आम की खेती कैसे करें जानिए नए वैज्ञानिक पद्धति एवं मैंगो के किस्मों के बारे में
भारत में आम की खेती एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा रही है, यह देश दुनिया भर में आम के सबसे बड़े उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है।
उष्णकटिबंधीय जलवायु, उपजाऊ मिट्टी और प्रचुर वर्षा भारत को इस स्वादिष्ट फल की खेती के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी बढ़ती मांग के साथ, आम की खेती देश भर के किसानों के लिए एक आकर्षक व्यावसायिक अवसर प्रस्तुत करती है।
इस लेख में, हम भारत में एक सफल आम की खेती का व्यवसाय शुरू करने और चलाने के विभिन्न पहलुओं का पता लगाएंगे।
आम की सही किस्म के चयन से लेकर खेती की तकनीक को समझने तक, हम इच्छुक किसानों को इस लाभदायक उद्यम को शुरू करने में मदद करने के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक सुझाव प्रदान करेंगे।
आम की खेती कैसे करें?
आम की खेती को साइंटिफिक ढंग से बड़े पैमाने पर करने के लिए निम्नलिखित स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस का पालन कर सकते हैं:
1. भूमि का चयन और तैयारी:
– एक अच्छी खेत का चयन करें, जिसमें अच्छी द्रावणी मिट्टी और प्रकृतिक उर्वरक हों।
– खेत को अच्छी तरह से तैयार करें, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली खाद और कमी के साथ शुद्ध कीटनाशक का उपयोग करें।
2. पेड़ों की चयन और बगीचे का नक्शा:
– उच्च गुणवत्ता वाले आम के पेड़ का चयन करें, जैसे कि दसहरी, लंगड़ा, अल्फॉन्सो आदि।
– आम के पेड़ों को सही दूरी पर लगाने के लिए बगीचे का नक्शा बनाएं। उन्हें एक-दूसरे से दरमियानी दूरी पर लगाएं, जो पेड़ों के संख्या के लिए आवश्यक होती है।
3. रोपाई और पौधों का देखभाल:
– सुगंधित जड़ीबूटियों से उत्पन्न अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे खरीदें या रोपाई करें।
– पेड़ों को सही ढंग से रोपाई करें, साथ ही उन्हें अच्छी तरह से पानी दें और देखभाल करें।
4. सिचाई और प्रबंधन:
– पेड़ों को नियमित रूप से सिंचें और सही ढंग से प्रबंधित करें।
– कीटनाशकों का उपयोग कम करें और प्राकृतिक तरीकों से कीट प्रबंधन करें।
5. खाद और उर्वरक:
– उच्च गुणवत्ता वाली खाद का उपयोग करें और खाद को समय-समय पर डालें।
– उर्वरक के सही मात्रा में पेड़ों को खिलाएं, जिससे पेड़ों की वृद्धि हो और अच्छी फसल मिले।
6. पेस्टीसाइड्स के उपयोग का ध्यान रखें:
– कीटनाशकों का सही मात्रा में उपयोग करें और खेती के दौरान सुरक्षित उपयोग के लिए ध्यान दें।
7. प्रतिरोधी पौधे लगाएं:
– खेत में प्रतिरोधी पौधे लगाकर पेड़ों को कीटों और बीमारियों से बचाने का प्रयास करें।
8. फसल की देखभाल:
– फसल की देखभाल करें और समय-समय पर उसकी प्रशासनिक कार्यवाही करें।
– फसल के सभी पहलुओं का ध्यान रखें और उच्च गुणवत्ता वाले फल उत्पन्न करने के लिए प्रयास करें।
9. परिवहन और विपणन:
– फलों को समय पर परिवहन करें और उन्हें अच्छे रास्तों द्वारा बाजार में पहुंचाएं।
– उत्पादित फलों को अच्छी मूल्य पर बेचने के लिए विपणन के लिए प्रयास करें।
10. लाभांश का मूल्यांकन:
– फसल के उत्पादन से आने वाले लाभ का मूल्यांकन करें और खेती में सुधार के लिए नए तकनीकों का प्रयोग करें।
