Amrud Ki Kheti: अमरूद का पेड़ कितने दिन में फल देता है
क्या आपने कभी सोचा है कि अमरूद के पेड़ पर फल लगने में कितना समय लगता है? यदि आपने कभी पके हुए अमरूद की रसदार मिठास का स्वाद चखा है, तो आप जानते हैं कि इंतजार कितना सार्थक हो सकता है।
लेकिन वास्तव में उन छोटे हरे फलों को उन सुस्वादु आनंद में बदलने में कितना समय लगता है जिनका हम आनंद लेते हैं? इस लेख में, हम अमरूद की खेती की दुनिया में उतरेंगे और अंकुरण से लेकर कटाई तक की समयसीमा का पता लगाएंगे। अमरूद की खेती के पीछे के रहस्यों को जानने और इस स्वादिष्ट फल के बारे में अपनी जिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिए तैयार हो जाइए!
अमरूद का पेड़ कितने दिन में फल देता है?
अमरूद का पेड़ आमतौर पर 4 महीने से 1 साल के बीच में फल देने लगता है, लेकिन यह पेड़ की विशेष प्रजातियों और वातावरण की स्थितियों पर भी निर्भर करता है। कुछ प्रजातियाँ तो 3 साल या उससे भी अधिक समय लेती हैं फल देने में।
अमरूद के पेड़ का फल गर्मियों में आमतौर पर जून से सितंबर के महीनों में पाया जाता है, लेकिन यह तापमान और जगह के आधार पर भी बदल सकता है। इसमें भूमि की श्रेणी, प्रजाति का चयन, और उपयुक्त देखभाल की गुणवत्ता शामिल है। कृपया ध्यान दें कि यह आमतौर पर है और अंदरूनी तथा बाहरी कारकों के साथ इस प्रकार की समय सीमा परिणामित हो सकती है।
अमरुद की खेती कैसे करें?(Amrud ki Kheti)
अमरुद की खेती करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:
- बीज की चयन: सही प्रजाति के अमरुद के बीज का चयन करें। यह स्थानीय मौसम और जलवायु को ध्यान में रखकर करें।
- खेत की तैयारी: अमरुद के खेत को अच्छी तरह से तैयार करें। खेत को अच्छे से खुराकने के लिए उर्वरक और कंपोस्ट का प्रयोग करें।
- पौधों का पूर्व-प्रक्रिया: बीजों को पूर्व-प्रक्रिया के लिए बुआई से पहले पानी में भिगोकर रखें।
- बुआई: बीजों को सही दूरी और रो पर बोएं।
- जल संचालन: अमरुद के पौधों को नियमित रूप से पानी दें, खासकर सूखे मौसम में।
- उर्वरक और जीवाणु खाद्य पदार्थों का प्रयोग: पौधों को उर्वरक और जीवाणु खाद्य पदार्थों से पोषित करें।
- रोग और कीट प्रबंधन: पौधों को रोग और कीटों से बचाने के लिए नियमित रूप से प्रयोगिका करें।
- प्रुनिंग और प्रुनिंग: पौधों को नियमित रूप से काट कर प्रुनिंग करें ताकि वे अच्छी तरह से विकसित हों और फलों की गुणवत्ता बेहतर हो।
- प्रूफिटेबल हार्वेस्टिंग: अमरुद की हार्वेस्टिंग को अच्छी तरह से करें, जिससे फलों की गुणवत्ता बनी रहे और वे बाजार में अच्छी कीमत पर बेचे जा सकें।
- बाजार पहुंचान: अमरुद को स्थानीय बाजारों और बड़े बाजारों तक पहुंचाने के लिए सही विपणि रणनीतियों का अध्ययन करें और सही धारा में फसल बेचें।
अमरुद की खेती केवल इन कदमों के साथ ही सम्पूर्ण होती है, लेकिन यह आपको अच्छा मुनाफा दिलाने में मदद कर सकती है। ध्यानपूर्वक और सावधानी से काम करें और विशेषज्ञ सलाह भी लें, यदि आपको यह व्यापार शुरू करने में किसी भी समस्या का सामना करना पड़ता है।
भूमि का चयन कैसे करें
मिट्टी का चयन (Soil Selection): अमरूद की खेती के लिए सही मिट्टी का चयन करना महत्वपूर्ण है। बेहतर प्रदर्शन के लिए, फलप्रद बालूई दोमट मिट्टी या लोम मिट्टी अच्छी मानी जाती है। यहाँ कुछ मिट्टी के प्रमुख प्रकार हैं:
- बालूई मिट्टी (Clay Soil): यह मिट्टी अच्छी फलदायक होती है, लेकिन इसमें सुखाने में समय लगता है और अधिक पानी रखती है, इसलिए ड्रेनेज सिस्टम की आवश्यकता होती है।
- लोम मिट्टी (Loam Soil): यह मिट्टी फलदायक और ड्रेनेज क्षमता वाली होती है, और अमरूद के पौधों के लिए उपयुक्त होती है।
- मिट्टी का pH स्तर: मिट्टी का pH मान 4.5 से 8.2 के बीच होना चाहिए, जिससे अमरूद के पौधों को सही पोषण मिल सके।
अमरूद की खेती के लिए जलवायु कैसा होना चाहिए?
