Kaise Kare Adrak ki Uchit Kheti – अदरक की खेती का नया रिसर्च

अदरक की सेंटिफिक एवं उन्नत खेती कैसे की जाती है? अगर आप इस प्रश्न के सबसे सही उत्तर की तलाश में है तो आप एक एग्रीकल्चर के सर्वोत्तम वेबसाइट पर प्रस्थान कर चुके हैं.

इस वेबसाइट पर एग्रीकल्चर से संबंधित जानकारी दी पोस्ट किया जाता है. इस वेबसाइट की दूसरी सबसे अच्छी बात है कि यहां पर आर्टिकल लिखने वाले खुद वह एग्रीकल्चर के एक्सपर्ट हैं.

Adrak ki Uchit Kheti

आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि वर्ष 2022 तक अदरक की खेती के लिए कई नए साइंटिफिक टेक्निक बाजार में आ चुके हैं जिसे जान करके आप ज्यादा लाभ कमा सकते हैं.

अगर आप अदरक की खेती करना चाहते है तो आपको बहुत ही फायदा हो सकता है क्योंकि इसकी खेती में बहुत ही कम खर्च में अधिक आमदनी होती है। 

अदरक की खेती को अगर कृषि वैज्ञानिको द्वारा बताये गए तरीको से किया जाए तो किसानो को अच्छी फसल की प्राप्ति हो सकती है। 

अदरक के तीन किस्म ऐसे है जो हमारे देश में भली भाती की जाती है एक सुप्रभात दूसरा सुरुचि और तीसरा सुरभी। तो आइये जानते है कैसे करे अदरक की खेती।

Adrak ki Kheti kaise kare? 

कैसे करे अदरक की खेती? इस आर्टिकल के माध्यम से आपको ए टू जेड जानकारी दिया जाएगा. मैं तो आपसे कहूंगा कि आपको इस पोस्ट में जो भी जरूरी जानकारी लगे उस का स्क्रीनशॉट लेकर के अपने मोबाइल फोन पर सेव कर लीजिए. 

अदरक की खेती

भूमि का चयन और तैयारी कैसे करें? 

किसान भाई चाहे तो अदरक की खेती, किसी भी तरह के भूमि पर कर सकते है. लेकिन उचित जल निकास वाली दोमट भूमि में अदरक की खेती करना ही सही माना जाता है. 

मांदा का निर्माण करना भी अदरक की खेती के लिए अच्छा होता है। मांदा निर्माण से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए। Adrak ki nasalअदरक की खेती को खरपतवार रहित रखने के लिए और मिट्टी को नरम बनाये रखने के लिए आवश्यकता अनुसार खेत की जुताई करते रहना चाहिए।

जलवायु

कृषि वैज्ञानिको द्वारा अदरक की खेती ऐसे जगह पर करना चाहिए जहाँ नर्म वातावरण हो। फसल के विकास के समय ५० से ६० से.मी. वार्षिक वर्षा हो साथ ही भूमि ऐसी होनी चाहिए जहाँ पानी ना ठहरे और हल्की छाया भी बनी रहे।

अदरक का पौधा कैसा होता है? 

Adrak ki nasal
अदरक एक उष्णकटिबंधीय पौधा है जिसकी व्यापक रूप से सुगंधित, तीखे प्रकंद के लिए खेती की जाती है जिसका उपयोग मसाले और दवा के रूप में किया जाता है। अदरक का पौधा लगभग 4 फीट की ऊंचाई तक बढ़ता है और इसमें हरे-पीले फूल होते हैं। अदरक की जड़ के गूदे को ताजा, सुखाकर या पाउडर बनाकर इस्तेमाल किया जाता है।

अदरक का उपयोग एशिया में 4,000 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है और माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति चीन में हुई थी। इसे मध्य युग में अरब व्यापारियों द्वारा पश्चिम में पेश किया गया था। मध्यकाल में अदरक का उपयोग मुद्रा के रूप में किया जाता था और इसकी कीमत इतनी अधिक थी कि इसकी कीमत सोने से भी अधिक थी।

आज, एशियाई व्यंजनों में अदरक का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और पश्चिम में यह अधिक लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि लोग इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में अधिक जागरूक हो जाते हैं। अदरक में कई यौगिक होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं, जिनमें जिंजरोल, शोगोल और जिंजरोन शामिल हैं।

Adrak fasal ki kheti

बीज की बुआई – बीज कंदों को बोने से पहले ०.२५ प्रतिशत इथेन, ४५ प्रतिशत एम और ०.१ प्रतिशत बाविस्टोन के  मिश्रण घोल में लगभग एक घंटे तक डुबाए रखना चाहिए। 

फिर दो से तीन दिनों तक इसे छाया में ही  सुखने दें। जब बीज अच्छे से सुख जाए तो उसे लगभग ४ से.मी. गहरा गड्ढा खोद के बो देना चाहिए। 

बीज बोने समय कतार से कतार की दूरी कम से कम २५ से ३० से.मी. और पौधों से पौधों की दूरी लगभग १५ से २० से.मी. होनी चाहिए। 

बीज के बुआई के तुरंत बाद उसके ऊपर से घांस फुंस पत्तियों और गोबर की खाद को डाल कर उसे अच्छे से ढक देना चाहिए इससे मिट्टी के अन्दर नमी बनाये रखना आसान होता है साथ ही अदरक के अंकुरन तेज धुप से बच सकते है।

सिंचाई / जल प्रबंधन

अदरक की खेती में बराबर नमी का बना रहना बहुत जरुरी होता है इसलिए इसकी खेती में पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद कर देनी चाहिए। फिर भमि में नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। 