यह साइंटिफिक ढंग से आम की खेती का प्रोसेस है, जो आपको उच्च गुणवत्ता और अच्छे फलों के उत्पादन में मदद करेगा। ध्यान रखें कि खेती में सफलता के लिए नियमित देखभाल, सही तकनीकें, और नवीनतम ज्ञान का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
आम की उन्नत नस्ल राज्यों के अनुसार जानिए
राज्य | उन्नत आम की प्रजातियां |
---|---|
आंध्र प्रदेश | अल्लुम्पुर बनेशन, बंगनापल्ली, बंगलोरा, चेरुकुरसाम, हिमयुद्दीन, सुवर्णरेखा, नीलम, तोतापुरी |
बिहार | बथुआ, बॉम्बे, हिमसागर, किशन भोग, सुकुल, गुलाब खास, ज़रदालू, लंगड़ा, चौसा, दासहरी और फजली |
छत्तीसगढ़ | जर्बिरा, राजपुरी |
गुजरात | अल्फोन्सो, केसर, राजपुरी, वनराज, जामादर, तोतापुरी, नीलम, दासहेहरी, लंगड़ा |
हरियाणा | दासहेहरी, लंगड़ा, सरोली, चौसा, फजली |
जम्मू और कश्मीर | जम्मू, कठवा, उधमपुर |
झारखंड | जर्दलू, अमरपल्ली, मल्लिका, बंबई, लंगड़ा, हिमसागर, चौसा, गुलाबख़ास, फजली |
कर्नाटक | अल्फोन्सो, बंगलोरा, मुल्गोवा, नीलम, पायरी, बांगनापल्ली, तोतापुरी |
केरल | मुंडप्पा, ओलोर, पायरी |
मध्य प्रदेश | अल्फोन्सो, बॉम्बे ग्रीन, लंगड़ा, सुंदरजा, दासहेहरी, फजली, नीलम, अमरपल्ली, मल्लिका |
महाराष्ट्र | अल्फोन्सो, मांकुराड, मुल्गोवा, पायरी, राजपुरी, केसर, गुलाबी, वनराज |
ओडिशा | बनेशन, लंगड़ा, नीलम, सुवर्णरेखा, अमरपल्ली, मल्लिका |
पंजाब | दासहेहरी, लंगड़ा, चौसा, मालदा |
राजस्थान | बॉम्बे ग्रीन, चौसा, दासहेहरी, लंगड़ा |
तमिलनाडु | बंगनापल्ली, बंगलोरा, नीलम, रुमानी, मुल्गोवा, अल्फोन्सो, तोतापुरी |
उत्तर प्रदेश | बॉम्बे ग्रीन, दासहेहरी, लंगड़ा, सफ़ेदा लखनऊ, चौसा, फजली |
पश्चिम बंगाल | बंबई, हिमसागर, किशन भोग, लंगड़ा, फजली, गुलाबख़ास, अमरपल्ली, मल्लिका |
आम के फसल में होने वाली बीमारी एवं उसके निदान
आम की फसल में कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, जिनसे उनकी उपज पर असर पड़ सकता है। ये बीमारियाँ पेड़ के पत्तों, फूलों और फलों पर प्रभाव डालती हैं। निम्नलिखित हैं कुछ प्रमुख आम की फसल में होने वाली बीमारियाँ और उनके सही निदान एवं उपचार के तरीके:
1. अन्तःकिर्मित दस्तरीवाली झीली (Anthracnose):
– लक्षण: फलों पर गहरे भूरे या काले धब्बे दिखाई देते हैं, जिनमें से धागे बनते हैं।
– निदान: धागों को काटकर नष्ट करें और प्रभावित फलों को विशेष रूप से नष्ट करें। कीटनाशक छिड़काव भी किया जा सकता है।
2. फल फूली बीमारी (Blossom Blight):
– लक्षण: फूलों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं और फूल सूख जाते हैं।
– निदान: प्रभावित फूलों को काटकर नष्ट करें और फूलों को रोगनाशी दवाई से छिड़काव करें।
3. अंडकोषी बीमारी (Powdery Mildew):
– लक्षण: पत्तियों पर सफेद पुदीने की तरह की अंदरूनी सफेद पत्तियाँ दिखाई देती हैं।
– निदान: सब्जीलय कीटनाशक का उपयोग करें और पौधों को नियमित तौर पर देखभाल करें।
4. फलों की अच्छी पैदावार के लिए पर्याप्त जल आपूर्ति के लिए ध्यान दें।
कृपया ध्यान दें कि उपरोक्त बीमारियों के निदान और उपचार के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेना अनिवार्य है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार सही कीटनाशकों का उपयोग करें और फसल की देखभाल करें।
आम के खेती में कितना खर्च आएगा?