अमरूद की खेती के लिए जलवायु का महत्वपूर्ण भूमिका होता है, और यह सही जलवायु का चयन उचित पैमाने पर फसल की मांगों को पूरा करने में मदद करता है। आपने सही बिंदुओं को उठाया है कि अमरूद की खेती के लिए गर्म और सूखी जलवायु सबसे अच्छी रहती है। निम्नलिखित कुछ अन्य महत्वपूर्ण जलवायु संबंधित परामर्श भी हैं:
उचित तापमान (Temperature): अमरूद के पौधों के लिए उचित तापमान महत्वपूर्ण है। ये पौधे ठंडी और बर्फ में नहीं बढ़ सकते, इसलिए उचित गर्मियों में फसल लगानी चाहिए। अमरूद की खेती के लिए सामान्य रूप से 25-30°C का तापमान उपयुक्त माना जाता है।
कम हुमिडिटी (Low Humidity): जलवायु में निम्न हुमिडिटी भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक हुमिडिटी से अमरूद के पौधों को फंगस और बीमारियों का खतरा होता है।
कम बारिश (Low Rainfall): अमरूद की खेती के लिए कम बारिश या सुखा मौसम उपयुक्त होता है। अधिक बारिश फलों को कमजोर कर सकती है और कीटों और बीमारियों के प्रसार का खतरा बढ़ा सकती है।
जल सबलाई (Water Supply): अमरूद की खेती के दौरान यदि संचाई की आवश्यकता होती है, तो स्थानीय सींचाई प्रणाली का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है। यदि बारिश अधिक होती है, तो ड्रेनेज सिस्टम का उपयोग करके पानी की निकासी को सुनिश्चित करें।
जल संचयन (Water Retention): मिट्टी में जल संचयन की क्षमता होनी चाहिए, ताकि पौधों को सैकड़ों दिनों तक पानी की कमी के बावजूद पोषण मिल सके।
अमरुद की किस्मे / Varieties of Guava
अमरूद की कई प्रमुख किस्में होती हैं, जो विभिन्न रंगों, आकारों और रसीलापन में होती हैं। ये विभिन्न किस्में विभिन्न भागों में भारत और अन्य स्थानों में प्राप्त हो सकती हैं। यहां कुछ प्रमुख अमरूद की किस्में हैं:
- इलाहाबादी सफेदा (Allahabad Safeda): यह किस्म सफेद अमरूद के रूप में जानी जाती है और यह भारत में प्रमुख रूप से खेती जाती है। इसके फल सफेद रंग के होते हैं और बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं।
- सरदार 49 लखनऊ (Sardar 49 Lucknow): यह एक अन्य लोकप्रिय किस्म है, खासतर उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले में। इसके फल बड़े होते हैं और अच्छे रसीले फलों के लिए प्रसिद्ध हैं।
- सेबनुमा अमरूद (Sebnuma Guava): यह अमरूद की किस्म गोल आकार के फलों के लिए जानी जाती है और इसके फल मिल्की व्हाइट कलर के होते हैं।
- इलाहाबादी सुरखा (Allahabadi Surkha): इसकी खासियत है कि यह किस्म छोटे से गोल फलों का निर्माण करती है जो सुर्खा रंग के होते हैं।
- बेहट कोकोनट (Behat Coconut): यह किस्म अपने फलों के बड़े आकार के लिए प्रसिद्ध है और इसके फल गहरे पीले रंग के होते हैं।
- चित्तीदार (Chittidar): इस किस्म के फलों की खासियत है कि उनमें छोटी छोटी चित्तियाँ होती हैं, जिनके कारण इसे चित्तीदार अमरूद कहा जाता है।
- रेड फ्लेस्ड (Red Fleshed): इस किस्म के फलों का मानव खाने का स्वाद अद्वितीय होता है क्योंकि उनका गुदा लाल होता है, जिससे यह अमरूद आलूचा जैसा दिखता है।
यह केवल कुछ प्रमुख किस्में हैं, और अमरूद की कई अन्य किस्में भी होती हैं, जो विभिन्न स्थानों पर पाई जा सकती हैं। आपके खेत में अमरूद की खेती के लिए स्थानीय जलवायु और जलवायु की शर्तों के आधार पर उपयुक्त किस्म का चयन कर सकते हैं।
पौधे का रोपण
आपने पौधों के रोपण के लिए अच्छे तरीके से तैयारी कर ली है। यह अमरूद के पौधों को सही तरह से स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित और अधिक जानकारी दी गई है जिससे आपके अमरूद के पौधों को स्थापित करने में मदद मिलेगी:
