Pyaj ki Kheti Kaise Kare – प्याज की वैज्ञानिक खेती कैसे की जाती है

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Pyaj ki Kheti Kaise Kare

प्याज (onion) जिसे किसी भी सब्जी के साथ मिला दिया जाये तो उस सब्जी का स्वाद बढ़ जाता है। प्याज बहुत दिनों तक खराब नहीं होता है। बाज़ार में इसका भाव बहुत हीं बढ़िया मिलता है. 

इसलिए प्याज की खेती करने से किसानो को बहुत फायदा मिल सकता है। तो आइये जानते है प्याज की खेती कैसे करने से हमें ज्यादा profit हो सकता है।

Pyaj ki vaigyanik kheti ki jankari

Payaj ki Vaigyanik Kheti कैसे करें आइए अब पूरी विस्तार से स्टेप बाय स्टेप तरीके से जानते हैं. मैं तो कहूंगा कि आप स्क्रीनशॉट लेकर के अपने मोबाइल में सेव रखिए ताकि आपको आगे भी काम आ जाए.

प्याज की वैज्ञानिक खेती

जमीन/ भूमि की तैयारी

प्याज की सफल खेती में 5.8 से 6.5 के बिच के पी.एच. मान वाले जीवांशयुक्त हल्की दोमट भूमि या बलूई दोमट भूमि को श्रेष्ठ माना जाता है। खेती करने से पहले भूमि की अच्छे से साफ़ सफाई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए।

जलवायु कैसी होनी चाहिए? 

प्याज की खेती हर तरह की जलवायु में किया जा सकता है बस थोड़ी सी सावधानी से काम लिया जाये तो प्याज की अच्छी उत्पादन संभव है। 

इसकी खेती के लिए ना ज्यादा गर्मी ना ज्यादा ठंड का मौसम सबसे सर्वोतम होता है। इसलिए छत्तीसगढ़ को प्याज के उत्पादन के लिए अनुकुल माना जाता है। 

कृषि वैज्ञानिको द्वारा प्याज की खेती पर तापमान का गहरा प्रभाव पड़ता है। अच्छी वृद्धि के लिए 20 डिग्री से. से 27 डिग्री से. तक का तापमान प्याज में अच्छी बढ़त लाता है। फल पकने समय तापमान 30 डिग्री से. से 35 डिग्री से. तक मिल जाये तो और भी बेहतर होता है।

प्याज की प्रजातियों के बारे में जान लें 

 प्याज के 3 प्रकार प्रमुख हैं जिससे रंगों के आधार पर विभाजित किया गया है है – 

लाल रंग के प्याज:- इस रंग के प्याज में उन्नत किस्म के प्याज की प्रजाती का नाम है जैसे उषा रेड, उषा माधवी ,पंजाब सिलेक्शन , अर्का निकेतन, ऐग्री फाउंड dark red, ऐग्री फाउंड light red आदि।

प्याज के नस्ल

पीले रंग के प्याज:- इस किस्म के नाम इस प्रकार हुआ करते है – early green, brown spanish आदि।

सफ़ेद रंग के प्याज :- इसके नाम इस प्रकार के है – उषा white, उषा round, उषा flat, आदि।

सिचाई / जल प्रबंधन

खेती करने के दवरान जल प्रबंधन का खास ध्यान रखना चाहिए। रबी के प्याज के लिए समय समय पर 10 से 12 बार सिचाई की जरुरत होती है। गर्मी में एक सप्ताह के अंतराल में और ठंड के मौसम में 15 दिनों में सिचाई करनी चाहिए। 

रबी के फसल में जब पत्ते पीले होने लगे तो सिचाई 15 दिन के लिए रोक देनी चाहिए जिससे पीले पत्ते सुख जाए और फिर खुदाई करके निकाले जा सके।

खाद प्रबंधन 

कृषि वैज्ञानिको के द्वारा प्याज की खेती के लिए 300 से 350 क्विंटल अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेकटेयर की दर से भूमि तैयारी के समय ही मिला देनी चाहिए। 

Pyaj ke prakar

नत्रजन(nitrogen) 80 kg, फास्फोरस(phasphoras) 50 kg, और पोटाश(potash) 80 kg प्रति हेक्टेयर की आवश्कता पड़ती है। 

पोटाश और फास्फोरस की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के साथ या रोपाई से पहले भूमि में मिला देनी चाहिए। बाकि आधी बची हुई नत्रजन दो बार में पहला रोपाई के 30 दिनों के बाद और दूसरा 45 दिनों के बाद छिड़काव के साथ दे।

खरपतवार की सफाई

प्याज के फसल में खरपतवार को निकालना आवश्यक होता है. इसको नियंत्रित करने के लिए रोपाई से पहले 2kg वासालीन प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में छिड़काव करना चाहिए.