आम की खेती के लिए अनुमानित लागत विस्तार से निम्नलिखित प्रकार से हो सकती है:
1. भूमि की लागत: आम की खेती के लिए उचित भूमि का किराया या खरीद करने की लागत का आपको अनुमान लगाना होगा। यह भूमि की स्थिति, आकार और स्थान के अनुसार भिन्न हो सकती है।
2. पेड़ों की लागत: आम के पेड़ों को खरीदने की लागत और पौधों को बगीचे में लगाने की खर्च शामिल होता है। पेड़ों की संख्या और प्रकार के आधार पर इस खर्च का अनुमान लगाएं।
3. सिचाई की लागत: आम की खेती में सिचाई के लिए इरिगेशन सिस्टम की स्थापना करने की लागत शामिल होती है। सिचाई के लिए पानी के स्रोत के अनुसार बोरवेल, टैंकर या सिचाई के पंप वगैरह की खर्च का अनुमान लगाएं।
4. खाद की लागत: आम की उत्तम खेती के लिए उचित खाद का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। विभिन्न प्रकार की खाद जैसे मल्टीमीटर, कम्पोस्ट, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश आदि के लागत का अनुमान लगाएं।
5. कीटनाशकों की लागत: आम के पेड़ों को कीटनाशकों से बचाने के लिए इनसेक्टिसाइड्स और पेस्टिसाइड्स की खरीद की लागत भी शामिल होती है।
6. प्रबंधन और लेबर की लागत: पेड़ों के समय पर उचित देखभाल और व्यवस्थित प्रबंधन के लिए लेबर की खर्च भी होगी।
7. परिवहन की लागत: उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए उत्पादों के परिवहन की लागत का भी अनुमान लगाएं।
8. मार्केटिंग की लागत: उत्पादों की मार्केटिंग, पैकेजिंग और प्रचार के लिए खर्च भी होगा।
9. अन्य व्यायाम: अन्य अपेक्षित व्यायाम जैसे कि प्रकृति की आपदा से बचाव, वित्तीय आय संबंधी व्यवस्थाएं आदि का भी अनुमान लगाएं।
एक उदाहरण के रूप में, यदि आप एक एकड़ (43,500 Sqft) में आम की खेती कर रहे हैं और आम के पेड़ की संख्या लगभग 60-65 हैं, तो अनुमानित लागत निम्नलिखित हो सकती है:
खर्च का विवरण | न्यूनतम लागत (रुपये) | अधिकतम लागत (रुपये) |
---|---|---|
भूमि की लागत | 50,000 | 1,00,000 |
पेड़ों की लागत | 30,000 | 1,30,000 |
सिचाई की लागत | 10,000 | 20,000 |
खाद की लागत | 5,000 | 10,000 |
कीटनाशकों की लागत | 5,000 | 10,000 |
प्रबंधन और लेबर की लागत | 20,000 | 40,000 |
परिवहन की लागत | 5,000 | 10,000 |
मार्केटिंग की लागत | 10,000 | 20,000 |
अन्य व्यायाम | 10,000 | 20,000 |
कुल | 1,45,000 | 3,70,000 |
इस तरह, आपकी कुल अनुमानित लागत एक एकड़ में लगभग रुपये 1,45,000 से 3,70,000 तक हो सकती है। यह अनुमानित लागत व्यवसायिक योजना और आपके खेती के आधार पर बदल सकती है।
बेहतर ग्रोथ के लिए आम के पौधे में क्या डालना चाहिए?
आम के पौधों के विकास और उत्पादन के लिए उन्हें आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त पोषक तत्व और खाद्य देना आवश्यक होता है। निम्नलिखित तत्वों को पौधे को लगाने के समय और नियमित अंतराल पर देना चाहिए:
1. खेती मिट्टी: आम के पौधे के लिए उच्च गुणवत्ता वाली मिट्टी उपयुक्त होती है। यह अच्छे निष्कर्षण की सुविधा प्रदान करती है और पौधे के नाशी में मदद करती है।
2. खाद्य द्रव्य (बालाई): आम के पौधों के लिए एक अच्छी खाद्य द्रव्य की आवश्यकता होती है। पानी वाले खाद्य द्रव्य (बालाई) का उपयोग करना बहुत फायदेमंद होता है। यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व और पानी प्रदान करता है।
3. विटामिन बी कम्प्लेक्स: विटामिन बी कम्प्लेक्स पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पानी में रोगों की रोकथाम करने के लिए विटामिन बी का उपयोग भी फायदेमंद होता है।
4. मिश्रित खाद्य द्रव्य (कम्पोस्ट): पौधे को नियमित अंतराल पर मिश्रित खाद्य द्रव्य (कम्पोस्ट) देना चाहिए। यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
5. खाद्य द्रव्य (खाद): आम के पौधों को उच्च गुणवत्ता वाले खाद द्रव्य (खाद) के साथ पोषित करना चाहिए। इससे पौधों का समृद्ध विकास होता है और फलों की पैदावार भी अधिक होती है।