- पौधों का चयन: पौधों का चयन करते समय सुनिश्चित करें कि आप विश्वसनीय स्रोत से ही अच्छे पौधे खरीदते हैं। पौधों के पूरी तरह स्वस्थ और बीमारियों से मुक्त होने चाहिए।
- गड्ढों की तैयारी: गड्ढों की आवश्यक गहराई और दूरी को ध्यान में रखते हुए गड्ढों की तैयारी करें। गड्ढों के बीच की दूरी पौधों की वृद्धि के आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण है।
- मिश्रण और गड्ढों में भराई: आपके दिए गए निर्देशों के अनुसार, गड्ढों को खोदने के बाद मिश्रण को गड्ढों में भरें। मिश्रण को अच्छी तरह से गड्ढों में भरकर दबाएं ताकि कोई गैप न रहे और पौधों को स्थिरता मिले।
- सिंचाई: पौधों को रोपने के बाद, उन्हें भारी मात्रा में सिंचाई करें। सिंचाई के लिए ट्रिकल सिंचाई या कप्ली सिंचाई की प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं।
- पौधों की देखभाल: पौधों की सच्ची देखभाल करें, जैसे कि उनके आसपास की घास को हटाना, कीट प्रबंधन करना और सिंचाई का समय-समय पर सुनिश्चित करना।
- पौधों के बीच की दूरी: पौधों के बीच की दूरी को अच्छी तरह से देखें और उसे समय-समय पर बढ़ाने का प्रयास करें। यह पौधों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
- खाद: पौधों के लिए उपयुक्त खाद का उपयोग करें, जैसे कि गोबर की खाद और जीवाणु खाद, ताकि पौधों को आवश्यक पोषण मिले।
अमरूद के पौधों को रोपने के बाद, उनकी देखभाल को ध्यानपूर्वक और सुरक्षित तरीके से करते रहें, ताकि आप अच्छी खासी पैदावार हासिल कर सकें।
सिंचाई प्रबंधन
फसल की उत्तराधिकारितता को बढ़ाने के लिए, आपको अमरूद के पौधों को ठंडी में कम से कम दो बार सिंचाई करनी चाहिए, और गर्मी के मौसम में तीन बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
ठंडी के मौसम में, 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जानी चाहिए, जबकि गर्मी के मौसम में, 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जानी चाहिए। वर्षा के समय, फसल को प्राप्त करने के लिए आपको गर्मी के दौरान ही सिंचाई करनी चाहिए।
खाद प्रबंधन:
अमरूद की खेती में गोबर की सड़ी हुई खाद का प्रयोग करने से लाभकारी होता है। इसके अनुसार, प्रति एकड़ पर 15 गाड़ियों की मात्रा में खाद देनी चाहिए। छोटे पौधों को बरसात के शुरूआती दिनों में ही खाद दी जाती है।
पौधों का एक होने के बाद, लगभग 15 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति पौधे में दी जाती है। जिन पौधों में फल देने की संभावना होती है, उन्हें लगभग 60 किलोग्राम गोबर की खाद, 2.5 किलोग्राम अमोनियम सल्फेट, 450 ग्राम पोटैशियम सल्फेट, और 1.25 किलोग्राम सुपर फॉस्फेट दिया जाता है। गोबर की खाद का उपयोग ठंडी के आरंभिक दिनों में और फिर सितंबर महीने में किया जाता है।
खरपतवार:
अमरूद की खेती में, हर 10 से 12 दिनों पर खरपतवार को निकालना आवश्यक होता है। पौधों के बड़े होने पर, बरसात के समय एक बार खेत की जुताई की जाती है। यदि आपको स्वस्थ और अच्छे आकार के पेड़ों की खेती करनी है, तो आपको समय-समय पर अमरूद की डालियों की छँटाई करते रहनी चाहिए।
आमतौर पर, अमरूद के पेड़ किस्म के आधार पर चार से बारह महीने बाद फल देते हैं। व्यावसायिक उत्पादक अक्सर पेड़ के लगभग तीन साल पुराने होने तक फल की कटाई से पहले प्रतीक्षा करते हैं। घरेलू बागों में, आप दूसरे साल में कुछ अमरूद की कटाई कर सकते हैं।
अमरुद की रोग व कीट नियंत्रण
