Sem Ki Kheti: सेम की खेती का समय, बीज तथा बरसाती प्रजाति
क्या आप अपने बगीचे में वही पुरानी सब्जियाँ खाकर थक गये हैं? क्या आपने कभी सेम की खेती के बारे में सोचा है? ये न केवल किसी भी व्यंजन के लिए स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि इनके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।
इस लेख में, हम बरसात के मौसम में सेम की खेती की आकर्षक दुनिया का पता लगाएंगे। कब बोना है यह तय करने से लेकर सही बीज चुनने और विभिन्न किस्मों की खोज करने तक, एक ऐसी यात्रा पर निकलने के लिए तैयार हो जाइए जो आपके बगीचे और आपके भोजन को बदल देगी!
जानिए कैसे आप भी हाइब्रिड सेम की खेती कर के अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है. पढ़िए इससे जुडी जानकारी जैसे बुवाई से ले कर रोगों से बचाव का तरीका अपनी भाषा में जानिए.
सेम एक लता वाला पौधा है. इसके फल को सब्जी बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. इसके पत्तियों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप किया जाता है.
Sem ka vaigyanik naam – सेम का वैज्ञानिक नाम फेजोलस वल्गरिस (Phaseolus vulgaris) जिसे आम सेम और फ्रेंच बीन के रूप में भी जाना जाता है.
सेम को बुश बीन्स, बौना बीन्स, पोल बीन्स और क्लाइम्बिंग बीन्स के नाम से भी जाना जाता है। इसे वैक्स बीन, नेवी बीन, पिंटो बीन और किडनी बीन भी कहते हैं।
रनर बीन (फेजोलस कोकीनियस) और ब्रॉड बीन (विसिया फैबा) दो अन्य महत्वपूर्ण फलियों के प्रकार हैं, जो मुख्य रूप से व्यावसायिक रूप से उगाई जाती हैं।
Seem लगभग दुनिया के हर कोने में उगाया जाता है। सेम कई तरह के होते हैं और उनके फल भी अलग-अलग आकार के होते हैं।
Sem एक स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जी है, जिसके बिज को दाल बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। India विश्व में सबसे अधिक सेम उत्पादक देश है। सेम को कम उत्पादन के लिए घरों के बागानों में लगाकर इसका उपयोग करते हैं।
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बरसाती सेम की खेती (Monsoon Sowing of Chickpeas) – पूरी जानकारी भारतीय किसानों के लिए |
बरसाती सेम, जिसे चना भी कहा जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण खाद्य फसल है, और इसकी खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसकी बरसात में बोई जाने वाली फसल को “बरसाती सेम” कहा जाता है। यह फसल खाद्य सामग्री के रूप में उपयोग होती है और भारत में बड़ी मात्रा में पैदा की जाती है। इसके बोए जाने का समय और सही तरीका खेती के सफल होने के लिए महत्वपूर्ण है।
बरसाती सेम की खेती की मुख्य विशेषताएँ:
सेम की मुख्य खरपतवार और उनका नियंत्रण:
सामान्य संजीव नियंत्रण:
फसल की प्राप्त जानकारी:
सेम की खेती से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:
सेम की खेती एक महत्वपूर्ण और लाभकारी खेती प्रथा है, और खेतांडों को इसे सही तरीके से करने के लिए उपयुक्त जानकारी और समर्थन प्राप्त करना चाहिए। |
Sem (Beans) ki Kheti kaise kare
Sem ki kheti kaise kare? छोटे production के लिए तो जायदा knowledge की ज़रूरत नहीं होती है. पर यदि आप इसे बड़े पैमाने में करना चाहते है तो आप को इसके बार में जानकारी के ज़रूरत होती है. तो आइये जाने सेम के खेती कैसे करे तथा कैसे आपने production को अधिक से अधिक बढ़ा सकते हैं.
सेम के की खेती कैसे करें?
मैं हमेशा किसान भाइयों और आज कल के नवयुवकों को की, अगर आपके पास खाली पड़ी जमीन हो तो उसका सही इस्तेमाल करें. अगर आपके पास 1 से ले कर 1.5 acer तक की plot हो तो आप उस पर सेम की खेती कर के अच्छा खासा मुनाफा कम सकते हैं.