6. जल सूर्याकांती (Irrigation): पौधों को नियमित अंतराल पर पानी प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है। जल सूर्याकांती के लिए उचित प्रणाली का उपयोग करें और पानी की आपूर्ति को नियमित रखें।
कृपया ध्यान दें कि आम के पौधों की विकास और उत्पादन के लिए उपरोक्त तत्वों को सही मात्रा में और नियमित अंतराल पर प्रदान करना अनिवार्य होता है। पौधों की देखभाल के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेना भी महत्वपूर्ण है, जिससे आपके पौधे स्वस्थ और फलदार रहेंगे।
Conclusion Points
सफल फसल सुनिश्चित करने और अधिकतम मुनाफ़ा सुनिश्चित करने के लिए आम की खेती में गलतियों से बचना महत्वपूर्ण है। अनुचित छंटाई तकनीकों से लेकर कीट नियंत्रण उपायों की उपेक्षा तक, ये त्रुटियाँ आम के पेड़ों के स्वास्थ्य और उत्पादकता पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती हैं।
इन सामान्य गलतियों के बारे में जागरूक होकर और उन्हें दूर करने के लिए सक्रिय कदम उठाकर, किसान और बागवान अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं और अपने आम की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।
किसी भी संभावित समस्या को उत्पन्न होने से रोकने के लिए बगीचे के उचित प्रशिक्षण, रखरखाव और नियमित निगरानी को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
ऐसा करने से, न केवल उत्पादक आम की भरपूर फसल का आनंद ले पाएंगे, बल्कि टिकाऊ कृषि पद्धतियों में भी योगदान देंगे। इन महँगी गलतियों से बचने और आम की खेती में सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आज ही आवश्यक कदम उठाएँ!
FAQs
1. आम की खेती का सबसे अच्छा समय कब है?
आम की खेती का सबसे अच्छा समय शुष्क मौसम के दौरान होता है, आमतौर पर फरवरी से अप्रैल तक।
2. आम के पेड़ उगाने के लिए किस प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है?
आम के पेड़ अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पनपते हैं जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होती है। बलुई दोमट या दोमट मिट्टी खेती के लिए आदर्श होती है।
3. आम के पेड़ों को कितनी धूप की आवश्यकता होती है?
आम के पेड़ों को उगने और फल पैदा करने के लिए भरपूर धूप की जरूरत होती है। उन्हें हर दिन कम से कम 6-8 घंटे सीधी धूप की आवश्यकता होती है।
4. क्या मैं एक कंटेनर में आम का पेड़ उगा सकता हूँ?
हां, एक कंटेनर में आम का पेड़ उगाना संभव है, लेकिन यह इसकी वृद्धि और फलने की क्षमता को सीमित कर सकता है। सुनिश्चित करें कि कंटेनर में अच्छी जल निकासी हो और बेहतर परिणामों के लिए बौनी किस्म चुनें।
5. क्या आम के पेड़ों को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है?
रोपण के बाद पहले दो वर्षों के दौरान, आम के पेड़ों को अपनी जड़ प्रणाली स्थापित करने के लिए नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है। बाद में, वे सूखे की स्थिति को सहन कर सकते हैं लेकिन लंबे समय तक सूखे के दौरान कभी-कभी गहरे पानी देने से उन्हें फायदा होगा।
6. मुझे अपने आम के पेड़ को कितनी बार खाद देनी चाहिए?
अपने आम के पेड़ को साल में तीन बार खाद दें – शुरुआती वसंत, मध्य गर्मी और शुरुआती शरद ऋतु में – विशेष रूप से फलों के पेड़ों के लिए तैयार संतुलित धीमी गति से निकलने वाले उर्वरक का उपयोग करके।
7. क्या आम के पेड़ों को प्रभावित करने वाले कोई कीट या रोग हैं?
हाँ, आम कीटों में एफिड्स, स्केल्स, माइलबग्स और फल मक्खियाँ शामिल हैं। एन्थ्रेक्नोज और पाउडरी फफूंदी जैसे रोग भी आम के पेड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। रोकथाम और नियंत्रण के लिए नियमित निगरानी और उचित उपचार आवश्यक हैं।
8. आम के पेड़ पर फल लगने में कितना समय लगता है?
आमतौर पर एक ग्राफ्टेड आम के पेड़ को रोपण के बाद फल देने में लगभग तीन से पांच साल लगते हैं। बीज से उगाए गए पेड़ों को फल देने में अधिक समय लग सकता है, आमतौर पर छह या सात साल तक।
आपने बहुत अच्छा जानकारी दिया है
आपने कुछ अच्छा फोटो कहां से लाए हैं