सिंचाई के लिए टपक पद्धति या ड्रिप एरीगेशन का प्रयोग किया जाए तो और भी बेहतर परिणाम सामने आता है।

खाद प्रबंधन

अदरक की खेती में मिट्टी के जांच करने के बाद ही पता चलता है की कब ओर कितना खाद का प्रयोग करना चाहिए। अगर मिट्टी की जांच ना भी की जाए तो भी गोबर की खाद या कम्पोस्ट 20 से 25 टन, नत्रजन 100 किलो ग्राम / kg, 75 किलो ग्राम kg फास्फोरस और साथ ही साथ में 100 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देनी चाहिए। 

इस खाद को देने के लिए, आप चाहे तो  गोबर या कम्पोस्ट को भूमि की तैयारी से थोड़े पहले खेत में सामान्य रूप से डाल कर अच्छे से खेत की हल से जुताई करनी चाहिए। 

नेत्रजन, फास्फोरस और पोटाश की आधी मात्रा बीज की बुआई के समय देना चाहिए और बांकी आधी को बुआई के कम से कम ५० से ६० दिनों के बाद खेत में डाल कर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।

रोग नियंत्रण

अदरक की खेती को प्रभावित करने वाले दो रोग होते है :

  • मृदु विगलन
  • प्रखंध विगलन. 

इन रोगों के प्रकोप से पौधो के निचे की पत्तियां पीली पर जाती है और बाद में पूरा पौधा पीला हो कर मुडझा जाता है. साथ ही भूमि के समीप का भाग पनीला और कोमल हो जाता है। 

पौधा को खीचने पर वो प्रखंड से जुड़ा स्थान से सुगम्बता से टूट जाता है। बाद में धीरे धीरे पूरा प्रखंड सड़ जाता है। मृदु विगलन रोग से बचाव के लिए भूमि में चेस्टनट कंपाउंड के ०.६ प्रतिशत घोल को आधा लीटर प्रति पौधे के दर से देते रहना चाहिए।

कुछ रोग ऐसे भी होते है जिसकी वजह से पत्तियों पर धब्बे पर जाते है जो की बाद में आपस में मिल जाते है। इस रोग की वजह से पौधों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है जिससे उपज कम हो जाती है। इस रोग से बचने के लिए बोर्डो मिश्रण का उपयोग ५:५:५० के अनुपात में किया जाना चाहिए।

Conclusion Points 

अदरक एक प्रकंद, या भूमिगत तना है, जिसकी खेती इसके पाक और औषधीय गुणों के लिए की जाती है। यह पौधा एशिया का मूल निवासी है और सदियों से पारंपरिक चीनी चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता रहा है। अदरक अब दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है।

अदरक के पौधे को नम, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है और वह छायादार स्थान को तरजीह देता है। इसे राइजोम, रूट कटिंग या रोपे से प्रचारित किया जा सकता है। एक बार जब पौधा परिपक्व हो जाता है, तो प्रकंदों को काटा जाता है।

अदरक का प्रकंद पौधे का वह हिस्सा होता है जिसका उपयोग आमतौर पर खाना पकाने और हर्बल उपचार में किया जाता है। इसे ताजा, सुखाकर या पाउडर बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। ताजा अदरक में सूखे या पिसे हुए अदरक की तुलना में हल्का स्वाद होता है।

आप सज्जन कृषि ऑनलाइन वेबसाइट पर आए इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं बहुत ईमानदारी से कह सकता हूं कि यह इंटरनेट पर अंतिम या पहला आर्टिकल नहीं है.

मैंने, आप किसान भाइयों को सही जानकारी देने का एक प्रयास किया हूं. मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता हूं कि आप किसान भाइयों को थोड़ा सा भी नुकसान हो.

FAQs
प्रश्न – अदरक उत्पादन में प्रथम राज्य कौन है? 

उत्तर – भारत में, हल्के अदरक की खेती मुख्य रूप से केरल, उड़ीसा, असम, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तरांचल क्षेत्रों में मुख्य वाणिज्यिक फसल के रूप में की जाती है। देश में अदरक उत्पादन में केरल पहले स्थान पर है।

प्रश्न – अदरक का बीज कैसा होता है?

उत्तर – अदरक को प्रकंद (rhizomes) के कुछ हिस्सों द्वारा प्रचारित किया जाता है जिन्हें बीज प्रकंद के रूप में जाना जाता है।

बीज राइजोम बिट्स को एक हाथ से तैयार किए गए उथले गड्ढों में रखा जाता है और अच्छी तरह से विघटित खेत की खाद और मिट्टी की एक पतली परत के साथ कवर किया जाता है और समतल किया जाता है. 

प्रश्न – अदरक में लगने वाले रोग कौन कौन से हैं?

उत्तर – अदरक के कारण होने वाली बीमारी कुर्मुला कीट है। अदरक में कुर्मुला कीट सबसे आम बीमारी है। वेयरहाउसिंग अपघटन और जैजीजी मलान अन्य संबंधित बीमारियां हैं।

अदरक के कारण होने वाली बीमारियां राइज़ोम रोटिंग, वेयरहाउसिंग अपघटन, जैजीजी मलानी, पीली बीमारी, पर्ना चिट्टी और अदरक मक्खी या मैगोट हैं।

Krishi Online वेबसाइट पर आप खेती-बाड़ीपशुपालन और सरकारी वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं से संबंधित अन्य आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. इसके अलावा मैंने दूसरे वेबसाइटों का भी लिंक (Reference) नीचे दिया है. उम्मीद करता हूं कि मैं आपका एक विश्वासी लेखक बन सकूंगा.

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