मैं हमेशा किसान भाइयों और आज कल के नवयुवकों को सलाह देता हूँ, अगर आपके पास खाली पड़ी जमीन है तो उसका सही इस्तेमाल करें. अगर आपके पास 1 से लेकर 1.5 एकड़ तक का प्लॉट है, तो आप उस पर सेम की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सेम की सब्जी लगाने में 3 से 5 महीने का समय लगता है, और एक बार लग जाने पर यह आपको आसानी से 3 से 4 महीने तक आय पैदा करता रहेगा. हाँ, अगर आप सेम की ऑर्गेनिक खेती करते हैं तो आपको अच्छे दाम मिल सकते हैं.
जहाँ तक पूंजी की बात है, ब्रॉड बीन्स को उगाने और व्यापारिक खेती करने में ज्यादा निवेश की आवश्यकता नहीं होती है. अगर आपके पास अपनी ज़मीन है, तो लगभग 20,000 से 25,000 तक का खर्च प्रति एकड़ पर आ सकता है. तो चलिए, जानते हैं कि आप भी सेम की खेती कैसे कर सकते हैं.
सेम की सब्जी की खेती के लिए जलवायु / मौसम कैसा होना चाहिए:
सेम की खेती ठंडी जलवायु वाले जगहों पर अच्छी होती है. इस फसल के लिए 15 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है.
सेम के पौधों में पाला सहने की अच्छी क्षमता होती है. इसलिए अधिक ठंड में भी इस फसल को कोई नुकसान नहीं होता है.
भूमि / मिट्टी:
सेम की खेती लोम मिट्टी (Loam soil) में अच्छी होती है. अधिक एसिडिक और अधिक एल्कलाइन मिट्टी में सेम की खेती अच्छी नहीं होती है. इसलिए सेम की अच्छी खेती के लिए लोम मिट्टी वाली भूमि का चयन करें.
सेम की प्रजातियाँ / सेम की किस्में:
सेम के कई प्रजातियाँ होती हैं. कुछ प्रमुख प्रजातियाँ इस प्रकार हैं:
- सेम २
- पूसा सेम 3
- पूसा
- कल्याणपुर टाइप 1
- कल्याणपुर टाइप 2
- रजनी
- पूसा अर्ली प्रौलिफिक
इसके अलावा, आप सफेद मुसली की खेती और आम की खेती करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
बीज बोआई / बोने किया जाना:
सेम की अच्छी खेती करने के लिए यह जानना बहुत जरूरी होता है कि हम कब बीजों का बोआई करें. तो आइए जानते हैं कि कब बीजारोपण करना चाहिए.
सेम कब बोई जाती है?
- अगेती फसल (Early crop): फरवरी से मार्च के महीनों में बोई जाती है.
- वर्षाकालीन फसल (Monsoon crop): जून से जुलाई के महीनों में बोई जाती है.
- रजनी (End of August): अगस्त के अंत में बोई जाती है.
सेम कितने दिनों में फल देता है?
सेम को आमतौर पर परिपक्व होने और फल देने में 45 से 60 दिनों का समय लगता है. हालांकि, यह सेम के प्रकार और बढ़ती परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकता है.
बीज की मात्रा / बीज की मात्रा:
सेम की खेती के लिए 1 हेक्टेयर जमीन में 3 किलो सेम काफी होता है. कोशिश करें कि हमेशा अच्छी गुणवत्ता के सेम के बीज चुनें, ताकि पैदावर अच्छा हो और अच्छा मुनाफा कमाया जा सके.
दूरी / दूरी:
सेम के पौधों की दूरी एक दूसरे से कम से कम 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए. अगर आप सेम को चौड़ी कियारी में बोना चाहते हैं तो कम से कम 2 मीटर चौड़ी कियारी बना कर हर 50 मीटर की दूरी पर 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में बीज बोएं.
