंतु हाइब्रिड खीरे की औसत उपज 100 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.
हाइब्रिड खीरा की खेती कैसे की जाती है?
हाइब्रिड खीरा की खेती को खीरे की आधुनिक खेती के कैटेगरी में रखा गया है. आप जानते ही होंगे खीरा के दो प्रकार के बीच इन दिनों मार्केट में उपलब्ध है.
- देसी खीरा एवं हाइब्रिड खीरा
सबसे पहले हाइब्रिड खीरा के बीज के बारे में जान लीजिए
- पंजाब सलेक्शन
- पूसा संयोग
- विनायक हाइब्रिड
- कल्यानपुर हरा खीरा
- कल्यानपुर मध्यम
- हाइब्रिड लाइट ग्रीन
- हाइब्रिड वाईट ग्रीन
- स्वर्ण अगेती
- स्वर्ण पूर्णिमा
- पूसा उदय
- पूना खीरा
- पूसा बरखा
- खीरा 90
- खीरा 75.
खीरे के हाइब्रिड बीज को नर्सरी या खेत से पहले प्लास्टिक गिलास या पॉलिथीन बैग में मिट्टी भर के बोआई किया जाता है. जब खीरे का बीज अंकुरित हो जाता है और पत्ते निकल जाने के बाद उसे खेत या नर्सरी में विस्थापित किया जाता है.
इस टेक्निक का क्या फायदा होता है? देखा जाता है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्र में धान की कटाई जनवरी महीने के आखिरी सप्ताह तक होता है. उसके बाद खेत खाली होने के बाद ही लोग खीरे की खेती शुरू करते हैं.
ऐसे में खीरे की खेती मैं देरी हो जाती है. फसल उस समय मार्केट में जाता है जब खीरे की कमी नहीं होती है. जिससे दाम कम मिलता है.
यही कारण है कि दिसंबर महीने के शुरू में ही पॉलिथीन बैग में मिट्टी भरकर या गिलास में मिट्टी भरकर खीरे के बीज को उस में डाल दिया जाता है. इस विधि से 1 महीने का समय बढ़ जाता है. जिसके फलस्वरूप आपका फसल मार्केट में एक महीना पहले आ जाता है और आप एक अच्छा रेट पकड़ लेते हैं.
इमानदारी से बताइएगा कि आपको खीरे की आधुनिक खेती यह ट्रिक कैसा लगा?
खीरे की मोटाई एवं पैदावार बढ़ाने का क्या साइंटिफिक तरीका है?
यह इंटरनेट का बहुत ही फेमस क्वेश्चन है कि खीरे की मोटाई एवं लंबाई को कैसे बढ़ाया जाए? अक्सर लोगों को लगता है कि कोई इंजेक्शन लगाने से ऐसा हो जाता होगा. आपको बता दें कि किसी भी प्रकार का इंजेक्शन का प्रयोग करना गैरकानूनी है.
अगर आप सही सिद्धांतिक रूप से खीरे की साइज को बहाना चाहते हैं तो इसके लिए आप, जबकि खीरे के पौधे में फूल लगता है उसमें आप NPK-13045 यूरिया व फोटोस (वाइट फोटोस) और NPK-11040 प्रयोग से उपज बढ़ा सकते हैं
किसान भाइय कमेंट करके जरूर बताइए कि आपको खीरा की खेती की जानकारी कैसा लगा? इससे संबंधित और कोई जानकारी चाहिए तो आप जरूर कमेंट कीजिए.
Conclusion Points
विभिन्न मौसमों में स्थानीय खीरे और संकर खेती लाभदायक और टिकाऊ हो सकती है। किसान आज की तकनीक और जानकारी का उपयोग करके अपनी खीरे की उपज और गुणवत्ता को बदल सकते हैं।
सफलता सुनिश्चित करने के लिए, सही संकर किस्मों का चयन करना और उसके अनुरूप खेती के तरीकों को अपनाना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, मौसम की स्थिति को जानकर और सही सिंचाई प्रणालियों को लागू करने से किसी भी संभावित बाधा को कम करने में मदद मिल सकती है। सही ज्ञान और अभ्यास के साथ, किसान पूरे वर्ष खीरे की खेती से खुश रह सकते हैं। स्थानीय खीरे और संकर खेती की संभावनाओं की खोज आज ही शुरू करें!
Krishi Online वेबसाइट पर आप खेती-बाड़ी व पशुपालन और सरकारी वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं से संबंधित अन्य आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. इसके अलावा मैंने दूसरे वेबसाइटों का भी लिंक (Reference) नीचे दिया है. उम्मीद करता हूं कि मैं आपका एक विश्वासी लेखक बन सकूंगा.
