अमरुद की खेती कैसे करें जानिए साइंटिफिक एवं देसी तरीकों के मिश्रण, से कैसे करें 

अमरूद की खेती से अगर ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं तो इसके किस्मों एवं साइंटिफिक मेथड पर रिसर्च कीजिए. आपको जरूर इसका लाभ मिलेगा.

अमरुद की खेती कैसे करें जानिए साइंटिफिक एवं देसी तरीकों के मिश्रण से कैसे करें 

क्या आप भी अमरुद की खेती करने का plan बना रहे है? आइये जानते कैसे Guava farming का business start करें. इससे जुडी जानकारी, common diseases, और profit margin के बारे में भी जान सकते हैं. 

अमरुद बहुत हीं लोकप्रिय फलो में से एक है. इसकी popularity के कारण इसका demand दिनों दिन बढ़ता हीं चला जा रहा है। इसलिए इसकी खेती से farmers को अच्छा खासा income हो सकता है। इसलिए चलिए जानते है की अमरुद की खेती कैसे करने से हमे अच्छे फसल की प्राप्ति मिल सकती है ।

Amrud ki Kheti – Guava Farming in India

वैसे देखा जाये तो अमरुद की खेती Jharkhand, Bihar, Uttar Pradesh, Maharasthra states में आसानी से की जा सकती है. चलिए अब जानते है अमरुद के बागवानी और खेती से जुडी जानकारी के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

अमरुद की खेती कैसे करें /How to start Guava Farming Business

Yah baat maine kai baar kahi hai ki agar aapke pass khali plot padi hai to use sahi tarike se use karke kisan bhai achaa khasa profit kama sakte hai. Agar aapke pass bhi 1 se 2 acre ki land hai to aap Amrud ke paudhe ko laga kar. 

अमरूद की खेती कहां पर करें

भूमि का चयन कैसे करें 

अमरूद की खेती almost सभी सभी तरह की ज़मीन पर की जा सकती है। लेकिन फिर भी अच्छे फसल के production हेतु फलप्रद बलुई दोमट मिट्टी अमरुद की खेती के लिए अच्छी होती है। 

बलुई मिट्टी वाली भूमि जिसका ph मान 4.5 हो और चूना वाला भूमि जिसका ph मान 8.2 हो उस पर भी अमरुद की खेती को successfully किया जा सकता है।

अमरूद की खेती के लिए जलवायु कैसा होना चाहिए? 

वैसे तो “अमरूद की खेती” को किसी भी तरह के जलवायु में किया जा सकता है। लेकिन फिर भी अमरूद की खेती के लिए Hot और dry climate सबसे सही रहता है। 

गर्म area में temperature  और humidity कि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहने पर फल सालो भर लगते है। जिस area में 124 cm से ज्यादा बारिस होती है उस area में अमरुद की खेती करना सही नहीं माना जाता है। अधिक पाले से अमरुद के छोटे छोटे पौधे को नुकसान पहुँचता है।

अमरुद की किस्मे / Varieties of Guava 

अमरूद की प्रमुख किस्में कुछ इस प्रकार से है :-

अमरुद की किस्मे

  • इलाहाबादी सफेदा,
  • सरदार 49 लखनऊ,
  • सेबनुमा अमरूद,
  • इलाहाबादी सुरखा,
  • बेहट कोकोनट,
  • चित्तीदार,
  • रेड फ्लेस्ड, आदि।

पौधे का रोपण

अमरुद के पौधे को रोपने का सबसे सही July से August तक होता है. जिस स्थान पर सिंचाई का arrangement अच्छे से किया गया हो उस जगह पर February और march में भी इसके पौधों को रोपा जा सकता है। 

पौधे को रोपने से पहले भूमि की जुताई की जाती है और फिर  उसे चिकना बना लिया जाता है। फिर 6*6 meter की दूरी पर 60*60 cm के गड्‌ढों को खोद लें. 