बीज से पौधा निकल जाने पर, उसे किसी ठंडे की सहायता दें ताकि उसके लाता फैलने में मदद करें.
खाद / खाद:
सेम के अच्छे पैदावर के लिए जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए. जब सेम 20 से 25 दिन की उम्र हो जाए, तो 10 लीटर गौमूत्र में नीम के काड़े को अच्छे से मिलाकर इस मिश्रण को पौधों पर छिड़काव करें.
इसी तरह, हर 15 से 20 दिनों के अंतराल में खाद की देखभाल करने से सेम के पैदावर में वृद्धि होगी.
सेम को बोने के कम से कम 1 महीने पहले 20 से 25 टन कम्पोस्ट खाद को खेतों में डालकर अच्छे से मिला लें. सेम के खेतों में बनी कियारी में डी.ए.पी. 50 किलो, म्यूरेट ऑफ पोटाश 50 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अपने खेतों की मिटटी में मिलाएं.
सिंचाई / सिंचाई:
वर्षा ऋतु में होने वाले फलों को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. यदि कभी देरी से वर्षा हो रही है, तो आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें.
- अगेती फसल: जिसे फरवरी से मार्च के महीनों में बोई जाता है, उसे 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करने की आवश्यकता होती है.
रोग नियंत्रण / रोग नियंत्रण:
सेम की खेती करते समय सेम के पौधों पर होने वाले रोगों की जानकारी रखना महत्वपूर्ण होता है. यहां कुछ रोगों के नाम और उनके नियंत्रण के तरीके दिए गए हैं:
- बीन बीटल (Bean Beetle): इस कीट का शरीर ताम्बे रंग का होता है और उस पर काले रंग के 16 निशान होते हैं. यह कीट सेम के पौधे के मुलायम हिस्सों को खाकर नुकसान पहुंचाती है. इसके नियंत्रण के लिए नीम का काड़ा और गौमूत्र को मिलाकर प्रयोग करें.
- चूर्णी फफूंदी: इस रोग के खिलाफ गौमूत्र में नीम और माइक्रो झाइम को मिलाकर इसके पौधों पर छिड़काव करें.
- बीज का चैंपा: इस कीट से बचाव के लिए गौमूत्र में नीम और माइक्रो झाइम को मिलाकर इसे पौधों पर छिड़काव करें.
उपज / उपज:
अगर सेम के पौधों की देखभाल सही तरीके से की जाती है, तो सेम का उत्पादन 60 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है.
Conclusion Points
फलियों की खेती को सफल बनाने के लिए कब और कैसे करना चाहिए। किसान रोपण के लिए आदर्श महीने को जानकर और उचित पानी और उर्वरक देकर सेम पौधों को स्वस्थ रख सकते हैं।
इसके अलावा, उपलब्ध फलियों की विभिन्न किस्मों को जानना आपको खेती के संदर्भ में बेहतर योजना बनाने और निर्णय लेने में मदद करता है। प्रत्येक फली, चाहे वह हरी, काली या राजमा हो, पनपने के लिए अलग-अलग परिस्थितियां चाहिए।
इसलिए, यदि आप अपने बगीचे या खेत में फलियाँ उगाने पर विचार कर रहे हैं, तो अपना शोध करें और फलदार फसल के लिए आवश्यक उपायों को पूरा करें। शानदार खेती!
मैंने, आप किसान भाइयों को सही जानकारी देने का एक प्रयास किया हूं. मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता हूं कि आप किसान भाइयों को थोड़ा सा भी नुकसान हो.
Krishi Online वेबसाइट पर आप खेती-बाड़ी व पशुपालन और सरकारी वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं से संबंधित अन्य आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. इसके अलावा मैंने दूसरे वेबसाइटों का भी लिंक (Reference) नीचे दिया है. उम्मीद करता हूं कि मैं आपका एक विश्वासी लेखक बन सकूंगा.
Reference
FAQs
सेम का पौधा कैसा होता है?