फिर 45 दिनों के बाद एक जुताई कर के खरपतवार को नियंत्रित किया जाना चाहिए। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 2.5kg टेनोरान प्रति हेक्टेयर की दर से 800 लीटर पानी में मिलाकर रोपाई के 20 से 25 दिनों के बाद छिड़काव किया जाना चाहिए।

किट पतंग / रोग नियंत्रण

प्याज की फसल में पाए जाने वाले बैगनी धब्बा रोग सबसे प्रमुख रोग होते है। इस रोग में पत्तियों पर आरम्भ में पीले से सफ़ेद धसे हुए धब्बे लगते है जिनके बिच का भाग बैगनी रंग का होता है। 

यह रोग तेजी से बढ़ता है और पत्तियों से फैलकर बिच के स्तंभों में पहुँच जाता है। इस रोग के प्रभाव से प्याज का भंडारण करना मुश्किल हो जाता है. 

क्योंकि इस दरम्यान प्याज अधिक मात्रा में गलने लगता है। इस रोग के लगते हीं इसमें कोई फफूंदनाशक दवा जैसे copper oxychloride का वैज्ञानिक विधि इस्तेमाल करके इस रोग से बचा जा सकता है।

इसके अलावा कुछ किट ऐसे भी होते है जो प्याज के पत्तो के बाहरी त्वचा को खरोच कर रस चूसते है जिससे पत्तियों पर असंख्य छोटे छोटे सफ़ेद धब्बे बन जाते है। समय रहते अगर किसान इसे नियंत्रित नहीं कर पाए तो प्याज में निरुपता आ जाती है साथ हीं लगभग 25% उपज कम हो जाती है।

लेखक का संदेश – Conclusion Points 

आप सज्जन कृषि ऑनलाइन वेबसाइट पर आए इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं बहुत ईमानदारी से कह सकता हूं कि यह इंटरनेट पर अंतिम या पहला आर्टिकल नहीं है.

मैंने, आप किसान भाइयों को सही जानकारी देने का एक प्रयास किया हूं. मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता हूं कि आप किसान भाइयों को थोड़ा सा भी नुकसान हो.

FAQs

प्रश्न – सेंटिफिक ढंग से प्याज की खेती कैसे की जाती है?

उत्तर – प्याज की बुवाई आमतौर पर नवंबर के अंतिम सप्ताह में की जाती है। नर्सरी में बुवाई की जाती है। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पौधे तैयार करने के लिए, बुवाई 1000 से 1200 वर्ग मीटर में की जानी चाहिए। एक हेक्टेयर खेत के लिए, 8 से 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। 

रोपाई लगाए जाने के बाद, उन्हें खेत में प्रत्यारोपित होने से पहले अंकुरित होने और विकसित करने की अनुमति दी जाती है। प्रत्यारोपण तब 4 से 6 मीटर की दूरी पर होते हैं और 2 मीटर की दूरी पर पंक्तियों में लगाए जाते हैं। 

प्रत्येक पंक्ति में पहले प्याज के अंकुर को 3 से 4 सेमी मिट्टी दी जाती है। रोपाई को खेत में प्रत्यारोपित करने के बाद, फसल की दूसरी पंक्ति लगाई जाती है और इसी तरह। प्याज के डंठल की खेती नवंबर के अंतिम सप्ताह में की जाती है।

प्रश्न – प्याज फुलाने की दवा कौन सी दी जाती है? 

उत्तर – कार्बेन्डाजिम 75% डब्ल्यूपी+मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिश्रित पाउडर फफूंदी और अन्य कवक रोगजनकों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है और प्याज को फुलाने की दवा है। कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50% डब्ल्यूपी का उपयोग ब्राउनिंग को रोकने में मदद करने के लिए किया जाता है और पाउडर फफूंदी और अन्य कवक रोगजनकों की रोकथाम में मदद करता है।

प्रश्न – 1 एकड़ जमीन में कितना प्याज का उत्पादन हो सकता है?

उत्तर – मौसम के आधार पर प्याज के उत्पादन का स्तर अलग-अलग होता है। आम तौर पर, एक एकड़ भूमि 20 टन तक प्याज का उत्पादन कर सकती है।

Krishi Online वेबसाइट पर आप खेती-बाड़ीपशुपालन और सरकारी वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं से संबंधित अन्य आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. इसके अलावा मैंने दूसरे वेबसाइटों का भी लिंक (Reference) नीचे दिया है. उम्मीद करता हूं कि मैं आपका एक विश्वासी लेखक बन सकूंगा.

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