उसमे 1 kg सड़ी हुई गोबर की खाद, organic खाद और ऊपरी मिट्‌टी को एक साथ mix कर के इस मिश्रण से गड्‌ढे को अच्छी तरह से भर दें. फिर खेत की सिंचाई कर दें। 

अब पौधा रोपने के लिए गड्‌ढा ready है। जरूरत के मुताबिक गड्ढे को खोदकर उसके center में पौधे को रोप कर चारों side से मिट्टी को दबाकर हलकी सिंचाई कर दें। हर पौधे के बीच का distance लगभग 20 फुट होना चाहिए।

सिंचाई प्रबंधन / Irrigation Management

यदि आपको अच्छी फसल की प्राप्ति चाहिए तो winter season में कम से कम दो बार सिंचाई. Summer season में तीन बार सिचाई करना होगा। 

ठंड में 15 days के interval पर और गर्मी में 7 days के interval पर सिंचाई की जाती है। वर्षा के time फसल की प्राप्ति हेतु आपको गर्मी में हीं सिंचाई करनी होगी।

खाद प्रबंधन कैसे करें 

अमरुद की खेती में गोबर की सड़ी हुई खाद का 15 गाड़ी per एकड़ के हिसाब से देने से बहुत profit होता है। इसके छोटे पौधों में बरसात start होते ही खाद दिया जाता है। 

पौधे का एक हो जाने के बाद उसमे लगभग 15 kg गोबर की खाद दी जाती है। जो पौधे फल देने योग्य हो जाये उसमे 10 लगभग 60 kg गोबर की खाद और 2.5 अमोनियम सल्फ़ेट, 450 g पोटेशियम सल्फ़ेट और 1.25 kg सुपर फ़ॉस्फ़ेट देना होता है। 

गोबर की खाद का use ठंड start होने के first week और फिर  September month में करना चाहिए।

खरपतवार

अमरुद की खेती में हर 10 से 12 days पर सभी खर-पतवार को निकाल देना जरूरी होता है। जब पौधे बड़े होने लगे तब बरसात के वक़्त एक बार खेत की जुताई कर दी जाती है। 

यदि आपको स्वस्थ और अच्छे आकर का वृक्ष चाहिए तो समय समय पर अमरुद की डालियों की छँटाई करते रहना होगा।

अमरूद का पेड़ कितने दिन में फल देता है? 

अमरूद का पौधा कितने दिन में फल देता है? अमरूद का पेड़ किस्म के आधार पर रोपण के चार से बारह महीने बाद कहीं भी फल दे सकता है।

अधिकांश व्यावसायिक उत्पादक किसी भी फल की कटाई से पहले पेड़ के लगभग तीन साल पुराने होने तक प्रतीक्षा करते हैं। घर के बगीचे में, आप दूसरे वर्ष में कुछ अमरूदों की कटाई करने में सक्षम हो सकते हैं।

रोग व कीट नियंत्रण / Common Diseases in Guava Plant   

अमरूद में कीड़े ज्यादातर बरसात में लगते है। कीड़े लग जाने से पौधों का विकास और फलों की गुणवत्ता पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

अमरूद के प्रमुख बीमारी
Common Diseases in Guava Plant

अमरूद के पेड़ में लगने वाले कीट इस तरह से होते है:

छाल खाने वाली गिडार 

यह कीट रात के time में पेड़ की छाल को खाकर उसे हानी पहुंचाती है। इस कीट से बचने के लिए इसके द्वारा बनाये गए जालो को साफ कर दें और सभी छेदों में kerosene oil  भर के उसे मिट्टी से बंद कर दें।

फल छेदक

यह कीट एक बहुत हीं बड़ी संख्या में अमरुद के फलो को खराब कर देती है। यह कीट अमरुद के फूलो पर अंडे देती है. जिससे निकली हुई इल्लियाँ फलो के भीतर जा कर उसके गुद्दे को खा जाती है. 

जिससे फल खराब हो जाते है। इस कीट के रोकथाम हेतु पेड़ पर फल लगते हीं. 

नीम के पत्ते को boil कर उसके पानी का पेड़ो पर छिड़काव करे। यह एक बिना किसी दवा के organic farming के जैसा है जिससे फल अच्छे होते है और खर्चा भी बचता है. 

फल मक्खी 

यह कीट वर्षा के समय ज्यादा लगता है। ये भी फल के भीतर अंडे देती है. जिससे सुंडी निकाल कर गुद्दे को खाने लगाती है और फिर फल सड़ने लगते है। 

इस कीट के रोकथाम हेतु ग्रसित फलो को पेड़ से तोड़ कर अलग कर देना चाहिए और फिर उबले हुए नीम के पत्ते का पानी का छिड़काव करना चाहिए।

शाखा बेधक

यह किट पेड़ के soft टहनियों में छेद कर देती है जिससे टहनियां मुरझा कर लटक जाती है. फिर सुख कर गिरने लगती है। इसके रोकथाम के लिए भी उबले हुए नीम के पत्तो का हीं इस्तेमाल किया जाता है ।