अमरूद में कीड़े ज्यादातर बरसात में लगते है। कीड़े लग जाने से पौधों का विकास और फलों की गुणवत्ता पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
सामान्य रोग:
1. छाल खाने वाली गिडार (Bark Eating Caterpillar): इस कीट को रोकने के लिए पेड़ पर बनाए जाने वाले जालों को साफ करें और सभी छेदों में केरोसीन तेल को भरकर उन्हें मिट्टी से बंद करें।
2. फल छेदक (Fruit Borer): फल छेदक के प्रतिकूल द्विप्रक्रियात्मक नियंत्रण हेतु पेड़ पर लगने वाले फलों को तुरंत ही हटा दें।
3. फल मक्खी (Fruit Fly): इसके खिलाफ फलों को पेड़ से हटा दें और उबले हुए नीम के पत्तों के पानी का छिड़काव करें।
4. शाखा बेधक (Twig Borer): इस कीट को रोकने के लिए जाला लगाने के बजाय, प्रभावित शाखाओं को काटकर हटा दें और कटे हुए हिस्सों पर ग्रीस लगा दें।
अमरूद की बीमारियां:
1. उकठा रोग (Wilt Disease): इस रोग से प्रभावित पौधों को तुरंत ही उखाड़कर फेंक दें और यह ध्यान दें कि पौधों के जड़ों में पानी जमाव नहीं होना चाहिए।
2. तना कैंसर (Canker Disease): तना कैंसर के प्रभाव को रोकने के लिए प्रभावित डालियों को काटकर जाला लगा दें और कटे हुए हिस्सों पर ग्रीस लगा दें।
3. एन्थ्रोकनोज (Anthracnose): इस रोग के प्रभावित भाग को पेड़ से अलग करें और कटे हुए हिस्सों पर ग्रीस लगा दें।
यह ध्यान दें कि रोगों और कीटों के नियंत्रण के लिए केमिकल उपयोग से पहले, जैविक और प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करना बेहतर होता है।
अमरुद के फलों की तोड़ाई और भंडारण:
अमरुद के पेड़ पर फूल लगने के लगभग 130 दिनों के बाद फल पकने लगते हैं। फलों का रंग हरा से पीला होने पर वे पूरी तरह से पूरे और पूरी रूप से परिपक्व हो जाते हैं, और तोड़ लिए जा सकते हैं।
फलों की तोड़ाई के लिए निम्नलिखित कदम उपयोगी हो सकते हैं:
- फल का चयन: भंडारण के लिए फलों का चयन करते समय, हमें वे फल चुनने चाहिए जो हल्के पीले होते हैं, ताकि वे जल्दी खराब नहीं होते। फलों की ठिक वृद्धि के साथ साथ उनके रंग का ध्यान भी देना चाहिए।
- फल की तोड़ाई: फल को ध्यानपूर्वक और आसानी से तोड़ने के लिए एक छोटी सी कट्टी या फलों के तोड़ने के विशेष औजार का उपयोग करें। ध्यान दें कि फलों को हाथ से कुछ ज्यादा न हानि पहुंचे।
- भंडारण कंटेनर: फलों को भंडारण के लिए सबसे अच्छा तरीका पॉलीथीन की थैलियों में रखना होता है। इन थैलियों को छिद्र युक्त रखना जरूरी है ताकि फलों को हवा की अच्छी तरह से वेंटिलेट किया जा सके।
- भंडारण स्थान: अमरुद के फलों को भंडारण के लिए बिल्कुल सुखा और ठंडा स्थान चुनना चाहिए, जिसमें तापमान लगभग 23°C तक हो।
- फलों की लंबाई को बनाए रखें: फलों को जितनी संभव हो लम्बी लंबाई पर बनाए रखना चाहिए ताकि वे अधिक समय तक ताजगी बनाए रख सकें।
- पैकेजिंग: फलों को बेहतर रूप से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें खूबसरत पैकेजिंग में रखें।
- अच्छे तरीके से बंद करें: पॉलीथीन की थैलियों को अच्छे से बंद करें ताकि फल सुरक्षित रहें और उनमें से गैस निकलने का सुझाव देते हैं।
अमरुद के पेड की उम्र:
एक बार अमरुद का पौदा लगाने के बाद, यह लगभग 3 से 4 वर्षों बाद फल देने लगता है, और इसका माना जा सकता है कि यह 15 वर्षों तक बड़ी मात्रा में फल देता है, लेकिन फिर धीरे-धीरे उत्पादन कम होता है।
- अमरुद के पेड की जीवनकाल (Lifespan): एक स्वस्थ्य अमरुद के पेड की आमतौर पर 40 साल की उम्र होती है, और कई बार देखा गया है कि गुआवा के पेड़ की आयु 45 साल तक हो सकती है।
Conclusion Points
