लीची की वैज्ञानिक खेती कैसे करें? जानिए नया रिसर्च क्या कहता है
साइंटिफिक तरीके से लीची की खेती करके आप मालामाल हो सकते हैं. उसके लिए आपको नए किस्म के लीची के बारे में जानना होगा.
आज हम जानेंगे कि कैसे लीची की खेती करके आप इससे लाखों में कम सकते हैं और इससे जुडी जानकारी के बारे में. यह एक profitable business साबित हो सकता है अगर इसे वैज्ञानिक तरीके से करें.
आज हम आपको “लीची की खेती” के कुछ नए तरीके बताएँगे कुछ तरीके ऐसे भी होंगे जिन्हें आप पहले भी अपना चुके होंगे.
लीची की खेती कैसे करें?
अगर आपके पास 1 से 2 एकड़ तक की खाली जमीन है और आप 8 से 10 साल तक का इंतज़ार कर सकते हैं तो लीची की खेती आपको लाखपति बना सकती है.
कई बार लोग जानना चाहते हैं कि लीची के पेड़ में फल आने में कितने साल लगते हैं – उत्तर है कि 8 से 10 साल लग सकते हैं.
यह सही बात है कि शुरुआत में आपको इनकम जेनरेट करने में टाइम लग सकता है पर एक बार लीची का पेड़ लग गया तो आपको 10 से 15 साल तक आसानी से अच्छी मात्रा में फल देता रहेगा और आपकी एक नियमित इनकम हो जाएगी.
तो चलिए जानते हैं कैसे लीची की खेती हमारे इंडियन में की जा सकती है और एक अच्छा प्रॉफिटेबल बिजनेस तैयार किया जा सकता है:
मिट्टी का चयन / भूमि का चयन
“लीची की खेती” हेतु गहरी धूले हुए मिट्टी को सबसे उत्तम माना गया है। “लीची की खेती” करने के लिए खेत में जल-प्रणाली का प्रबंधन अच्छी होनी चाहिए। ध्यान रहे कि खेती के समय जमीन कठिन परत (हार्ड लेयर) वाली या फिर चट्टान (रॉक) वाली न हो, साथ ही मिट्टी में चूने की कमी भी न हो।
जलवायु / मौसम
“लीची की खेती” के लिए मई और जून का समय सही माना जाता है। लीची की सफल खेती के लिए दिसंबर और जनवरी का न्यूनतम तापमान लगभग 7°C और गर्मी में अधिकतम तापमान लगभग 36°C ज्यादा नहीं होना चाहिए।
अधिक पाला (ठंड) पड़ने से लीची के छोटे पौधे को नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए ठंड के मौसम में इसकी देखभाल ज्यादा करने की आवश्यकता पड़ती है।
लीची की किस्में / लीची की प्रकार
भारत भर में लीची की करीब 50 तरह की किस्में उगाई जाती हैं जिसे हर जगह अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
बिहार में होने वाली लीची की कुछ इस प्रकार से होती हैं:
1. पुरवी लीची
2. शाही लीची
3. अरली बेदाना लीची
4. कसबा लीची
5. चाइना लीची
6. लाल मुंबई आदि।
यूपी और बंगाल में ज्यादातर बेदाना किस्म की लीची उगाई जाती है। बेदाना किस्म की लीची का बीज बहुत ही छोटा होता है, साथ हीं इसके गुद्दे बहुत ही ज्यादा होते हैं।
अन्य सभी किस्मों के लीची में चीनी की मात्रा 10-11 % होती है, वहीं बेदाना किस्म की लीची में चीनी की मात्रा 14% होती है।
पौधे का रोपण / लीची का पौधा लगाना
लीची के पौधे का रोपण जुलाई से अक्टूबर महीने तक के बीच में कर देना चाहिए। लीची के पौधे का रोपण के लिए गड्ढों की खोदाई का काम और फिर उसकी भराई का काम आम के पौधों के रोपण जैसा हीं होता है।
गड्ढे को भरते समय उसकी सबसे ऊपरी भाग में मिट्टी के साथ लगभग 25 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद, 2 किलोग्राम हड्डी का चूरा और 300 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को अच्छे से मिश्रित करके डालना चाहिए। लीची के पौधे को रोपते समय पौधों की दूरी 10 मीटर तक होनी चाहिए।
खाद प्रबंधन
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक कहा गया है कि लगभग 450 किलोग्राम लीची के ताजे फलों के विकास हेतु 1.36 किलोग्राम पोटाश, 455 ग्राम फास्फोरस, 455 ग्राम नाइट्रोजन, 342 ग्राम चूना (लाइम) और 228 ग्राम मैग्नेशियम का उपयोग खाद के रूप में किया जाना चाहिए।