FAQs
प्रश्न – घर में खीरा की खेती कैसे करें?
उत्तर – खीरा की खेती करने के लिए, आपको खेती की एक वैज्ञानिक विधि का पालन करना होगा। सबसे पहले, आपको बीज को एक बर्तन में लगाने की जरूरत है और जब तक आप पहली पत्तियों को नहीं देखते हैं तब तक इसे नम रखें। उसके बाद, आपको पौधे को छिड़कने और इसे पानी देना जारी रखने की आवश्यकता है। कुछ हफ्तों के पानी के बाद, पौधे नए फूल और फलियां उगाना शुरू कर देगा।
एक बार जब वे उभर आते हैं, तो आपको उन्हें नियमित रूप से पानी देना होगा और फूलों के गिरने के दो सप्ताह बाद उन्हें रखना होगा। उसके बाद, आपको फलियों को फसल करने और उन्हें लगाने की जरूरत है।
प्रश्न – बर्तन में खीरा की खेती कैसे करें?
उत्तर – खीरे उगाने के लिए सबसे आसान पौधों में से एक हैं क्योंकि उन्हें बीज से बर्तन में आसानी से प्रत्यारोपित किया जाता है। वे बढ़ने के लिए सबसे आसान चीजों में से एक हैं क्योंकि उनकी कोई विशेष आवश्यकता नहीं है।
उन्हें पनपने के लिए मिट्टी, पानी और कुछ सूरज की जरूरत होती है। खीरे की खेती आमतौर पर वैज्ञानिक विधि द्वारा की जाती है, जिसमें बीज लगाना, मिट्टी में बीज चिपकाना और फिर इसके अंकुरित होने की प्रतीक्षा करना शामिल है।
एक बार जब बीज अंकुर में अंकुरित हो जाता है, तो आपके खीरे की खेती के तरीके उस ककड़ी के प्रकार पर निर्भर करेंगे जिसे आप उगाना चाहते हैं।
प्रश्न -खीरा किस मिट्टी में उगाना चाहिए?
उत्तर – खीरे को गर्म मिट्टी में उगाया जाना चाहिए। वे उच्च नाइट्रोजन के साथ समृद्ध, नम मिट्टी में सबसे अच्छे होते हैं। उन्हें बहुत धूप और पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप उन्हें ऐसी जगह पर रख रहे हैं जहाँ उन्हें कीटों को आकर्षित किए बिना पर्याप्त धूप और पानी मिलेगा।
खीरे की खेती करने के लिए, आपको यह तय करके शुरू करना होगा कि आप किस किस्म को उगाना चाहते हैं। एक बार जब आप निर्णय लेते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि उस किस्म की शर्तें पूरी हों।
आप यह सुनिश्चित करके शुरू करेंगे कि आपके पास एक अच्छी मिट्टी है, फिर आपको धूप वाले स्थान पर खीरे का एक पैच शुरू करना होगा। आपको पैच को नियमित रूप से पानी देने और इसे भरपूर पोषक तत्व देने की आवश्यकता होगी।
आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि आप पौधे का समर्थन करने के लिए एक ट्रेलिस का उपयोग करें ताकि यह बढ़ सके। यदि आप खीरे की कटाई करना चाहते हैं, तो आपको पौधे को मिट्टी से निकालना होगा, इसे बाँधना होगा, और इसे एक ठंडी, अंधेरी जगह पर लटका देना होगा।
प्रश्न – वैज्ञानिक तरीके से खीरे की खेती कैसे की जाती है?
उत्तर – ककड़ी की खेती की वैज्ञानिक विधि में एक अंकुर ट्रे बनाना और फिर मिट्टी के ऊपर खाद की एक पतली परत बनाना शामिल है। फिर खाद को पॉटिंग मिक्स से भर दिया जाता है, और फिर थोड़ी मात्रा में पानी लगाया जाता है।
अगले चरण के लिए, खाद को पौधों के लिए डिज़ाइन किए गए एक केंद्रित तरल उर्वरक के साथ पानी पिलाया जाता है, और फिर पौधों को एक पतला उर्वरक के साथ पानी पिलाया जाता है। लगभग छह सप्ताह के बाद, पत्तियां दो से चार इंच लंबी हो जाएंगी, और पौधे प्रत्यारोपण के लिए तैयार हो जाएगा।
खीरा कितने दिन में फल देता है?
उत्तर – खीरा आमतौर पर परिपक्व होने और फल लगने में 50 से 70 दिनों के बीच लेता है। यह खीरे की किस्म के साथ-साथ तापमान और मिट्टी की उर्वरता जैसी बढ़ती परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकता है।
Reference
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