अमरुद के पेड़ में लगने वाले रोग कुछ इस तरह के होते है :-

उकठा रोग 

इस रोग के लग जाने के कारण से पेड़ो की पत्तियां brown हो जाती है, मुडझा जाते है और डालियाँ सूखने लगती है। इस रोग से affected पौधे को फ़ौरन हीं उखाड़ कर फेंक दें.  ध्यान रखे की पौधों के जड़ो में पानी नहीं जमना चाहिए।

तना कैंसर 

इसके प्रभाव से डालों की छाले फट जाती है और पेड़ भी सूखने लगते है। इसकी रोकथाम हेतु ग्रसित डालियों को काटकर जाला दे और फिर कटे हुए parts पर ग्रीस लगा दें।

एन्थ्रोकनोज 

यह रोग august से October तक ज्यादा लगता है। इस रोग के लगने से फलो पर  भूरे रंग के धब्बे बनने लगते है। इस रोग से बचाव हेतु प्रभावी भाग को पेड़ से अलग कर दे और फिर कटे हुए हिस्सों पर ग्रीस लगा दें।

फलो की तुड़ाई व भंडारण

अमरुद के पेड़ पर फूल लगने के लगभग 130 days के बाद फल पकने लगते हैं। जब फलों का रंग green से yellow color में बदलने लगे तब उसे तोड़ लिया जाता हैं। 

पूरी तरह से विकसित अमरूद के पेड़ से हर साल लगभग 600 फल प्राप्त किये जा सकते है। इसका भंडारण बहुत हीं कम time तक के लिए किया जाता है। 

अमरूद के फलो को लगभग 23°c  तक के temperature वाले कमरे में किसी छिद्र युक्त पोलीथिन कि थैली में 8 से 10 दिनों तक रखा जा सकता है। भण्डारण करने के लिए ऐसे फलो को चुनना चाहिए जो हल्का पीला हो ताकि फल जल्दी खराब ना हो।

अमरुद के पेड़ से कितने सालों में फल होने लगता है? उत्तर – 

एक बार अमरुद का पौदा लगा देने से 3 से 4 years के बाद फल देने लगता है, और 15 years तक काफी अच्छी amount में fruit होता है और फिर धीरे धीरे production कम होने लगता है. 

अमरुद के पेड़ की कितनी आयु होती है / What’s the life of Guava Tree

एक स्वस्थ्य अमरुद का पेड़ की age लगभग 40 years तक होती है और पर कई बार देखा गया है की Guava tree की lifespan 45 years तक भी होती है.

Conclusion Points 

आप सज्जन कृषि ऑनलाइन वेबसाइट पर आए, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं बहुत ईमानदारी से कह सकता हूं कि यह इंटरनेट पर अंतिम या पहला आर्टिकल नहीं है.

मैंने, आप किसान भाइयों को सही जानकारी देने का एक प्रयास किया हूं. मैं किसी भी कीमत पर नहीं चाहता हूं कि आप किसान भाइयों को थोड़ा सा भी नुकसान हो.

Krishi Online वेबसाइट पर आप खेती-बाड़ीपशुपालन और सरकारी वेबसाइट पर किसानों के लिए योजनाएं से संबंधित अन्य आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. इसके अलावा मैंने दूसरे वेबसाइटों का भी लिंक (Reference) नीचे दिया है. उम्मीद करता हूं कि मैं आपका एक विश्वासी लेखक बन सकूंगा.

अमरूद एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है जिसे ताजा या कई तरह के व्यंजनों में खाया जा सकता है। हालांकि, बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि वैज्ञानिक और स्वदेशी तरीकों के मिश्रण से घर पर अमरूद की खेती करना अपेक्षाकृत आसान है।

सबसे पहले, अपनी जलवायु के लिए सही प्रकार के अमरूद का चयन करना महत्वपूर्ण है। अमरूद की कई किस्में होती हैं, इसलिए जहां आप रहते हैं वहां फलने-फूलने वाले को खोजने के लिए कुछ शोध करें। एक बार जब आपके पास अपना पेड़ हो जाता है, तो इसे अच्छी तरह से सूखा मिट्टी में उस क्षेत्र में लगाने का समय है जहां बहुत सारी धूप मिलती है।

एक भरपूर फसल सुनिश्चित करने के लिए, अपने अमरूद के पेड़ को नियमित रूप से खाद दें और इसे गहराई से पानी दें, लेकिन बहुत बार नहीं – अधिक पानी वास्तव में पेड़ को नुकसान पहुंचा सकता है। अंत में, धैर्य रखें!

Reference

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