सिंचाई
ग्रीष्म ऋतु में लीची के छोटे पौधों की सिंचाई सप्ताह में एक बार जरूर से करनी चाहिए। जब फल में वृद्धि होने लगे तो हर 10 से 15 दिनों के अंतराल में नियमित सिंचाई करते रहना चाहिए।
खरपतवार
लीची की खेती में खरपतवार को साफ़ करने के लिए खेतों की गहरी जुताई न करें, क्योंकि लीची के पेड़ की जड़ें भूमि के तल से सटी हुई हीं रहती हैं। इसलिए ज्यादा गहरी जुताई से लीची के पेड़ों को नुकसान पहुँच सकता है।
रोग व कीट प्रबंधन / रोग और कीट प्रबंधन
आमतौर पर लीची में बहुत ही कम रोग और कीट का प्रकोप दिखता है। कुछ हीं कीट ऐसे होते हैं जो लीची के पौधों को प्रभावित करते हैं, जैसे:
1. लीची माइट
2. मीलीबग कीट
जिस खेत में लीची और आम के पेड़ एक साथ होते हैं, उस जगह पर मीलीबग कीट का प्रकोप ज्यादा होता है। यह कीट फूलों में से और नई कोपलों में से भी रस चूस लेते हैं।
इन कीटों से बचने के लिए 0.05% पैराथियान का छिड़काव पौधों पर किया जाना चाहिए साथ हीं किसी भी पक्षी या फिर चमगादड़ को पौधों के पास आने से रोकने का अच्छा बंदोबस्त करना चाहिए।
लीची फल काटने और स्टोर करने का उचित तरीका
जब लीची के फल पक कर तैयार हो जाएं, तो उसे तोड़ते समय उसके गुच्छे सहित टहनी वाले भाग से हीं काट लिया जाना चाहिए ताकि अगले साल फिर से शाखाओं के बढ़ने के साथ उस पर फल लग सके।
फलों को तोड़ लेने के बाद उसे किसी ठंडे और हवादार स्थान पर रखकर उसका पैकिंग करना चाहिए। पैकिंग के लिए लीची को किसी बांस की बनी टोकरी या फिर लकड़ी के बक्से में पैक किया जाना चाहिए और लीची को बॉक्स या टोकरी में रखते समय उसके चारों ओर और ऊपर से लीची की हरी पत्तियों को रखना चाहिए।
मार्केट मूल्य
वैसे तो अलग-अलग राज्यों में लीची का अलग-अलग रेट होता है। जैसे बिहार और यूपी में लीची का रेट थोड़ा सस्ता होता है।
अगर आप खुद से खुदरा में लीची फल को बेचते हैं तो आपको एक किलोग्राम तक 40 से 50 रुपए मिल जाते हैं, वहीं दूसरे राज्यों में जैसे झारखंड, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मुंबई में 1 किलोग्राम लीची का रेट 60 से 70 रुपए तक तक होता है।
Conclusion Points
भारत में लीची की खेती किसानों के लिए एक फायदेमंद और लाभदायक प्रयास हो सकता है। रोपण, देखभाल और कटाई के लिए अनुशंसित तकनीकों का पालन करके, उत्पादक उच्च गुणवत्ता वाले फल उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं।
लीची के पेड़ों की सही किस्म का चयन करना महत्वपूर्ण है जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी की स्थिति के लिए उपयुक्त हो। स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने और फसल क्षति को रोकने के लिए उचित सिंचाई, उर्वरक और कीट प्रबंधन प्रथाएं आवश्यक हैं।
समर्पण और ज्ञान के साथ, किसान भारत में लीची की खेती की क्षमता का लाभ उठा सकते हैं और देश की कृषि सफलता में योगदान दे सकते हैं। आज ही अपनी लीची खेती यात्रा शुरू करें और इस स्वादिष्ट फल का लाभ उठाएं!
FAQs
1. प्रश्न: लीची की खेती के लिए कौन सी जमीन सबसे उत्तम होती है?
उत्तर: लीची की खेती के लिए सबसे उत्तम जमीन गहरी दोमट मिट्टी की होती है और खेत में जल-प्रणाली का सुगम व्यवस्था होनी चाहिए। जमीन के सतह पर कठिन परत वाली या चट्टानी भूमि नहीं होनी चाहिए और मिट्टी में चूने की कमी भी नहीं होनी चाहिए।
2. प्रश्न: लीची की खेती में सिंचाई के लिए मई और जून महीने का समय सबसे उत्तम क्यों होता है?