उत्तर – यह पौधा अपनी फलियों के लिए जाना जाता है, जिनका उपयोग अक्सर विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है। बीन का पौधा सेम परिवार का सदस्य है, और बीन के पौधों की कई अलग-अलग प्रजातियां हैं। पौधे में आम तौर पर बड़े पत्ते होते हैं, और सेम आमतौर पर फली में स्थित होती हैं।
सेम क्या होता है?
उत्तर – बीन का पौधा फलियां परिवार का एक फूल वाला पौधा है, जिसमें मटर और दाल जैसे पौधे शामिल हैं। फलियाँ पौधे के फल हैं, और उन्हें सुखाया या ताजा किया जा सकता है।
बीन के पौधों को बढ़ने के लिए बहुत अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें अक्सर अन्य फसलों को लगाने से पहले मिट्टी को बेहतर बनाने के लिए कवर फसल के रूप में उपयोग किया जाता है।
सेम किसे कहते हैं?
उत्तर – बीन के पौधे को “विग्ना कोणीय” कहा जाता है। यह एक प्रकार की फलियां हैं, जो फैबेसी परिवार का एक फूल वाला पौधा है। विग्ना कोणीय अफ्रीका और एशिया का मूल निवासी है, और इसे दुनिया के कई हिस्सों में इसकी खाद्य फलियों के लिए उगाया जाता है।
भारत में सेम की खेती का सबसे अच्छा समय क्या है?
भारत में बीन्स की खेती आमतौर पर मानसून के मौसम के दौरान की जाती है, जो आमतौर पर जून और सितंबर के बीच आती है।
मैं सेम की खेती के लिए मिट्टी कैसे तैयार करूं?
फलियाँ बोने से पहले, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मिट्टी अच्छी तरह से सूखा हो और कार्बनिक पदार्थों से समृद्ध हो। खाद या खाद डालने से मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
क्या फलियाँ गमलों या कन्टेनरों में उगाई जा सकती हैं?
हां, फलियों को गमलों या कंटेनरों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, जब तक कि उनमें जड़ों के बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह हो और उचित जल निकासी हो।
मुझे अपने सेम के पौधों को कितनी बार पानी देना चाहिए?
बीन के पौधों को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, खासकर शुष्क अवधि के दौरान। सप्ताह में एक या दो बार उन्हें गहराई से पानी दें, यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी नम रहे लेकिन जल भराव न हो।
क्या कोई विशिष्ट कीट या बीमारियाँ हैं जो सेम के पौधों को प्रभावित करती हैं?
बीन के पौधे एफिड्स, बीटल और कैटरपिलर जैसे कुछ कीटों के प्रति संवेदनशील होते हैं। ख़स्ता फफूंदी और सफ़ेद फफूंद जैसी बीमारियाँ भी उन्हें प्रभावित कर सकती हैं। नियमित निरीक्षण और उचित कीट प्रबंधन तकनीकों की सिफारिश की जाती है।
फलियाँ परिपक्व होने में कितना समय लगता है?
फलियों के परिपक्व होने में लगने वाला समय खेती की जा रही किस्म पर निर्भर करता है। आम तौर पर, झाड़ी-प्रकार की फलियाँ 50-60 दिनों के भीतर पक जाती हैं, जबकि पोल-प्रकार की फलियाँ लगभग 70-90 दिनों में पक जाती हैं।
क्या मैं अगले साल की खेती के लिए अपनी कटी हुई फलियों से बीज बचा सकता हूँ?
हाँ, आप भविष्य की खेती के लिए अपनी कटी हुई फलियों से बीज बचा सकते हैं। ठंडी और सूखी जगह पर भंडारण करने से पहले सुनिश्चित करें कि बीज पूरी तरह से परिपक्व और पूरी तरह से सूखे हैं।
क्या भारतीय जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त सेम की विभिन्न प्रकार की किस्में हैं?
हां, भारतीय जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त विभिन्न प्रकार की सेम की किस्में हैं जिनमें किडनी बीन्स (राजमा), चना (छोले), ब्लैक-आइड पीज़ (लोबिया) और कई अन्य शामिल हैं। ऐसी किस्मों को चुनने की सलाह दी जाती है जो आपके विशिष्ट क्षेत्र के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित हों
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