अमरूद का पेड़ किसी भी बगीचे के लिए एक बहुमुखी और फलदायी पौधा है। उचित देखभाल और रख-रखाव के साथ, यह कम से कम दो से तीन वर्षों में फल देना शुरू कर सकता है। हालाँकि, सटीक समय सीमा अमरूद की विविधता, बढ़ती परिस्थितियों और खेती के तरीकों जैसे कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है।
किसानों और बागवानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे धैर्य रखें और सर्वोत्तम फल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए अपने अमरूद के पेड़ों की आवश्यक देखभाल करें। सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करके और कृषि विशेषज्ञों या स्थानीय नर्सरी से सलाह लेकर, कोई भी अपने पेड़ों से स्वादिष्ट अमरूद की भरपूर फसल का आनंद ले सकता है। इसलिए, यदि आपको बागवानी का शौक है या आप अपना खुद का बगीचा शुरू करने में रुचि रखते हैं, तो अपनी फसलों की सूची में अमरूद के पेड़ जोड़ने पर विचार करें – आप निराश नहीं होंगे!
Reference
FAQs
1. क्या अमरूद के पेड़ ठंडे तापमान को सहन कर सकते हैं?
हां, अमरूद के पेड़ कुछ ठंडे तापमान को सहन कर सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक ठंड की स्थिति में रहने से वे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं या मर सकते हैं।
2. अमरूद के पेड़ों को कितनी धूप की आवश्यकता होती है?
अमरूद के पेड़ पूर्ण सूर्य के प्रकाश में पनपते हैं और इष्टतम विकास और फल उत्पादन के लिए प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे सीधे सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।
3. अमरूद उगाने के लिए किस प्रकार की मिट्टी सर्वोत्तम है?
अमरूद के पेड़ 5.5 और 7.0 के बीच पीएच स्तर वाली अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद करते हैं। अच्छी कार्बनिक पदार्थ सामग्री वाली बलुई दोमट या दोमट मिट्टी उनकी खेती के लिए आदर्श है।
4. मुझे अपने अमरूद के पेड़ को कितनी बार पानी देना चाहिए?
युवा अमरूद के पेड़ों को अपनी जड़ प्रणाली स्थापित करने के लिए नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, जबकि परिपक्व पेड़ सूखा-सहिष्णु होते हैं और कम बार पानी देने की आवश्यकता होती है। आम तौर पर, सूखे के दौरान हर 10-14 दिनों में पानी देना पर्याप्त होता है।
5. अमरूद के पेड़ों को खाद देने का सबसे अच्छा समय कब है?
फल देने वाले पौधों के लिए उपयुक्त संतुलित उर्वरक फार्मूले का उपयोग करके अमरूद के पेड़ों को एक बार शुरुआती वसंत में और फिर देर से गर्मियों या शुरुआती शरद ऋतु में उर्वरक देने की सिफारिश की जाती है।
6. अमरूद के पेड़ पर फल लगने में कितना समय लगता है?
विविधता और बढ़ती परिस्थितियों के आधार पर, अमरूद के पेड़ आमतौर पर रोपण के 1 साल के भीतर फल देना शुरू कर देते हैं।
7. क्या अमरूद को छंटाई की आवश्यकता होती है? यदि हां, तो कितनी बार?
अमरूद के पेड़ों के आकार, आकार और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए छंटाई फायदेमंद है। यह आम तौर पर निष्क्रिय मौसम (सर्दियों) के दौरान मृत लकड़ी को हटाने और अत्यधिक वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
8. क्या अमरूद की खेती करते समय कीट एक आम समस्या है?
जबकि फल मक्खियाँ, एफिड्स, स्केल कीड़े और माइलबग्स जैसे कीट कभी-कभी अमरूद के पेड़ों को संक्रमित कर सकते हैं, उचित सांस्कृतिक प्रथाएं जैसे नियमित निरीक्षण, स्वच्छता का रखरखाव और जैविक कीट नियंत्रण का उपयोग ज्यादातर मामलों में इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकता है।