उत्तर: लीची की खेती में सिंचाई के लिए मई और जून महीने का समय सबसे उत्तम माना जाता है। खेत में पौधे की उम्र ज्यादा होने पर 10 से 15 दिन के अंतराल में नियमित सिंचाई करनी चाहिए। ध्यान रखें कि फलों के विकास के समय अधिक पाला (ठंड) पड़ने से पौधों को नुकसान हो सकता है, इसलिए इसकी देखभाल ज्यादा करने की आवश्यकता होती है।
3. प्रश्न: लीची की खेती में प्रमुख कीट और रोग कौन-कौन से होते हैं और इनसे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: लीची की खेती में प्रमुख कीट लीची माइट और मीलीबग होते हैं, जो पौधों को प्रभावित कर सकते हैं। लीची माइट के खिलाफ लीची के पत्तों के नीचे से प्रभावित भागों को तोड़ना और जला देना चाहिए। मीलीबग कीट से बचने के लिए 0.05% पैराथियान का छिड़काव कर सकते हैं। रोगों से बचने के लिए खेत में समय-समय पर खाद प्रबंधन करना चाहिए।
4. प्रश्न: एक एकड़ जमीन पर लीची के करीब 150 पौधे लगा सकते हैं और एक अच्छे पौधे से साल भर में 80 से 100 किलोग्राम तक का उत्पादन हो सकता है,यह कैसे संभव है?
उत्तर: हां, सही जमीन और समयबद्ध देखभाल के साथ एक एकड़ में लीची के करीब 150 पौधे लगा सकते हैं और एक अच्छे पौधे से साल भर में 80 से 100 किलोग्राम तक का उत्पादन हो सकता है। इसके अनुसार, एक एकड़ में लगभग 12,000 से 15,000 किलोग्राम तक का उत्पादन हो सकता है।
5. प्रश्न: लीची की खेती से कितनी आय हो सकती है और इसका बाजार में क्या दर होता है?
उत्तर: लीची की खेती से आपको उचित मात्रा में आय हो सकती है। विक्रेता के लिए लीची का रेट प्रति किलोग्राम 25 से 30 रुपए तक हो सकता है, जबकि रिटेल में यह रेट 40 से 110 रुपए तक हो सकता है, जो राज्य और शहर के आधार पर भिन्न होता है।
एक अच्छे लीची के पेड़ से एक बार में 80 से 100 किलोग्राम तक का उत्पादन हो सकता है, जिससे आपको अच्छी आय हो सकती है।
6. प्रश्न: लीची का पेड़ कितने दिनों में फल देता है?
उत्तर: लीची के पेड़ पर फल लगने में आमतौर पर लगभग 3 से 5 साल लगते हैं।
7. प्रश्न: घर में लीची का पेड़ लगाना चाहिए या नहीं?
उत्तर: हाँ, यदि आपके पास पर्याप्त जगह और सही विकास परिस्थितियाँ हैं तो आप घर पर लीची का पेड़ लगा सकते हैं।
8. प्रश्न: मुझे लीची के पेड़ की देखभाल कैसे करनी चाहिए?
उत्तर: सुनिश्चित करें कि आपके लीची के पेड़ को पूर्ण सूर्य, नियमित पानी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी मिले। छंटाई और खाद डालने से भी स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
9. प्रश्न: लीची का पेड़ उगाने के लिए बुनियादी आवश्यकताएँ क्या हैं?
उत्तर: लीची के पेड़ को सफलतापूर्वक बढ़ने के लिए गर्म जलवायु, नमी, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है।
10. प्रश्न: क्या मैं गमले/कंटेनर में लीची का पेड़ उगा सकता हूँ?
उत्तर: हां, लीची के पेड़ को बड़े गमले या कंटेनर में तब तक उगाना संभव है जब तक उसमें जड़ों के विकास के लिए पर्याप्त जगह हो।
11. प्रश्न: लीची का पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय कब है?
उत्तर: लीची का पेड़ लगाने का आदर्श समय वसंत ऋतु है जब तापमान गर्म होने लगता है।
12. प्रश्न: मुझे अपने लीची के पेड़ को कितनी बार पानी देना चाहिए?
उत्तर: अपने लीची के पेड़ को गहराई से लेकिन कभी-कभार पानी दें, यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी नम रहे लेकिन जल भराव न हो। शुष्क अवधि के दौरान, पानी देने की आवृत्ति बढ़ाएँ।
13. प्रश्न: क्या कोई सामान्य कीट या बीमारियाँ हैं जो लीची के पेड़ों को प्रभावित करती हैं?
उत्तर: लीची के पेड़ एफिड्स और माइट्स जैसे कीटों के साथ-साथ एन्थ्रेक्नोज और फाइटोफ्थोरा ब्लाइट जैसी बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। नियमित निगरानी और उचित देखभाल इन मुद्दों को रोकने और प्रबंधित करने में मदद कर सकती है।